आपदा में अवसर के समान है - पिंटू की पप्पी.


पिछले कई दिनों से कम्बख़्त ट्रम्प, मस्क, औरंगजेब, ग्रोक आदि तत्वों ने भेजा फ्रॉय कर रखा था। अब जाकर मोदी जी की प्रेरणा से आपदा में अवसर का नमूना देखने को मिला। भेजे की ज़रूरत ही क्या है? शरीर का सबसे अनावश्यक अंग है यह! इसे घर पर ही रखो और मजे लो। यह संदेश है गणेश आचार्य का।
कहानी है प्रशांत जायसवाल (सुशांत) यानी पिंटू और उसकी गर्लफ्रेंड प्रेरणा (जान्या जोशी) यानी पप्पी की। पिंटू भिया के साथ एक स्ट्रेंज ट्रेजेडी ये है कि बेचारा अपनी प्रेरणा यानी पप्पी की पप्पी नहीं ले सकता क्योंकि उसने देखा है कि अगर उसने गलती से भी अगर किसी लड़की की पप्पी ले ली तो उसकी शादी किसी और से हो जाती है। अब पप्पी समझती है कि उसका पिंटू, पिंटू नहीं, बल्कि झंडू है।
पिंटू की मम्मी बेटे को भाई के पास भेज देती है। कहाँ? निश्चित ही वो जगह गुजरात में कहीं होगी, जहाँ के लोग आपदा में अवसर भुनाने में अव्वल हैं। मामाजी आपदा में भव्य अवसर देखते हैं और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में शिरकत किये बिना ही ऐलान कर देते हैं कि भानजे, घबरा मत। मैं तेरी पप्पी को मुन्नाभाई की झप्पी से ज्यादा लोकप्रिय बना दूंगा। तेरी पप्पी को कामर्शियलाइज़ करूंगा और हम लाखों कमाएंगे।
भारत में लाखों मां -बाप बेटी की शादी नहीं हो पाने की अंतर्राष्ट्रीय चिंता में तमाम आस लेकर जादू-टोना करनेवालों के यहाँ जाते रहते हैं, पिंटू का मामा उन तमाम दुखियारों के लिए आपदा में अवसर लेकर अपने भानजे पिंटू नाम की मशीन लेकर आ जाता है, इधर पिंटू की पप्पी, उधर ब्याह की शहनाई! चट पप्पी, झट बियाव!
हरेक आपदा का अवसर बहुत क्रूड होता है, वैसे ही यह फिल्म भी है। मस्क के ग्रोक की तरह यह फिल्म भी क्रूड मनोरंजन प्रदान करती है। बाकी के मसाले भी कूट छानकर डाल दिए हैं जैसे गीत-संगीत, फाइटिंग, रोमांस आदि। निर्माता गणेश आचार्य जानेमाने कोरियोग्राफर ठहरे, उनके लिए उदित नारायण, शान, हिमेश रेशमिया, सुनिधि चौहान, श्रेया घोषाल, जावेद अली, अजय गोगावले, अभय जोधपुरकर, राहुल सक्सेना और नरोत्तम बेन जैसे गायकों ने गीत गाये हैं।
गणेश आचार्य और हीरो-हीरोइन के अलावा विजय राज, मुरली शर्मा, अली असगर, सुनील पाल, अजय जाधव, पूजा बनर्जी, अदिति संवाल, रिया एस सोनी, उर्वशी चौहान, प्युमोरी मेहता दास, मुक्तेश्वर ओझा आदि भी हैं।
पिंटू की पप्पी नाम ठीक ही है। अगर फिल्म का नाम 'प्रशांत की प्रेरणा' होता तो कौन उल्लू का पट्ठा टॉकीज़ में जाता?
टाइमपास है पिंटू और उसकी पप्पी!
Article By :
-डॉ.प्रकाश हिन्दुस्तानी, वरिष्ठ पत्रकार
भेजे की ज़रूरत ही क्या है? शरीर का सबसे अनावश्यक अंग है यह! इसे घर पर ही रखो और मजे लो। यह संदेश है गणेश आचार्य का।