रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा-पहलगाम को यादकर मन क्रोध से भर जाता है, पड़ोसियों से संबंध पर भी की बात.
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हम पहलगाम की भयावह घटनाओं को नहीं भूले हैं। जब भी हम उन्हें याद करते हैं, हमारा दिल भारी हो जाता है। मन क्रोध से भर जाता है। वहां जो हुआ उसने हम सभी को झकझोर दिया, लेकिन वह घटना हमारे मनोबल को नहीं तोड़ पाई।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के जांबाजों के साथ बातचीत में यह बात कही। उन्होंने कहा कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों के मामले में भाग्यशाली नहीं रहा है, लेकिन हमने इसे नियति नहीं माना है। हमने अपनी नियति स्वयं तय की ह। इसका एक उदाहरण ऑपरेशन सिंदूर है। राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री ने आतंकवादियों को ऐसा सबक सिखाने का संकल्प लिया जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। हमने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया और अपने दुश्मनों को दिखाया कि हमारा प्रतिरोध कितना मजबूत और शक्तिशाली है। हमारी पूरी टीम की ओर से दिखाए गए समन्वय और करिश्मे ने साबित कर दिया कि जीत अब कोई अपवाद नहीं है। जीत एक आदत बन गई है और हमें इस आदत को हमेशा बनाए रखना चाहिए।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कोई भी युद्ध केवल युद्ध के मैदान में नहीं लड़ा जाता, बल्कि युद्ध में प्राप्त विजय पूरे राष्ट्र के सामूहिक संकल्प का परिणाम होती है। 1965 के उस कठिन समय में, जब चारों ओर अनिश्चितता और चुनौतियां थीं, देश ने लाल बहादुर शास्त्री के दृढ़ नेतृत्व में उन चुनौतियों का सामना किया। शास्त्री जी ने उस दौर में न केवल निर्णायक राजनीतिक नेतृत्व प्रदान किया, बल्कि पूरे देश का मनोबल भी ऊंचाइयों तक पहुंचाया।