शराब कारोबारियों से ईडी ने जब्त किए 7.44 करोड़, 71 लाख रुपए और लॉकर फ्रीज, संपत्तियों के कई दस्तावेज मिले.


भोपाल। फर्जी चालान घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के इंदौर उप-क्षेत्रीय कार्यालय ने सोमवार को इंदौर, भोपाल और मंदसौर में शराब ठेकेदारों के 13 परिसरों पर छापा मारा था। इस कार्रवाई में 7.44 करोड़ रुपए जब्त किए। बैंक खातों में जमा 71 लाख रुपए और बैंक लॉकर भी फ्रीज किए हैं। सूत्र बताते हैं कि टीम ईडी ने तलाशी के दौरान विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज और करोड़ों रुपए की अचल संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज भी जब्त किए हैं। ये दस्तावेज करोड़ों की अचल संपत्ति के हो सकते हैं। इस मामले में जांच जारी है। आगे चलकर आरोपियों की गिरफ्तारी की भी संभावना है।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को इंदौर में बसंत विहार, महालक्ष्मी नगर, तुलसी नगर में अफसरों और शराब ठेकदारों के मकानों पर छापे मारे गए है। अफसरों की मिलीभगत से ठेकदार फर्जी चालान भरते थे और राशि को खजाने में जमा दिखाया जाता था। यह घोटाला 100 करोड़ का है। वर्ष 2018 में यह घोटाला सामने आया था। तब छह अधिकारी व कर्मचारी निलंबित हुए थे और 14 ठेकेदारों के खिलाफ प्रकरण भी दर्ज किए गए थे। इंदौर में राकेश जायसवाल ग्रुप, योगेंद्र जायसवाल, अविनाश और विजय श्रीवास्तव, राहुल चौकसे, गोपाल शिवहरे,सूर्यप्रकाश अरोरा और प्रदीप जायसवाल के घर और दफ्तरों में पहुंचे ईडी के अफसरों ने घोटाले से जुड़े दस्तावेज जांचे और सबूत जुटाए।
2018 में हुआ था घोटाला
वर्ष 2018 में यह घोटाला सामने आया था, लेकिन उससे पहले तीन साल तक धीरे-धीरे सरकार के खजाने में सेंध लगाई जा रही थी। तब इंदौर में सहायक आबकारी आयुक्त संजीव कुमार दुबे थे। जमा चालानों का मिलान नहीं किया गया, इस कारण घोटाला लगातार जारी रहा और 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के चालानों की फर्जी एंट्री दिखाई गई। साल भर पहले ईडी ने इस घोटाले की जांच अपने हाथ में ली थी। इसके बाद अब छापे मारे जा रहे है।
एफआईआर के आधार पर हुई जांच
प्रवर्तन निदेशालय ने यह जांच एक एफआईआर के आधार पर शुरू की है, जिसमें आरोप है कि कुछ शराब ठेकेदारों ने फर्जी चालान और दस्तावेजों के जरिए सरकार को करोड़ों का राजस्व नुकसान पहुंचाया। सूत्रों के अनुसार, वित्त वर्ष 2015-16 से 2017-18 के बीच इन ठेकेदारों ने नकली चालान के माध्यम से शराब खरीदने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) हासिल किए। जांच में यह सामने आया है कि आरोपी शराब ठेकेदार चालानों में जान बूझकर हेरफेर करते थे। चालान में राशि अंकों में भरी जाती थी, लेकिन शब्दों में राशि के लिए छोड़ी गई जगह को खाली रखा जाता था। बैंक में मूल राशि जमा करने के बाद, ठेकेदार बाद में चालान की कॉपी में उस खाली जगह पर लाखों रुपये जोड़ देते थे।
14 लोगों पर दर्ज हुआ था केस
इस घोटाले को लेकर 12 अगस्त 2017 को रावजी बाजार पुलिस स्टेशन में 14 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया था। उस समय आबकारी विभाग के कई अफसरों को भी निलंबित किया गया था। निलंबित अधिकारियों में जिला आबकारी अधिकारी संजीव दुबे और अन्य कई अधिकारी शामिल थे। आरोप है कि आबकारी विभाग में इसके पहले तीन साल से फर्जी चालान जमा किए जा रहे थे। आबकारी विभाग के अफसरों को हर 15 दिन में चालान को क्रॉस चेक करना (तौजी मिलान) होना था, लेकिन उन्होंने तीन साल तक ऐसा नहीं किया। यही वजह रही कि आबकारी विभाग के सहायक आयुक्त संजीव कुमार दुबे सहित छह अफसरों को निलंबित कर दिया था। निलंबित अधिकारियों में लसूड़िया आबकारी वेयरहाउस के प्रभारी डीएस सिसोदिया, महू वेयर हाउस के प्रभारी सुखनंदन पाठक, सब इंस्पेक्टर कौशल्या सबवानी, हेड क्लर्क धनराज सिंह परमार और अनमोल गुप्ता के नाम भी शामिल हैं। इसके अलावा 20 अन्य अधिकारियों के तबादले भी किए थे, जिनमें उपायुक्त विनोद रघुवंशी का नाम भी शामिल था।