मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में किडनी फेलियर से अब तक 9 बच्चों की मौत, जांच के खेल में उलझा मामला, स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर सियासत शुरू.


छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में किडनी फेल होने से अब तक 9 बच्चों की मौत हो चुकी है। पहले डॉक्टरों ने इसका कारण एक कफ सिरप को बताया था, लेकिन अब कहा जा रहा है कि जांच के बाद ही पता चलेगा। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर जब सरकार को घेरा, तो स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने कहा है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कारणों का होगा खलासा।
उल्लेखनीय है कि यह घटना परासिया ब्लॉक के इलाकों में हुई, जहां सर्दी, बुखार और जुकाम से पीड़ित छोटे बच्चों की हालत अचानक बिगड़ गई। 9 बच्चों की मौत हो चुकी है, जिनकी उम्र 5 साल से कम थी। पहला संदिग्ध मामला 24 अगस्त को सामने आया, जबकि पहली मौत 7 सितंबर को दर्ज की गई। बच्चे पहले सामान्य लग रहे थे, लेकिन कुछ दिनों बाद पेशाब बंद हो गया और किडनी फेलियर हो गया। कई बच्चों को छिंदवाड़ा और नागपुर के अस्पतालों में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के बावजूद वे बच नहीं सके।
कफ सिरप को लेकर उठ रहे सवाल
बताया जाता है कि प्रभावित बच्चों को दो मुख्य कफ सिरप दिए गए थे – कोल्ड्रिफ और नेक्सट्रो-डीएस। ये सिरप निजी डॉक्टरों और कुछ सरकारी डॉक्टरों के पर्चे पर उपलब्ध हुए। जांच में पता चला कि इन सिरप में डायथाइलीन ग्लाइकॉल नामक जहरीला रसायन मिला हो सकता है, जो औद्योगिक सॉल्वेंट है और किडनी को नुकसान पहुंचाता है। यह रसायन खाने लायक नहीं होता और इससे किडनी इंजरी होती है। सरकार ने इन सिरप के पूरे बैच पर रोक लगा दी और मेडिकल स्टोर्स पर जांच अभियान चलाया गया है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगा
उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा है किअब तक करीब 12 प्रकार की दवाओं के नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं। इनमें से 3 नमूनों की रिपोर्ट प्राप्त हुई है, जिसमें किसी घातक रसायन की बात सामने नहीं आई है।। शेष 9 सैंपलों की रिपोर्ट आज शाम तक आने की संभावना है। जांच भारत सरकार की प्रयोगशालाओं में हो रही है। अंतिम रिपोर्ट के आधार पर ही कोई फैसला लिया जा सकेगा।
कांग्रेस बता रही है कफ सिरप को जिम्मेदार
इस मामले में कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि कफ सिरप के कुछ सैंपल में डायएथिलीन ग्लाइकोल की मौजूदगी पाई गई है, जो एक औद्योगिक सॉल्वेंट होता है। इसका उपयोग पेंट, ब्रेक ऑयल और वार्निश जैसी वस्तुओं में किया जाता है। इस रसायन के कारण बच्चों की किडनी फेल होने की आशंका जताई जा रही है।
सिंघार ने साधा सरकार पर निशाना
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि यह बेहद दर्दनाक है कि छिंदवाड़ा में कफ सिरप के कारण बच्चों की जान जा रही है। यह वही रसायन है जिससे गाम्बिया और इंडोनेशिया में भी बच्चों की मौतें हो चुकी हैं। सवाल यह है कि क्या MP की मोहन सरकार को इस हादसे की जानकारी है?
कमलनाथ ने कहा-दवाओं की जांच हो
पूर्व सीएम कमलनाथ ने एक्स पर लिखा कि यह जानकर स्तब्ध हूं कि बच्चों की दवा में ब्रेक ऑयल जैसे जहरीले सॉल्वेंट का उपयोग हो रहा है। ये बेहद चिंता की बात है। यह घटना प्रदेश में कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक विफलता को उजागर करती है। जब मैं मुख्यमंत्री था, तब शुद्ध के लिए युद्ध अभियान चलाया गया था। आज सरकार से मांग करता हूं कि प्रदेश में बिक रही सभी दवाओं की जांच करवाई जाए और खाने-पीने की वस्तुओं पर भी सख्त निगरानी रखी जाए।
पानी की गुणवत्ता पर भी संदेह
स्वास्थ्य विभाग अभी तक यह स्पष्ट नहीं कर पाया है कि बच्चों की मौत की असली वजह क्या है। शुरुआती जांच में आशंका जताई जा रही है कि पीने के पानी की गुणवत्ता इस रहस्यमयी बीमारी का कारण हो सकती है। प्रभावित क्षेत्रों से पानी के सैंपल लेकर नागपुर और भोपाल की लैब में जांच के लिए भेजे गए हैं। रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। साथ ही, विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम लगातार बीमार बच्चों की निगरानी कर रही है।
एसडीएम ने कहा-किडनी से संबंधित बीमारी
एसडीएम शिवम यादव ने कहा कि हमारे पास 13 बच्चे एडमिट थे, जिसमें 9 बच्चों की मौत हुई। चार बच्चे हमारे जिला अस्पताल में भर्ती है जिनमें से दो की स्थिति ठीक है और दो ट्रीटमेंट में हैं। आठ नागपुर में है जिनमें से पांच बच्चे बेहतर हालात में है तीन का इलाज जारी है। दिल्ली और भोपाल से जो बायोप्सी की रिपोर्ट आई थी उसमे कन्फ्यूजन चल रहा है। एक्यूट एन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम किडनी इन्फेक्शन एकेआई एक्यूट किडनी इंजरी बायोप्सी से पता चला किडनी से संबंधित बीमारी है।