महापौर परिषद को समय सीमा में बांधने पर भड़कीं भोपाल की महापौर मालती राय, एसीएस संजय शुक्ला को पत्र लिखकर फाइलों में देरी के लिए अफसरों को ठहराया जिम्मेदार.


भोपाल। सरकारी कामकाज के दौरान जनप्रतिनिधियों और अफसरों के बीच तनातनी चलती रहती है। ताजा विवाद भोपाल की महापौर मालती राय और अपर मुख्य सचिव (एसीएस) संजय शुक्ला के बीच का है। विभाग ने महापौर परिषद को फाइलें मंजूर करने के लिए समय सीमा में बांधने की कोशिश की, तो मालती राय ने एसीएस शुक्ला को पत्र लिखकर कहा कि देरी का कारण जनप्रतिनिधि नहीं, बल्कि अफसर हैं।
महापौर राय ने बताया कि मेयर इन कौंसिल के लिए आदेश निकाला गया है कि 10 दिन की समय सीमा में फाइल का निराकरण करना रहेगा। इस पर प्रदेश के सभी महापौरों ने आपत्ति दर्ज कराई है। इसी के लिए अपर मुख्य सचिव को यह पत्र लिखा है। महापौर राय ने लेटर में लिखा कि प्रदेश के सभी महापौर और अध्यक्ष चुने हुए जनप्रतिनिधि हैं। सभी महापौर अपने पदीय दायित्वों के निर्वाहन के लिए सचेत हैं और नगर पालिका निगम अधिनियम-1956 एवं इसके तहत बनाए गए सभी नियमों का ज्ञान रखते हैं। महापौर या एमआईसी को प्राप्त प्रकरणों का निराकरण यथासंभव शीघ्र और समय-सीमा में हो, इससे भी अवगत है। निकाय हित में एवं जनहित में प्रत्येक प्रकरण का समय-सीमा में निराकरण का ध्यान रखा जाता है।
महापौर ने अधिकारियों को ठहराया दोषी
महपौर ने पत्र में लिखा कि संचालनालय के 28 मई-25 को लिखे गए पत्र से ऐसा प्रतीत होता है कि संभवतः प्रकरण के निराकरण में विलंब के लिए महापौर या एमआईसी ही दोषी है। यह संज्ञान में लाना चाहेंगे कि नगर विकास हित, जनहित में जिन कार्यों के लिए कमिश्नर एवं उनके अधिकारियों को कहा जाता है, उसमें अनावश्यक विलंब किया जाता है। महापौर परिषद द्वारा पारित प्रस्तावों के क्रियान्वयन में अनावश्यक विलंब किया जाता है। बिना किसी ठोस आधार के महापौर या एमआईसी को प्रकरण के निराकरण में विलंब के लिए दोषी ठहराना चुने हुए जनप्रतिनिधियों की गरिमा के विरुद्ध है। किसी भी स्थिति में इसे उचित नहीं कहा जा सकता। इस विषय में प्रदेश के सभी महापौर में नाराजगी है।
मालती राय ने कहा- अधिकारियों को दें निर्देश
महापौर राय ने सुझाव दिया कि नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग सभी कमिश्नर एवं अधिकारियों को प्रकरण का निराकरण एक निश्चित समयावधि में करने के लिए निर्देश दें। नगर निगमों में यह कार्यप्रणाली विकसित की जाए कि निकाय के सभी विभागों की फाइलों का मूवमेंट ऑनलाइन दर्शित हो कि किस अधिकारी के पास कौन सी नस्ती कितने दिन से लंबित है। या कितने दिन में निराकरण कर दिया गया है।