घोटालेबाजों का अड्डा बना नगर निगम, कोई भी हिला जाता है ‘नींव’.


मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी और देश के सबसे स्वच्छ शहर का नगर निगम घोटालेबाजों का अड्डा बन गया है। घाटालों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। तमाम ऑनलाइन सिस्टम लागू होने के बाद भी घोटालेबाज अपनी जादूगरी दिखा ही जाते हैं।
अभी पिछले साल ही तो एक बड़ा फर्जी बिल घोटाला उजागर हुआ था, जिसमें नगर निगम के पुराने जादूगर इंजीनियर अभय राठौर अंदर हुए थे। उससे पहले नाला टैपिंग घोटाला, नर्मदा पाइप लाइन घोटाला जैसे कई घोटाले हो चुके हैं। अब एक बार फिर से फर्जी बिलों के माध्यम से 11 करोड़ रुपए का भुगतान कराने का मामला सामने आया है। नींव कंस्ट्रक्शन के साजिद ने 185 बिल प्रस्तुत किए थे, जिनमें से 169 बिल फर्जी पाए गए। इस घोटाले की गंभीरता का अनुमान लगाइए कि सिर्फ 16 बिल वास्तविक निकले। इसका मतलब साफ है कि नगर निगम में अभी भी बिना काम कराए ही करोड़ों रुपए का भुगतान हो रहा है। वह भी तब जब पिछले साल ही फर्जी बिल का बड़ा घोटाला पकड़ा जा चुका है। इससे यह भी जाहिर है कि नगर निगम के बड़े अधिकारियों ने पुराने घोटालों से कोई सबक नहीं लिया। और यह भी कि निगम में अभी भी घोटालेबाज बेधड़क अपना काम कर रहे हैं।
विंडबना यह है कि नींव कंस्ट्रक्शन को इससे पहले भी अनियमितताओं के चलते ब्लैकलिस्ट किया गया था। इसके बावजूद उसने फिर से ठेके ले लिए। आखिर यह जादूगरी बिना नगर निगम के अधिकारियों के मिलीभगत के कैसे संभव है? अब जरा पिछले साल के फर्जी बिल घोटाले में पकड़ाए इंजीनियर अभय राठौर की भी बात कर लेते हैं। यह वही अभय राठौर हैं जो पहले नर्मदा पाइप लाइन घोटाले में पकड़े गए थे। इसके बाद भी उन्हें प्रमुख जिम्मेदारी दी जाती रही।
पता नहीं नगर निगम के कर्णधार दोषी और भ्रष्ट अधिकारियों को ही बार-बार महत्वपूर्ण जिम्मेदारी क्यों दे देते हैं? हर बार घोटाला होता है, कुछ बाबू और अफसर पकड़े जाते हैं। फिर उन्हें दूसरे विभागों में भेजने का नाटक होता है। कुछ समय बाद वे फिर से मोटी कमाई वाली कुर्सियों पर बैठे नजर आते हैं। ताज्जुब तो तब होता है कि जब पाई-पाई के लिए तरस रहे नगर निगम का करोड़ों रुपया बिना काम कराए ही अफसर और ठेकेदार मिलकर डकार जाते हैं। आखिर जनता की मेहनत की कमाई और शहर हित के पैसे पर कब तक डाका डाला जाता रहेगा?
महापौरजी, अब जरूरत है देश में सात बार स्वच्छता में आने वाले इस शहर के नगर निगम को भी स्वच्छ करने की। अगर ऐसा नहीं हुआ तो निगम के सिस्टम में घुन की तर घुसे घोटालेबाज पूरा सिस्टम ही खोखला कर देंगे।