Published On :
04-Mar-2025
(Updated On : 04-Mar-2025 11:27 am )
90 घंटे काम करने की सलाह पर अखिलेश यादव का तंज – .
Abhilash Shukla
March 4, 2025
Updated 11:27 am ET
90 घंटे काम करने की सलाह पर अखिलेश यादव का तंज – "इंसान हैं या रोबोट?"
नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत द्वारा भारतीयों को हफ्ते में 90 घंटे काम करने की सलाह दिए जाने के बाद इस पर सियासी बयानबाज़ी तेज हो गई है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस पर तंज़ कसते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा जो लोग कर्मचारियों को 90 घंटे काम करने की सलाह दे रहे हैं, कहीं वो इंसान की जगह रोबोट की बात तो नहीं कर रहे? इंसान तो जज़्बात और परिवार के साथ जीना चाहता है।
अखिलेश का सवाल – 'आम जनता को क्या फायदा?'
अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि अगर अर्थव्यवस्था की प्रगति का लाभ सिर्फ़ कुछ गिने-चुने लोगों को ही मिलेगा, तो फिर 30 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी हो जाए या 100 ट्रिलियन की, आम जनता को उससे क्या?"
क्या कहा था अमिताभ कांत ने?
पूर्व नीति आयोग सीईओ अमिताभ कांत ने अपने बयान में कहा था कि अगर भारत को 4 ट्रिलियन डॉलर से 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है, तो इसके लिए कड़ी मेहनत करनी होगी – चाहे हफ्ते में 80 घंटे हो या 90 घंटे। उन्होंने कहा कि महज़ मनोरंजन या फिल्मी सितारों के विचारों का अनुसरण करके यह लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता।
क्यों उठा यह मुद्दा?
इससे पहले लार्सन एंड टूब्रो (L&T) के चेयरमैन एस. एन. सुब्रह्मण्यन ने कहा था कि कर्मचारियों को सप्ताह में 90 घंटे तक काम करना चाहिए और रविवार को भी काम करने पर विचार करना चाहिए।
इसके अलावा, इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति भी कह चुके हैं कि भारत को आगे बढ़ाने के लिए युवाओं को कम से कम 70 घंटे काम करना चाहिए।
लोगों की तीखी प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इन बयानों की कड़ी आलोचना हो रही है।
लोग सवाल उठा रहे हैं कि 90 घंटे की मेहनत का लाभ किसे मिलेगा – आम जनता को या सिर्फ़ बड़ी कंपनियों को?
वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर बहस तेज हो गई है।
क्या भारत में यह संभव है?
भारत में पहले से ही कई सेक्टर में लंबे वर्किंग ऑवर्स हैं। ऐसे में 90 घंटे काम करने की सलाह से सवाल उठता है कि क्या यह शारीरिक और मानसिक रूप से व्यावहारिक है या फिर सिर्फ़ कॉरपोरेट हितों को बढ़ावा देने का एक प्रयास?
आपका क्या विचार है – क्या 90 घंटे काम करना सही दिशा में एक कदम है, या फिर यह वर्कर्स के शोषण का नया तरीका? कमेंट कर राय व्यक्त करें