महापौर पुत्र भाषण विवाद में आखिर विपक्ष के हाथ ‘उस्तरा’ किसने पकड़ाया?.


भारी बहुमत से भाजपा के टिकट पर जीते महापौर पुष्यमित्र भार्गव के पुत्र ने एक वाद-विवाद प्रतियोगिता में सरकार के खिलाफ क्या बोल दिया, लोगों ने उसे मुद्दा बना लिया। मुद्दा भी ऐसा-वैसा नहीं, नेशनल लेवल का। अब आगे महापौर पुत्र को इसका क्या फायदा मिलता है, यह तो समय ही बताएगा लेकिन यहां एक सवाल यह है कि आखिर विपक्ष के हाथ में मुद्दा रूपी उस्तरा किसने दिया?
एक सामान्य सी प्रक्रिया है। वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रतिभागियों को पक्ष या विपक्ष में बोलने के लिए अपना नाम लिखवाना पड़ता है। अभी तक की परंपरा में ऐसा सुनने में नहीं आया कि प्रतिभागी को जबरदस्ती विपक्ष या पक्ष में बोलने को कहा जाए। जब विषय का चयन हो गया था तो क्या भाजपाई आयोजकों को यह पता नहीं था कि इस पर विवाद खड़ा होगा। वह भी तब जब सीएम स्वयं उस कार्यक्रम में मौजूद रहने वाले थे।
महापौर भार्गव को भी पाक-साफ मान लेना उचित नहीं होगा। जिसके घर भी बच्चे हैं सबको पता है कि ऐसे आयोजनों की तैयारी घर में ही कराई जाती है। यह भी मान लिया जाए कि महापौर को भाषण के अंशों की जानकारी नहीं होगी, लेकिन यह तो पता ही होगा कि उनका बेटा सरकार के खिलाफ बोलने जा रहा है वह भी सीएम के सामने।
भले ही सीएम ने हंसी-मजाक में इसे लिया, लेकिन क्या इससे यह पता नहीं चलता कि सीएम को यह भाषण पसंद नहीं आया। कोई भी सीएम अपनी ही सरकार की बुराई अपने सामने कैसे सुन सकता है?
अब जबकि विपक्ष हमलावर है। भाजपा भी पलटवार कर रही है। नेशनल लेवल पर इसकी खबरें चल रही हैं। भाषण भी वायरल हो रहा है। बड़ा सवाल यह है कि क्या इससे बचा नहीं जा सकता था? आखिर विपक्ष को हंसी उड़ाने का मौका किसने दिया?
भाजपा में यह भी कहा जा रहा है कि सीधे-साधे नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा ने कहीं हिसाब तो नहीं चुकता कर लिया। हाल ही में जब उन्होंने महापौर पर टिप्पणी की थी, तो उसकी शिकायत भोपाल तक पहुंच गई थी। इसके साथ ही भाजपा की नई चौकड़ी के प्रमुख किरदार मनोज पटेल के कार्यक्रम में इस घटना के होने पर भी लोग कई सवाल उठा रहे हैं।
बात चाहे जो भी हो, लेकिन हजम करने लायक तो नहीं। यह तो वैसे ही हुआ, जैसे दरोगा का बेटा चोरी करते पकड़ा जाए या पंडितजी का बेटा कसाई की दुकान पर मुर्गा कटवाता दिखे। ऐसा होगा, तो सवाल उठेंगे ही।