कुछ तो शर्म कर लो धरती के भगवानों, अस्पताल में चूहे की जिम्मेदारी किसकी, क्यों डीन और अधीक्षक पर अब तक नहीं हुई कार्रवाई?.


इंदौर। एमवाय अस्पताल में दो नवजात बच्चों की चूहे द्वारा कुतरने से मौत की घटना मानवता को शर्मसार करने वाली तो है ही, लेकिन इससे ज्यादा शर्मनाक घटना इसके बाद धरती का भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों द्वारा की जा रही है। पहले तो साफ इनकार कर दिया कि चूहे के कुतरने से इनकी मौत नहीं हुई है और अब मामले की लीपापोती में जुट गए हैं। सबसे ज्यादा ताज्जुब तो इस पूरे मामले के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार डीन और अस्पताल अधीक्षक पर कोई कार्रवाई न होना है।
विडंबना यह कि इस मामले में अभी तक कुछ ही छोटे स्टाफ पर गाज गिरी है, लेकिन इस पूरी व्यवस्था के लिए जिम्मेदार मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया और अधीक्षक डॉ. अशोक यादव पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अधीक्षक यादव ने तो इस पूरी जिम्मेदारी से बचने के लिए 15 दिन के अवकाश का आवेदन लगा दिया। यह तो ठीक वैसा ही हुआ कि भारत-पाकिस्तान के बीच बॉर्डर पर जंग छिड़ी हो और कैप्टन मैदान छोड़कर भाग जाए।
एमवाय अस्तपाल की साख पर बट्टा
एमवाय अस्पताल वर्ष 1955 में प्रारंभ हुआ और पिछले 70 वर्षों में इलाज और उपचार में इसका स्वर्णिम इतिहास रहा हैं। एमवाय इंदौर-उज्जैन संभाग और सीमावर्ती राज्यों के जिलो के मरीजों के भरोसे का केंद्र और गरीब मरीजों की आखरी उम्मीद रहा है। यहां एक से एक जटिल बीमारियों का इलाज भी हुआ है और एक से एक नामी डॉक्टर भी यहां रहे हैं लेकिन इस घटना ने एमवाय अस्पताल की साख पर बट्टा लगा दिया है।
जिम्मेदारों से मात्र स्पष्टीकरण मांग छोड़ा
उल्लेखनीय है कि डीन द्वारा मेडिकल कॉलेज और उसके संबद्ध अस्पतालों में साफ-सफाई, सुरक्षा और पेस्ट कंट्रोल के कार्य की निरंतर समीक्षा, निगरानी, मूल्यांकन और उसके बाद एजेंसी को भुगतान किया जाता है। जाहिर है इस घटना की जिम्मेदारी से डीन पल्ला नहीं झाड़ सकते, लेकिन उनसे सिर्फ स्पष्टीकरण ही मांगा गया है।
सफाई, सुरक्षा और पेस्ट कंट्रोल के लिए एजेंसी
2018 में चिकित्सा शिक्षा विभाग ने प्रदेश के मेडिकल कॉलेज और उसके संबद्ध अस्पतालों में साफ-सफाई, सुरक्षा और पेस्ट कंट्रोल का कार्य भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के शासकीय उपक्रम एचएलएल हाईट्स, नई दिल्ली से कराए जाने का फैसला लिया था। डीन द्वारा 2023 में किए अनुबंध के बाद एचएलएल हाईट्स ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज और संबद्ध आठ अस्पतालों में साफ-सफाई, सुरक्षा और पेस्ट कंट्रोल के कार्य का ठेका आउटसोर्स कंपनी एजाइल सिक्यूरिटी फोर्स प्रा. लि. को सौंपा। इस पर निगरानी की जिम्मेदारी डीन की ही होती है। मेडिकल कॉलेज और उसके अस्पतालों में पेस्ट कंट्रोल कराना पूर्णतः प्रशासकीय कार्य है जो डीन एमजीएम और अधीक्षक के दायित्व में आता है।
डीन कर चुके हैं 11 करोड़ का भुगतान
सूत्र बताते हैं कि डीन ने पेस्ट कंट्रोल के कार्य का सत्यापन किए बिना ही आउटसोर्स एजेंसी को पिछले छह महीने में लगभग 11 करोड़ का भुगतान कर दिया है। हर माह में आउटसोर्स एजेंसी के 1.8 करोड़ का भुगतान किया जाता है। डीन द्वारा अनुबंध की शर्तों के अनुसार अस्पताल में किये जा रहे पेस्ट कंट्रोल के कार्यों की निरंतर समीक्षा और मूल्यांकन नही किया गया और करोड़ों का भुगतान हो गया। डीन द्वारा पिछले छह महीने में अस्पतालों के 50 से ज्यादा निरीक्षण किए गए, लेकिन पेस्ट कंट्रोल के लिए कोई लिखित निर्देश नही दिए गए।
