इस त्योहार मिलावटी मिठाई खाने के लिए हो जाइए तैयार, चार माह से नहीं मिल रही जांच रिपोर्ट, अकेले इंदौर के 400 से अधिक सैंपल अटके.


इंदौर। इस साल दशहरा-दीपावली पर मिलावटी मिठाई और अन्य सामान खाने के लिए आप तैयार रहिए, क्योंकि पिछले तीन-चार माह से सामानों की जांच रिपोर्ट ही नहीं आ रही है। विभाग छापेमारी कर तो जांच के लिए सैंपल स्टेट फूड लैब भोपाल भेजता है, लेकिन रिपोर्ट नहीं आने से कोई कार्रवाई नहीं हो रही। लैब के चीफ एनालिस्ट का दावा है कि रिपोर्ट भेजी जा रही है, लेकिन इंदौर के अधिकारियों का कहना है कि पिछले तीन-चार माह से 400 से ज्यादा सैंपल की रिपोर्ट ही नहीं आई।
उल्लेखनीय है कि हर त्योहार में मिठाइयों तथा अन्य खाद्य सामग्रियों की मांग बढ़ जाती है। मिलावटखोर इस मौके का फायदा उठाकर भारी पैमाने पर मिलावटी सामान प्रदेश सहित इंदौर के बाजारों में खपाते हैं। हर साल दीपावली से पहले ग्वालियर से आया मिलावटी मावा काफी मात्रा में पकड़ा जाता है। पिछले तीन-चार माह से खाद्य विभाग ने सैंपल तो लिए, जांच के लिए भेजा भी, लेकिन रिपोर्ट नहीं आने से संबंधित दुकानदारों या कंपनियों पर कार्रवाई नहीं हो पाई। मिलावटखोर इसका जबरदस्त फायदा उठाएंगे और इस त्योहार पहले से भी ज्यादा मिलावटी सामान बाजारों में होगा।
लैब को एनएबीएल सर्टिफिकेट ही नहीं मिला
दरअसल पूरा मामला एक सर्टिफिकेट का है। खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के अनुसार सरकारी व निजी प्रयोगशालाओं को नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेट्रीज (एनएबीएल) से सर्टिफिकेट लेना जरूरी होता है। भोपाल स्थित स्टेट फूड लैब को 2023 में यह सर्टिफिकेट मिला था। इसकी अवधि दो साल की होती है, जो मई में खत्म हो गई। इसके बाद से सर्टिफिकेट जारी नहीं हो रहे हैं। इंदौर सहित अन्य जिलों के खाद्य विभाग ने लैब को पत्र लिखा, इसके बाद भी रिपोर्ट नहीं आ रही।
चीफ एनालिस्ट ने कहा-रिपोर्ट दे रहे हैं
भोपाल स्थित स्टेट फूड लैब के चीफ एनालिस्ट संदीप विक्टर का कहना है कि जांच भी हो रही है और रिपोर्ट भी जारी की जा रही है। जब उनसे एनएबीएल सर्टिफिकेट के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि प्रक्रिया पूरी हो गई है, लेकिन सर्टिफिकेट अभी नहीं मिला है। एनएबीएल द्वारा सर्टिफिकेशन के लिए ऑडिट भी किया जा चुका है, जल्द ही सर्टिफिकेट भी आ जाएगा।
बिना सर्टिफिकेट रिपोर्ट का कोई मतलब नहीं
इंदौर के खाद्या विभाग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि लैब की तरफ से रिपोर्ट नहीं आ रही है। तीन-चार माह से चार सौ से ज्यादा सेंपल की रिपोर्ट पेंडिंग है। उन्होंने कहा कि अगर लैब बिना एनएबीएल सर्टिफिकेट के रिपोर्ट जारी भी करता है तो उस आधार पर कार्रवाई नहीं हो सकती। कोई भी व्यापारी इस रिपोर्ट को कोर्ट में चुनौती दे सकता है। ऐसे में कार्रवाई करने में परेशानी आ रही है।
बड़ा सवाल-स्वास्थ्य के साथ क्यों हो रहा खिलवाड़
इस पूरे मामले में बड़ा सवाल यह है कि आखिर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ क्यों किया जा रहा? मध्यप्रदेश के एकमात्र लैब को एनएबीएल सर्टिफिकेट क्यों नहीं मिल पा रहा? क्या लैब मापदंडों के अनुरूप नहीं है या फिर कोई और गड़बड़ी है। मई महीने में सर्टिफिकेट खत्म हो जाने के बाद भी जिम्मेदार अब तक चुप कैसे बैठे रहे, वह भी तब जब त्योहार नजदीक हैं? इससे साफ जाहिर है कि सरकार के इन विभागों को आम जनता के स्वास्थ्य की कितनी चिन्ता है।