Published On :
16-Apr-2025
(Updated On : 16-Apr-2025 10:27 am )
गुरुग्राम भूमि सौदे में रॉबर्ट वाड्रा से ईडी की पूछताछ जारी, राजनीतिक साजिश का लगाया आरोप.
Abhilash Shukla
April 16, 2025
Updated 10:27 am ET
गुरुग्राम भूमि सौदे में रॉबर्ट वाड्रा से ईडी की पूछताछ जारी, राजनीतिक साजिश का लगाया आरोप
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राहुल गांधी के बहनोई और व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा को हरियाणा के शिकोहपुर भूमि सौदे से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए मंगलवार को तलब किया था। उनसे आज यानी 16 अप्रैल को भी पूछताछ जारी है।
56 वर्षीय रॉबर्ट वाड्रा को इस मामले में पहली बार 8 अप्रैल को समन भेजा गया था, लेकिन वे उस समय उपस्थित नहीं हुए थे। ईडी की जांच वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी द्वारा किए गए एक ज़मीन सौदे से जुड़ी है। जानकारी के अनुसार, फरवरी 2008 में वाड्रा की कंपनी ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से गुड़गांव के शिकोहपुर में 3.5 एकड़ ज़मीन 7.5 करोड़ रुपये में खरीदी थी। बाद में यह जमीन डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेची गई।
मंगलवार को वाड्रा से करीब छह घंटे तक पूछताछ हुई थी, जिसमें बुधवार को भी जारी रहने की बात कही गई है। पूछताछ से पहले वाड्रा ने कहा कि वे इन सबके लिए मानसिक रूप से तैयार हैं और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाया। उन्होंने एक राजनीतिक कार्टून पोस्ट कर कहा कि उनके और राहुल गांधी के खिलाफ साजिश रची जा रही है।
वाड्रा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा, "मैं निर्दोष हूं और सत्य की जीत होगी। मेरे जन्मदिन के सप्ताह के दौरान की जा रही सेवाएं कुछ समय के लिए स्थगित हैं, लेकिन मैं बुजुर्गों को भोजन कराना और बच्चों को उपहार देना जारी रखूंगा। सरकार मुझे अच्छे कार्य करने और अल्पसंख्यकों की आवाज़ उठाने से नहीं रोक सकती।"
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि केंद्रीय एजेंसियों का राजनीतिक लाभ के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है। वाड्रा ने कहा, "मैंने 2019 में भी ईडी को 23,000 से ज्यादा दस्तावेज़ सौंपे थे। यह मामला 20 साल पुराना है और पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है। मैं हर सवाल का जवाब दे रहा हूं, मेरे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है।"
उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका हर लेन-देन नियमों के तहत हुआ है और वे किसी दबाव में नहीं आने वाले हैं।
ईडी इस मामले में आगे की जांच कर रही है और वाड्रा से लगातार पूछताछ जारी है। विपक्ष इसे राजनीतिक प्रतिशोध बता रहा है, जबकि केंद्र सरकार का कहना है कि एजेंसियां केवल अपने कर्तव्यों का पालन कर रही हैं।