राजनीति से अलग…देपालपुर में इन दिनों ‘राम-लक्ष्मण’ की जोड़ी की तरह चर्चा में हैं मनोज पटेल-रवि पटेल.


इंदौर। राजनीति में अक्सर नेताओं की निजी जिंदगी को नजरअंदाज कर दिया जाता है। हां, बड़े नेताओं की जिंदगी की खबरें जरूर बाहर आती हैं। उनकी निजी जिंदगी में झांकने की कोशिश भी होती, लेकिन सामान्य नेताओं पर लोग कम ही ध्यान देते हैं। आजकल देपालपुर क्षेत्र में विधायक मनोज पटेल की खूब चर्चा है, लेकिन राजनीति से इसका कोई लेनादेना नहीं है। न तो उन्होंने किसी मंत्री का पोस्टर जलाया है और न ही किसी अधिकारी को चमकाया है, यह निहायत ही उनका निजी मामला है, लेकिन चर्चा है तो चर्चा होनी भी चाहिए।
भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मनोज पटेल को पिछले कुछ समय से काफी कम सक्रिय देखा है। कभी दिखे भी तो चेहरे पर चिन्ता की लकीरें दिखीं। करीब चार-पांच माह के बाद अब उनके चेहरे पर खुशी नजर आ रही है। इस खुशी का कारण अपने छोटे भाई रवि पटेल को मौत के मुंह से निकाल लाना है। दरअसल मनोज पटेल के छोटे भाई रवि पटेल को पांच-छह माह पहले ज्वाइंडिस हुआ था। इलाज के दौरान पता चला कि उनका लीवर पूरी तरह डैमेज हो चुका है। डॉक्टरों ने कहा कि अगर लीवर ट्रांसप्लांट नहीं हुआ तो जान बचाना मुश्किल है। रवि पटेल की पत्नी लीवर देने को राजी हो गईं। जांच-पड़ताल के बाद डॉक्टरों ने हामी भर दी। फिर इंदौर के जुपिटर हॉस्पिटल में रवि का लीवर ट्रांसप्लांट कर दिया गया।
चार महीने से कर रहे सेवा
ट्रांसप्लांट के बाद के तीन-चार महीने बहुत ही जोखिमभरे होते हैं। पटेल सारा काम छोड़कर भाई की सेवा में जुटे रहे। इस दौरान उनका फील्ड में जाना भी कम हुआ और लोगों से संपर्क भी कम ही हो पाता था। अब उनके गांव के लोग ही कह रहे हैं कि जिस तरह लक्ष्मण ने अपने भाई राम के लिए कोशिश की, उसी तरह मनोज पटेल ने कोशिश की। भले ही यहां उनकी भूमिका राम की रही हो।
भाई को ही सबकुछ मानते हैं पटेल
मनोज पटेल के करीबी लोगों का कहना है कि वे भाई रवि पटेल को ही सबकुछ मानते हैं। वे कहते भी हैं कि रवि ही उनके लिए माता-पिता से लेकर सबकुछ है। देपालपुर में उन्हें रॉबिन हुड भी कहा जाता है। मुसीबतों से पार पाना उन्हें आता है। रवि की बीमारी वाली बात भले ही सार्वजनिक न हुई हो, लेकिन देपालपुर के लोगों को सब पता है और लोग पटेल के भाई प्रेम की दुहाई दे रहे हैं।