देवी अहिल्या के मेट्रो से 'इंदौरी अहिल्या' गायब, आयोजन के लिए गाड़ियों में भरकर महिलाओं को लाने वाले ताई को कैसे भूल गए .


इंदौर. आज देवी अहिल्या की 300 वीं जन्म जयंती के अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी ने इंदौर को मेट्रो की सौगात दी. भोपाल से इंदौर तक बहुत बड़ा आयोजन किया गया. मेट्रो के मुख्य टर्मिनल का नाम देवी अहिल्या के नाम पर किया गया, लेकिन इस आयोजन में पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन की अनुपस्थिति कई सवाल खड़े कर रही है.
यह बात किसी से छुपी नहीं कि ताई देवी अहिल्या का झंडा लेकर वर्षों से चल रही हैं. हर साल उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर ताई के प्रयासों से आयोजन होते रहे हैं. यह भी सबको पता है कि देवी अहिल्या के नाम पर हो रहे आयोजनों में ताई को छोड़कर न तो पूर्व की सरकारों ने रुचि ली, ना ही कोई स्थानीय नेता सामने आया. अब जबकि सीएम डॉ.मोहन यादव ने अपनी सरकार को देवी अहिल्या के बताये मार्ग पर चलाने का संकल्प लिया है, कुछ स्थानीय नेता मजबूरी में सामने आए हैं.
आखिर कैसे भूल सकते ताई को
उल्लेखनीय है कि इंदौर के मेट्रो प्रोजेक्ट पर बार-बार टांग अड़ाने वाले एक मंत्री अब मेट्रो प्रोजेक्ट के स्वयंभू सर्वेसर्वा बन गए हैं. इस आयोजन की पूरी जिम्मेदारी उन्होंने ही कथित तौर पर सम्भाल रखी थी. ऐसे में देवी अहिल्या के लिए अपना जीवन खपा देनेवाली सुमित्रा महाजन की उपस्थिति क्यों नहीं सुनिश्चित की गई. क्यों सिर्फ एक सरकारी आमंत्रण पत्र भेजकर चुप्पी साध ली गई.
फिर शुरू श्रेय की राजनीति
इस आयोजन के लिए मंत्रीजी अपने समर्थकों के माध्यम महिलाओं को मेट्रो स्टेशन लाने में जुटे रहे, लेकिन एक बार भी ताई को सम्मान पूर्वक बुलाने की कोशिश नहीं की. पहले भी इंदौर की राजनीति में श्रेय लेने की कोशिश करते रहने वाले मंत्री जी फिर उसी कवायद में जुटे हैं. माना कि पहले ताई-भाई गुट की अदावत थी, लेकिन अब तो ताई सक्रिय राजनीति में भी नहीं हैं. ऐसे में देवी अहिल्या के नाम पर आयोजित मेट्रो के कार्यक्रम से ताई की अनुपस्थिति कई सवाल खड़े करती है. भाजपा के नेता ही सवाल उठा रहे हैं कि क्या इंदौर की राजनीति इसी तरह असंतुलित रहेगी.