मध्यप्रदेश में सीएम ने अफसरों की हद तय कर दी….


मध्यप्रदेश के सीएम डॉ.मोहन यादव ने कल एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए कटनी, दतिया के एसपी और चंबल के आईजी-डीआईजी को हटा दिया। इसके बाद सीएम ने सोशल मीडिया पर लिखा कि इन अफसरों द्वारा ऐसा व्यवहार किया गया जो लोकसेवा में खेदजनक है। इस फैसले से सीएम ने मध्यप्रदेश में अफसरों की हद तय कर दी है।
आखिर पानी सिर के ऊपर से गुजरा होगा तभी तो सीएम को इतना कड़ा फैसला लेना पड़ा। सीएम के पास ऐसी शिकायतें लगातार आती रहती हैं और वे अफसरों को कड़ी चेतावनी देते भी रहे हैं। इसके बावजूद अफसरों की मनमानी चलती रही है। जरा सोचिए शनिवार को दतिया एयरपोर्ट के लोकार्पण कार्यक्रम में एसपी, आईजी और डीआईजी आपस में भिड़ लिए। एक जिम्मेदार पद पर बैठे अफसरों के ऐसे व्यवहार को क्षमा तो नहीं किया जा सकता।
इसी तरह कटनी के एसपी का मामला है। तहसीलदार शैलेंद्र बिहारी शर्मा का अपनी पत्नी सीएसपी ख्याति मिश्रा से विवाद चल रहा है। तहसीलदार ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने सीएसपी आवास पर उनके परिवारवालों के साथ मारपीट की। इसमें एसपी अभिजीत रंजन शामिल थे। जब एक तहसीलदार के साथ पुलिस ऐसा कर सकती है तो आम आदमी की हालत क्या होगी?
ये कुछ घटनाएं हैं, जो सीएम के संज्ञान में आईं और एक्शन ले लिया गया। मध्यप्रदेश में जनता पुलिस से त्रस्त है। थानों में आम आदमी की कोई औकात नहीं है। रिपोर्ट लिखाने जाने पर पुलिस पीड़ित की ही क्लास लगा देती है। धारा कम करने के नाम पर वसूली तो आम है। ऐसी पुलिस व्यवस्था में अगर बड़े अफसरों का व्यवहार भी एक आम पुलिसकर्मी की तरह हो जाए, तो निश्चित तौर पर यह गंभीर चिन्ता का विषय है।
सीएम साहब, आपने इन अफसरों पर कार्रवाई कर जनता को यह विश्वास दिलाने की कोशिश की है कि इनके ऊपर भी कोई है। अब यह जरूरी है कि पुलिस-प्रशासन में एक जबरदस्त सर्जरी की जाए। फिलहाल अधिकांश सिस्टम आईसीयू में है और जनता इनसे त्रस्त है।
माना कि आप सारे अफसर और पूरा अमला बदल नहीं सकते, लेकिन इतना डर तो बिठा ही सकते हैं कि कोई अफसर आम जनता को परेशान करने की कल्पना भी न कर पाए। फिलहाल सीएम हेल्पलाइन से लेकर अन्य कई व्यवस्थाएं हैं, लेकिन एक ऐसा सिस्टम डेवलप करना उचित होगा, जिससे जनता की सीधी पहुंच आप तक हो जाए।