इंदौर मीडिया कॉन्क्लेव : अखबारों में सिमटता साहित्य पर चर्चा के बाद कबीर भजन ने बांधा समां.


इंदौर। इंदौर प्रेस क्लब के स्थापना दिवस पर आयोजित इंदौर मीडिया कॉन्क्लेव के पहले दिन तीसरे सत्र में अखबारों में सिमटता साहित्य विषय पर चर्चा हुई। इसके बाद कबीर गायक पद्मश्री भेरूसिंह चौहान के भजनों ने समां बांधा। उन्होंने अपनी मखमली और दमदार आवाज में संत कबीर और मीराबाई के भक्ति भरे भजनों को संगीत की लड़ी में पिरो कर मंत्रमुग्ध कर दिया।
कॉन्क्लेव का तीसरा सत्र अखबारों से सिमटता साहित्य विषय पर केंद्रित रहा। जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि इंदौर में इस तरह के आयोजन होना केवल सराहनीय नहीं बल्कि प्रशंसनीय भी हैं। इंदौर की पहचान साफ-सुथरे शहर से बढ़कर देश में भाषाई पत्रकारिता के क्षेत्र में भी है। मीडिया कॉन्क्लेव से जो निष्कर्ष निकलेगा उसका प्रभाव देश-दुनिया की पत्रकारिता पर भी पड़ेगा।
हम साहित्य किसे मान रहे हैं
दैनिक जागरण दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार अनन्त विजय ने कहा कि हमें सबसे पहले यह समझना होगा कि हम साहित्य किसे मान रहे हैं। सिनेमा, रंगमंच, लघुकथा क्या यही साहित्य हैं। आज देश में स्वतंत्र रूप से लिखने वालों की कमी हो गई है। अगर हम यह सोचें कि साहित्य के नाम पर अखबारों में फूहड़ता लिखें तो सच में स्थान की कमी हो गई है। अगर घटिया साहित्य को ही लेखन मान लिया जाएगा तो बचेगा क्या। उन्होंने कहा कि लेखन में आज गुणवत्ता की कमी है। हरीशंकर परसाई, शरद जोशी, श्रीलाल शुक्ल जैसे कितने ही मूर्धन्य साहित्यकार हैं, जिनका आज भी तोड़ नहीं हैं। अगर हम अपनी लेखनी पर स्वयं ध्यान देकर सब आरोप अखबारों पर लगा देंगे तो यह ज्यादती होगी।
वक्त के साथ बदल गए दृष्टिकोण
एनडीटीवी इंडिया के सीनियर एक्जीक्यूटिव एडिटर प्रियदर्शन ने कहा कि आजादी की जंग में पत्रकारिता की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह पत्रकारिता जेलों में गढ़ी गईं और उसका अपना संघर्ष रहा है। समय और काल के साथ पत्रकारिता में बड़ा बदलाव आया है, जिससे साहित्य का स्थान अपने आप कम हो गया। आज की कविताओं में न कविता है और ना ही गजल में गजल है। कहानियों से कहानी गायब जो साहित्य के लिए चिंतनीय है। जीवन की घटनाओं से साहित्य का जन्म होता है और साहित्य का अपना दृष्टिकोण भी होता है। वक्त के साथ पत्रकारिता और साहित्य दोनों के दृष्टिकोण बदल गए। आज का साहित्य रसहीन है। आज अखबार तो पढ़े जा रहे हैं, लेकिन मुद्दे की बात यह है कि उसमें छप क्या रहा है। एक दौर था जब पत्रकारिता ही साहित्य का हिस्सा हुआ करती थी। फिर पत्रकारिता में साहित्य का दौर आया और आज दोनों की धुरी अलग-अलग है।
अखबारों में साहित्य की कमी चिन्ता की बात
वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार निर्मला भुराड़िया ने कहा कि साहित्य से मनुष्य में चेष्टा जागृत होती थी, लेकिन समय के साथ यह कम हो गई। अखबारों से साहित्य में कमी आई जो चिंता की बात है। कार्पोरेट कल्चर आने के बाद पत्रकारिता से साहित्य दिनों-दिन गुम होता जा रहा है। युवाओं का ध्यान भी साहित्य पर नहीं है, जो चिंतनी है। एक दौर था जब युवाओं में साहित्य के प्रति ललक होती थी, आज यह सब खत्म हो गई।
