गड्ढेदार सड़कों और डेंगू-मलेरिया वाले शहर को डबल डेकर बस की सौगात!.


महापौरजी, इंदौर को डबल डेकर इलेक्ट्रिक बस की सौगात देने के लिए बधाई। पहले कोलकाता, मुंबई में ऐसी बस लोग देखने जाते थे। अब पूरे विश्व में इन्हें बंद किया जा रहा है तो आप इंदौर लाए। अच्छा किया, लोगों को प्रत्यक्ष रूप से देखने और बैठने को मिलेगा। अभी तक तो फोटो में ही देख रहे थे। हालांकि इंदौर के लोगों ने इसकी डिमांड नहीं की थी, ना कोई वीडियो जारी किया था, ना कोई पत्र सार्वजनिक हुआ। हां, आपके पास व्यक्तिगत रूप से कोई डिमांड आई हो तो मीडिया को पता नहीं।
खैर, आपकी दूरदर्शिता को बधाई। शहर आपके नेतृत्व में काफी आगे जा रहा है, लेकिन लोग आपके दुश्मन बने हुए हैं। लोग ही नहीं शहर की सड़कें, मच्छर, गंदगी भी आपकी दुश्मन बनी हुई है। कुछ लोग तो सिर्फ नगर निगम को कोसकर ही छोड़ देते होंगे, कुछ हिम्मती हैं जो वीडियो जारी कर कोस रहे हैं। कल ही एक बीमार व्यक्ति ने वीडियो जारी कर कहा था कि आपको सबकुछ तश्तरी में परोसकर मिला। आपको सिर्फ उसमें रिफिलिंग करनी थी, लेकिन आपने तो पूरी तश्तरी ही पलट दी। एक अन्य व्यक्ति ने अस्पताल में भर्ती अपने भाई का वीडियो जारी कर कहा कि वह सड़क के गड्ढे में गिर अपनी टांगे तुड़वा बैठा।
मैं भी मानता हूं कि हो वीडियो जारी करने वाला व्यक्ति पूर्व महापौर मालिनी गौड़ का कोई समर्थक होगा, लेकिन एक जनप्रतिनिधि होने के नाते आपको उसकी बात पर ध्यान देना चाहिए। अच्छा तो यह होता कि आप उसकी जानकारी निकालकर उसके घर या अस्पताल पहुंच जाते। इससे आपका मान और बढ़ जाता।
महापौरजी, अधिकारी तो इंदौर को चारागाह समझ कर ही आते हैं और बंजर बनाकर चले जाते हैं। आपके जैसे समझदार जनप्रतिनिधि पर ही इंदौर की जनता की उम्मीद टिकी है। हो सकता है आपकी कोई राजनीतिक मजबूरी हो, लेकिन इन सबके ऊपर जनता के प्रति जवाबदारी को रखना उचित होगा।
सचमुच, सच कड़वा ही होता है। जो वीडियो जारी हुए हैं, उन्हें ध्यान से देखिए। वे निश्चित तौर पर आपको विरोधी होंगे, लेकिन उनकी कही बातों की परख तो कर सकते हैं। क्या वे झूठ बोल रहे हैं कि शहर में गड्ढे हैं? क्या वे यह भी झूठ बोल रहे हैं कि बीमारियां फैल रही हैं?
एक बात जनता को और समझ नहीं आ रही…बिना मांगे आप उसे डबल डेकर बस दे रहे हो और बार-बार चिल्लाने के बाद भी सड़क के गड्ढे क्यों नहीं भरे जा रहे…जनता है सवाल तो करेगी ही…
आईना दिखाने वाले धंधेबाज!
ताज्जुब तो तब होता है, जब शहर का कोई नागरिक सच कह देता है तो वह शहर विरोधी हो जाता है। जब कोई मीडियाकर्मी आईना दिखाने की कोशिश करता है तो वह धंधेबाज हो जाता है। और धंधेबाजी का तमगा ऐसे लोग बांटने लगते हैं जिनके धंधों के बारे में पूरे शहर को पता है। यह तो वही बात हो गई कि आपको सिर्फ मीठा खाना ही पसंद है, भले ही शुगर हो जाए। महापौरजी, आप भी नहीं चाहते होंगे कि शहर की सेहत खराब हो, इसलिए कड़वे स्वाद की भी आदत डाल लीजिए…क्योंकि सच तो कड़वा ही होता है…
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