मध्यप्रदेश में बच्चों की मौत पर बोला स्वास्थ्य मंत्रालय-कफ सिरप के नमूनों में घातक रसायन नहीं, दो साल से कम उम्र के बच्चों के इलाज के लिए दी सलाह.


नई दिल्ली। मध्यप्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौत के मामले में अब केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने बयान जारी किया है। इन मौतों का कारण कफ सिरप बताया जा रहा था। इस पर मंत्रालय ने कहा है कि कफ सिरप के नमूनों में कोई घातक रसायन नहीं मिला है। इसके साथ ही मंत्रालय ने दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप नहीं देने की सलाह दी है।
मंत्रालय ने कहा है कि इन खबरों का संज्ञान लेकर केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त टीम ने घटनास्थल का दौरा किया था। साथ ही राज्य के अधिकारियों के साथ समन्वय में विभिन्न कफ सिरप के नमूनों सहित कई नमूने एकत्र किए गए। इन नमूनों की अब तक जांच में किसी भी सिरप के नमूनों में घातक रसायन डाइएथिलीन ग्लाइकोल या एथिलीन ग्लाइकोल की मौजूदगी नहीं पाई गई है।
मंत्रालय ने बताया कि एनसीडीसी, एनआईवी, सीडीएससीओ समेत विभिन्न संस्थानों की संयुक्त टीम ने मौके पर जाकर सिरप, रक्त और अन्य नमूने एकत्र किए थे। मध्य प्रदेश की राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने भी तीन नमूनों की जांच की, जिनमें डाइएथिलीन ग्लाइकोल या एथिलीन ग्लाइकोल अनुपस्थित थे। वहीं एनआईवी पुणे की जांच में एक मामले में लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण की पुष्टि हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि पानी, मच्छरों व अन्य वाहकों तथा श्वसन तंत्र से जुड़े नमूनों की जांच अभी जारी है।
दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए हिदायत
इधर, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) ने बच्चों के इलाज के लिए कफ सिरप के तर्कसंगत उपयोग पर सलाह जारी की है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवाएं देने से भी मना किया है। उन्होंने कहा है कि दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खांसी और जुकाम की दवाइयां नहीं दी जानी चाहिए।