इंदौर मीडिया कॉन्क्लेव शुरू, इंदौर का पत्रकारिता घराना, एआई जैसे कई विषयों पर देश के प्रसिद्ध पत्रकारों ने रखे विचार .


इंदौर। इंदौर प्रेस क्लब के 63वें स्थापना दिवस पर आज से तीन दिवसीय इंदौर मीडिया कॉन्क्लेव का आयोजन शुरू हुआ। उद्घाटन समारोह के बाद पहला सत्र इंदौर का पत्रकारिता घराना विषय रहा। इसके बाद एआई-कृत्रिम बुद्धि का कमाल, नौकरे लेगा या करेगा कमाल विषय पर चर्चा हुई।
पहले सत्र को संबोधित करते हुए माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि नई दुनिया के बगैर इंदौर के पत्रकारिता घराने की बात करना बेमानी है। वहां की पत्रकारिता सामाजिक सरोकारों से जुड़ी है। लिखने का सलीका सीखने को मिला। यहां की पत्रकारिता एक तपस्या जैसी थी।
घराना बचाने में सारे फूलों का योगदान
वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने कहा कि घराना शब्द सिर्फ इंदौर के लिए ही इस्तेमाल होता है। इंदौर से दिल्ली गए पत्रकार शब्दों के सितारे रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता को नई ताकत दी है। उन्होंने बताया कि राजेंद्र माथुर कहा करते थे कि इंदौर की पत्रकारिता ने अपनी एक शैली बनाई और पत्रकारिता को नई धार दी। इंदौर से खिले फूल अपनी खुशबू के साथ राष्ट्रीय पत्रकारिता में मौजूद हैं। इस घराने को बचाने में सारे फूलों का योगदान है। सबकी अलग-अलग शैली है।
इंदौर घराने में अखबारों की अहम भूमिका
अमर उजाला समूह सलाहकार संपादक यशवंत व्यास ने कहा कि इंदौर की पत्रकारिता का अतीत भव्य किस्म का था। इंदौर का घराना सिर्फ इंसानों की बदौलत नहीं है, बल्कि यहां से निकले अखबारों ने इसे मजबूती दी। उन्होंने नई दुनिया से लेकर दैनिक भास्कर तक की बात की है। उन्होंने कहा कि राजेंद्र माथुर और प्रभाष जोशी ने जिनको तैयार किया वह भी तो इंदौर घराना ही है। प्रभाष जोशी की लेखनी से लपट महसूस होती थी, जबकि राजेंद्र माथुर की लेखनी धीरे-धीरे धधकती थी और पापड़ की तरह सेकती थी। यशवंत व्यास ने उस दौर में इंदौर के अखबारों में हुए प्रयोगों पर भी चर्चा की।
भाषिक संस्कार इंदौर की पत्रकारिता से मिले
अमर उजाला डिजिटल के संपादक जयदीप कर्णिक ने कहा कि इंदौर में पत्रकारिता की पहली सीढ़ी ही प्रूफ रीडिंग से होती है। इसलिए इंदौर का घराना कहलाता है। भाषिक संस्कार इंदौर की पत्रकारिता ने कायम रखे। उन्होंने नई दुनिया का जिक्र करते हुए कहा कि यहां उस जमाने में एक पत्र छप जाना बड़ी बात मानी जाती थी। इस कार्यक्रम के सूत्रधार वरिष्ठ पत्रकार डॉ.प्रकाश हिंदुस्तानी थे।
एआई तकनीक से नए जॉब क्रिएट होंगे
दूसरे सत्र में एआई - कृत्रिम बुद्धि का धमाल, नौकरी लेगा या करेगा कमाल विषय पर प्रत्यूष रंजन (हेड - डिजिटल सर्विसेस एंड फैक्ट चेकिंग पीटीआई, नई दिल्ली), हिमांशु शेखर (सीनियर एडिटर, एनडीटीवी, नई दिल्ली), जयदीप कर्णिक (संपादक अमर उजाला डिजिटल, नई दिल्ली) तथा वेब दुनिया के संस्थापक विनय छजलानी ने अपने विचार व्यक्त किए। हिमांशु शेखर ने कहा कि एआई से नए जॉब क्रिएट होंगे। हालांकि इसका कुछ सेक्टर पर काफी असर पड़ेगा। उन्होंने एआई की चुनतियों पर भी चर्चा की और एक प्रेजन्टेशन भी दिया। उन्होंने बताया कि आज कल भारत और चीन की जनसंख्या के बराबर लोग फेसबुक का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर चिन्ता जाहिर की कि किसी भी मीडिया समूह में एआई पर नियंत्रण के लिए कोई प्रयास नहीं हुए हैं। प्रयूष रंजन ने कहा कि अब इस तकनीक की एंट्री हो चुकी है अब तकनीक के साथ अपनी चीजें लेकर चलनी है। उन्होंने एआई की विश्वसनीयता से जुड़ी बातें भी बताईं। पहले दिन का तीसरा सत्र अखबारों से सिमटता साहित्य विषय पर हुआ।
इंदौर के पत्रकारों ने पूरी पत्रकारिता ही बदल दी
शुभारंभ सत्र में सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि इंदौर की पत्रकारिता शहर के विकास की आत्मा है। इंदौर के पत्रकारों ने विकास से जुड़े मुद्दों को बेबाकी से उठाया है। वहीं, प्रकाश हिंदुस्तानी ने कहा कि इंदौर के संपादक जब भी दिल्ली गए तो वे संपादक बनकर नहीं गए, पत्रकारिता को बदलने गए थे। इंदौर के पोहे जलेबी की बात होती है, लेकिन इंदौर के पत्रकारिता घराने की बात ज्यादा नहीं होती। पत्रकारिता महोत्सव के शुभारंभ सत्र में अतिथियों का परिचय प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने किया। उद्घाटन सत्र में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलगुरु राकेश सिंघई, अभ्यास मंडल के रामेश्वर गुप्ता, कस्तूरबा ट्रस्ट के करुणाकर त्रिवेदी, जयंत भिसे उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन संजय पटेल ने किया। आभार प्रेस क्लब महासचिव हेमंत शर्मा ने माना।