श्री गुरु सिंह सभा में नियुक्तियों को लेकर घमासान, अध्यक्ष और महासचिव में शुरू हुआ लेटर युद्ध, एक इस्तीफे से मचा बवाल.


इंदौर। श्री गुरु सिंह सभा में हाल ही में बनी कुछ कमेटियों और नियुक्तियों को लेकर घमासान शुरू हो गया है। श्री गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष हरपाल सिंह भाटिया उर्फ मोनू भाटिया ने कुछ गुरुद्वारों में कमेटियों का गठन कर दिया। इसके साथ ही यूथ विंग के अध्यक्ष की नियुक्ति भी कर दी। इसके बाद महासचिव प्रितपाल सिंह भाटिया ने इसमें कुछ संशोधन कर दिए। अब दोनों एक-दूसरे पर आरोप लगाकर इन नियुक्तियों को गलत ठहरा रहे हैं। इसी बीच खालसा पैनल से चुनाव लड़ चुके सतबीर सिंह छाबड़ा ने अपना इस्तीफा दे दिया।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब गुरु अमरदास हॉल में जॉब फेयर का आयोजन किया गया था। इसी में मोनू भाटिया ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए सुदामानगर गुरुद्वारा तथा संत नगर गुरुद्वारा की कमेटी की महिला और पुरुष कमेटी गठित कर दी। इसके साथ ही इंदौर सिख यूथ विंग का अध्यक्ष भी नियुक्त कर दिया। इसके बाद महासचिव प्रितपाल सिंह भाटिया ने मोनू भाटिया की सूची में उलटफेर कर दिया। इस पर नाराज मोनू भाटिया ने प्रितपाल सिंह भाटिया को पत्र लिखा और उसे सोशल मीडिया पर भी डाल दिया।
मोनू भाटिया ने अधिकार से बाहर बताया
अध्यक्ष मोनू भाटिया ने महासचिव प्रितपाल सिंह को पत्र लिखकर आपत्ति जताते हुए कहा कि श्री गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष द्वारा सुदामा नगर एवं संत नगर गुरुद्वारा समितियों का गठन किया गया था। आपने अध्यक्ष की सहमति के बिना उक्त समितियों के आदेश में संशोधन किया है। इस संबंध में आपका स्पष्टीकरण आवश्यक है। मोनू ने पत्र में लिखा कि यह आपके अधिकार क्षेत्र के बाहर है। नियमों में स्पष्ट रूप से यह उल्लेखित नहीं है कि सेक्रेटरी अध्यक्ष की अनुमति के बिना स्वयं किसी समिति का गठन या संशोधन कर सकता है। अतः सेक्रेटरी के अधिकारों की सीमा में यह कार्य शामिल नहीं है। इसलिए, आपकी और से जारी किया गया यह पत्र, जिसमें मूल आदेश का संशोधन किया गया था, तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाता है। साथ ही दोनों गुरुद्वाराओं की प्रबंध समितियों के प्रधानों को स्पष्ट निर्देश दिए जा रहे हैं कि मौजूदा समितियों में किसी भी नए सदस्य का नाम जोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
महासचिव ने दिया मोनू भाटिया को जवाब
महासचिव प्रतिपाल सिंह भाटिया ने मोनू भाटिया के पत्र का जवाब देते हुए नियमों के हवाले से महासचिव के कार्यों का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि नियम 33-ए में जिक्र है कि आम सभा की कार्यकारिणी सभा तथा उनकी जितनी भी बनाई हुई कमेटियां हों उनके काम पर दृष्टि रखे और सभा की उन्नति करना और पता लगने पर कोई भी आयोग्य काम होने से रोक देने का हुकुम देना और उसे कार्यकारिणी में पेश करना। इस बायलॉज के अनुसार यह अधिकार आपके पास भी नहीं है कि आप अकेले कोई समिति का गठन कर सकें। इन समितियों को गठित करने के लिए कार्यकारिणी सदस्यों की सहमति अति आवश्यक है। इसलिए आपसे निवेदन है कि कोई भी समितियां बनानी हो तो मुझे बताएं। मैं कार्यकारिणी सदस्यों को एजेंडा लिखकर कार्यकारिणी मीटिंग बुलउंगा जिसमें इसे विधिवत पास किया जाएगा। संगत ने मुझे श्री गुरु सिंघ सभा इन्दौर का सेक्रेटरी गुरुघर की और संगत की सेवा करने के लिए बनाया था मैं तो आपसी सहमति और सहयोग के हिसाब से मिलकर काम करने का प्रयास कर रहा था।
रजिस्टर घर पर रखने का भी किया जिक्र
महासचिव प्रितपाल सिंह भाटिया ने लिखा है कि नियमों के अनुसार सभा के सामान का ब्यौरा एक रजिस्टर में रखना और उसकी हिफाजत करना भी महासचिव का दायित्व है। इस हिसाब से श्री गुरु सिंध सभा इन्दौर का रजिस्टर और सभी दस्तावेज ऑफिस में ही होने चाहिए, लेकिन आपने आम सभा संबंधित सभी दस्तावेज एवं कार्यकारिणी का रजिस्टर अपने घर ले जाकर रखे हैं। इसकी सभा में रोज आवश्यकता पड़ती है, कृपा उक्त रजिस्टर को अति शीघ्र सभा के ऑफिस में जमा कराएं। महासचिव ने अंत में लिखा है कि अध्यक्ष कार्यकारिणी के सदस्यों के बिना अनुमति के समिति का गठन नहीं कर सकता है। इसलिए आपके द्वारा जारी किया गया पत्र जिसमें आपने समितियों का गठन किया था अमान्य माना जाएगा। साथ ही जो भी कमेटियों का गठन हुआ है वह अमान्य माना जाएगा।
सतबीर सिंह छाबड़ा ने लगाए कई आरोप
इसी घटनाक्रम में एक और घटनाक्रम तब जुड़ गया जब खालसा पैनल से चुनाव लड़ चुके सतबीर सिंह छाबड़ा ने अपना इस्तीफा दे दिया। मोनू भाटिया और प्रितपाल सिंह भाटिया को भेजे अपने इस्तीफे में उन्होंने लिखा कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए अपने सभी दायित्यों से त्यागपत्र देता हूं। निवेदन है कि हमें संगत ने जिस उद्देश्य से समाज में आपसी भाईचारे व समाज में एकता के लिए अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए हमें निर्वाचित कर पूरी पैनल को विजयी कर गुरु घर की सेवा के लिए भेजा गया था, लेकिन आपसी सांमजस्य न बैठने का खामियाजा श्री गुरु सिंघ सभा के हर सदस्य को भुगतना पड़ रहा है। आज समाज का हर व्यक्ति जिसने हमें चुना वह अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है। प्रधान साहब व सचिव जी को आपसी सांमजस्य बैठाने की आवश्यकता है। हमें आप दोनों के बीच समन्वय न बैठने के कारण असहज महसूस हो रहा है। हम श्री गुरू सिंघ सभा कि साख के साथ भी खिलवाड़ कर रहे हैं। इसके दोषी हम 17 सदस्य भी हैं, अगर हम सही बात मिलजुल के दोनों के सामने रख विचार करते तो शायद यह नौबत नहीं आती। इसके साथ ही उन्होंने कई अन्य बातें भी इस्तीफे में लिखी हैं।