भोजन के कारण आते हैं चूहे
बताया जाता है कि एमवाय अस्पताल के परिसर में चूहों के बढ़ने का प्रमुख कारण परिजनों को भोजन बांटना है। इस पर पहले रोक क्यों नहीं लगाई गई। एमवाय अस्पताल के तल मंजिल पर स्थित कैंटीन से चूहों आने की शिकायत के बाद भी संचालक पर कोई कार्यवाही नहीं की गई और डीन द्वारा कैंटीन संचालक को जुलाई 2025 में नया ठेका दे दिया गया। इसके अलावा अस्पताल के तलघर में इकठ्ठा कबाड़ के कंडेनेमेशन करने की स्वीकृति नही दी गई, जिससे अस्पताल में चूहें का प्रकोप बढ़ता चला गया।
शिकायत के बाद भी एक्शन नहीं
सूत्र बताते हैं कि पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ द्वारा बच्चों के आईसीयू में चूहों के प्रकोप बढ़ने की लगातार शिकायत की गई पर पेस्ट कंट्रोल और चूहों के रोकथाम की कोशिश नहीं हुई। डीन अस्पताल में सिविल रिपेयर और रेनोवेशन कार्य की स्वीकृति प्रदान करने हेतु सक्षम अधिकारी हैं, परंतु एमवाय अस्पताल में पुरानी ड्रेनेज लाइन, खुले चेम्बर के रेनोवेशन कार्य की स्वीकृति नही दी गई, इससे भी चूहों की संख्या बढ़ी।
छोटे स्टाफ पर गिरी गाज
दोनों नवजात बच्चों की मौत के बाद उपचार करने वाले डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ पर ही कार्रवाई की गई, जबकि इसकी सीधी जिम्मेदारी डीन और अस्पताल अधीक्षक की है। अस्पताल की नर्सिंग सुपरिटेडेंट को पद से हटा दिया गया, आईसीयू में काम करने वाली 03 नर्सिंग स्टाफ को निलंबित कर दिया गया, विभागाध्यक्ष पीडियाट्रिक सर्जरी एवं प्रोफेसर पीडियाट्रिक सर्जरी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इन सबके पास सिर्फ चिकित्सीय जिम्मेदारी है।
बच्चों की मौत के बाद एक लाख की पेनल्टी
नवजात बच्चों की मौत के बाद डीन द्वारा आउटसोर्स एजेंसी एजाइल पर 01 लाख की पेनल्टी लगाई गई है। सीएम के निर्देश के बाद योगेश भरसट (आईएएस) की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय जांच समिति ने इस घटना की जांच में कई लोगों के बयान लिए हैं। जांच को प्रभावित कर आउटसोर्स कंपनी एजाइल को सभी कार्यों और घटना के लिए जिम्मेदार घोषित कर जिम्मेदार डीन और अधीक्षक को बचाने की तैयारी की जा रही हैं।
स्वास्थ्य आयुक्त के निरीक्षण में मौजूद रहे डीन
स्वास्थ्य आयुक्त तरुण राठी ने एमवाय अस्पताल का निरीक्षण किया। तब जांच समिति भी जांच कर रही थी। स्वास्थ्य आयुक्त ने जांच समिति के सदस्यों के साथ निरीक्षण किया पर इस दौरान डीन और अधीक्षक मौजूद रहे जांच तो जांच में निष्पक्षता की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
हमीदिया में डीन और अधीक्षक पर हुई थी कार्रवाई
हमीदिया अस्पताल भोपाल में 2016 में शव की आंख को चूहों द्वारा कुतरे जाने की घटना हुई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे प्रशासकीय विफलता मानते हुए चिकित्सा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रभांशु कमल, गांधी मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. उल्का श्रीवास्तव और हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ. दीपक मरावी को पद से हटा दिया गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री की उक्त घटना को लेकर इतनी नाराजगी थी कि अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी को बिना विभाग के सामान्य प्रशासन विभाग में 02 माह तक संलग्न किया था। इसी तरह हमीदिया अस्पताल भोपाल में 2021 में शिशु रोग विभाग में आग की घटना पर संचालक, डीन और अस्पताल अधीक्षक को हटाया गया था, लेकिन इंदौर के मामले में डीन और अधीक्षक को बचाने की कोशिश हो रही है।