क्या इंदौर में आउट ऑफ कंट्रोल हो गए हैं तहसीलदार, पटवारी और आरआई, अफसरों की सख्ती के बाद भी चल रही है मनमानी.


इंदौर। पिछले काफी समय से इंदौर में तहसीलदार, पटवारी और आरआई की मनमानी के मामले सामने आ रहे हैं। अभी पिछले महीने ही संभागायुक्त ने 50 लाख की रिश्वत मांगने वाले तहसीलदार और पटवारी को निलंबित किया था। अब ताजा माला देपालपुर क्षेत्र का है, जहां तहसीलदार, पटवारी तथा अन्य राजस्व कर्मचारियों की लापरवाही के कारण एक तहसीलदार ने आत्महत्या कर ली। इस मामले में भी निलंबन की कार्रवाई हो गई है, लेकिन इससे साफ जाहिर है कि इंदौर के तहसीलदार, पटवारी और आरआई आउट ऑफ कंट्रोल हो गए हैं। अफसरों की सख्ती के बाद भी उनकी मनमानी जारी है।
देपालपुर के किसान की आत्महत्या वाले मामले में कमिश्नर दीपक सिंह ने तत्कालीन प्रभारी तहसीलदार देपालपुर जगदीश रंधावा को निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की है। इसी तरह प्रभारी कलेक्टर गौरव बैनल ने देपालपुर क्षेत्र में पदस्थ पटवारी अल्केश गुप्ता और तत्कालीन सहायक ग्रेड 3 रीडर देपालपुर रीना कुशवाहा को निलंबित कर विभागीय जांच करने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही पूर्व से निलंबित राजस्व निरीक्षक नरेश विवलकर के खिलाफ विभागीय जांच करने के आदेश भी दिए गए हैं। यह कार्रवाई अपर कलेक्टर राजेंद्र रघुवंशी द्वारा की गई जांच में संबंधित तहसीलदार और कर्मचारियों की लापरवाही पाई जाने पर की गई है।
सीमांकन के बाद भी नहीं दिलाया कब्जा
देपालपुर के लिलेंडीपुरा निवासी किसान करणसिंह (65) ने मंगलवार को जनसुनवाई के दौरान एसिड पी लिया था। इलाज के दौरान देर रात उनकी मौत हो गई। दरअसल, किसान ने जिन लोगों के खिलाफ शिकायत की थी, उनमें इमरान पिता नवाब, नवाब पिता घिसा, मांगू सरपंच ताकि खां और अकिरम पिता सूरमा शामिल थे। उनका आरोप था कि इन लोगों ने उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया है। करणसिंह इस बात से दुखी थे कि नपती के बाद भी अधिकारियों ने उन्हें कब्जा नहीं दिलवाया। वे लंबे समय से इसके लिए चक्कर काट रहे थे। सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत की थी। करणसिंह की मौत के बाद बुधवार को जिला प्रशासन ने अग्रिम कब्जा दिलवा दिया लेकिन सुनवाई जारी रखी। इसके साथ ही प्रभारी कलेक्टर गौरव बैनल ने मामले की जांच एडीएम राजेंद्र रघुवंशी को सौंपी। एडीएम रघुवंशी ने पूरे मामले की मैदानी और दस्तावेजी तस्दीक की। इसके साथ ही मौके की स्थिति को जाना। फिर गुरुवार को प्रभारी कलेक्टर को रिपोर्ट सौंपी। इसके बाद देर रात कमिश्नर और प्रभारी कलेक्टर ने लापरवाह तहसीलदार सहित तीन को सस्पेंड कर दिया।
जनपद पंचायत सीईओ के अपहरण में था रंधावा
उल्लेखनीय है कि इसी साल नीमच जिले के जावद के जनपद पंचायत सीईओ आकाश धार्वे के अपहरण के मामले में भी तहसीलदार जगदीश रंधावा पर कलेक्टर ने एक्शन लिया था। यही रंधावा देपालपुर के मामले फिर से सस्पेंड किया गया है। इस मामले में नीमच पुलिस ने तहसीलदार जगदीश रंधावा, पटवारी राहुल, लखन, अमित, अंकित, दिलीप समेत 13 को गिरफ्तार किया था। इसके बाद कलेक्टर ने तहसीलदार रंधावा को इंदौर कलेक्टर ने पद से हटाकर भू-अभिलेख में अटैच किया था।
अभी ठंडा भी नहीं हुआ 50 लाख का मामला
इससे पहले पिछले महीने ही कलेक्टर कार्यालय में रिश्वतखोरी का एक बड़ा मामला सामने आया था। इसें नल्हारगंज क्षेत्र के नायब तहसीलदार नागेंद्र त्रिपाठी ने एक नामांतरण के लिए पटवारी के माध्यम से 50 लाख रुपए की रिश्वत मांग ली थी। मामला उजागर होने के बाद संभागायुक्त दीपक सिंह ने नायब तहसीलदार नागेन्द्र त्रिपाठी (मल्हारंगज) को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। साथ ही विभागीय जांच करने के आदेश दिए थे।
जमीनों के खेल में जुटे हैं तहसीलदार, पटवारी और आरआई
इंदौर कलेक्टर कार्यालय में तहसीलदार, पटवारी और आरआई किसी की नहीं सुन रहे। ये कुछ घटनाएं हैं, जो सामने आ गई हैं और इन पर एक्शन हो गया। हर दिन सैकड़ों लोग परेशान होकर कलेक्टर कार्यालय के चक्कर लगाते रहते हैं, लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं। जरा सोचिए, अगर सुनवाई हो रही होती तो एक किसान अपनी जान क्यों गंवाता। दरअसल, अफसरों की सख्ती के बाद भी तहसीलदार, पटवारी और आरआई अपनी मनमानी करते हैं। अब तो लोग यहां तक कहने लगे हैं कि जैसे थानों में बिना पैसे कोई काम नहीं होता, वैसे ही तहसील की भी हालत है। इंदौर के अधिकांश जमीनों के मामले में ये शामिल होते हैं। इन्हें निलंबन की कार्रवाई का भी भय नहीं है। इसलिए अब इन पर ऐसे मामलों में पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई जानी चाहिए। विभागीय कार्रवाईयों का तो इन पर डर ही नहीं है, हो सकता है पुलिस और कोर्ट की कार्रवाईयों का कुछ असर पड़े।
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