आज के साहित्य से संवेदना गायब
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. स्वाति तिवारी ने कहा कि एक दौर था, जब अखबार भी साहित्य का हिस्सा हुआ करते थे, लेकिन समय के साथ इसमें भी बदलाव आया। अब पत्रकारिता से साहित्य कम होता जा रहा है। किसी घटना को देखकर एकर साहित्यकार जो सृजन करता था, उसमें संवेदना हुआ करती थी। यह संवेदना ही समाज को गति प्रदान करती थी, लेकिन आज के साहित्य में संवेदना गायब है। साहित्य की किसी भी विधा की रचना में संवेदना को बचाना जरूरी है, तभी सही मायनों में साहित्य बच सकेगा। आज का समय कॉपी पेस्ट व कट पेस्ट का है और साहित्य में भी यही सब हो रहा है। कार्यक्रम मॉडरेट डॉ. अमिता नीरव थी। अतिथियों का स्वागत मुकेश तिवारी, डॉ. कमल हेतावल, डॉ. ज्योति जैन, सुधाकर सिंह, विनिता तिवारी, संध्या राय चौधरी ने किया। प्रतीक चिन्ह व्योमा मिश्रा, अलका सैनी, वैशाली शर्मा और स्मृति आदित्य ने प्रदान किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अर्पण जैन ने किया।
8 अप्रैल के प्रमुख आयोजन
प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने बताया कि इंदौर मीडिया कॉन्क्लेव के दूसरे दिन 8 अप्रैल की सुबह 10.30 बजे सफलता होता वैकल्पिक मीडिया विषय पर परिचर्चा होगी। इसमें संजय शर्मा (4पीएम लखनऊ), आनंद पाण्डे (द सूत्र), भुवनेश सेंगर (द लपेटा), सुरेश तिवारी (मीडियावाला), चन्द्रभान सिंह (सीबी लाइव) भाग लेंगे। 8 अप्रैल को दोपहर 1.30 बजे फोटो जर्नलिज्म पर महत्वपूर्ण वर्कशाप होगी। एसोसिएटेड प्रेस-एपी के सीनियर फोटो जर्नलिस्ट राजेश कुमार सिंह इस वर्कशाप में मार्गदर्शन करेंगे। वर्कशाप का समापन फोटोग्राफी प्रतिस्पर्धा के पुरस्कार वितरण के साथ होगा। शाम 7 बजे खेल पत्रकारों का सम्मान और प्रेस क्लब की खेल प्रतिस्पर्धाओं का पुरस्कार वितरण होगा। विशिष्ट अतिथि मध्यप्रदेश के लोक निर्माण एवं नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, विधायक रमेश मैंदोला और मध्यप्रदेश ओलंपिक एसोसिएशन के उपाध्यक्ष ओम सोनी रहेंगे।
9 अप्रैल को राजेंद्र माथुर स्मृति व्याख्यान
9 अप्रैल प्रेस क्लब के स्थापना दिवस की सुबह 8 बजे पलासिया चौराहा स्थित स्व. राजेंद्र माथुर की प्रतिमा पर माल्यार्पण होगा। सुबह 10.30 बजे नवाचार के शहर इंदौर की कहानी महापौर पुष्यमित्र भार्गव की जुबानी कार्यक्रम प्रेस क्लब के राजेंद्र माथुर सभागृह में होगा। शाम को 5.30 बजे जाल सभागृह में मैगसेसे अवार्ड से अलंकृत लब्ध प्रतिष्ठित पत्रकार पी. साईनाथ ''भारतीय मीडिया से कैसे गायब हुए गांव, गरीब और किसान" विषय पर राजेंद्र माथुर स्मृति व्याख्यान देंगे। इस मौके पर पत्रकारिता से संबंधित विभिन्न प्रतियोगिताओं के पुरस्कार वितरण और वरिष्ठ पत्रकारों व फोटो जर्नलिस्ट का सम्मान समारोह होगा।