संघ प्रमुख मोहन भागवत ने किया मंत्री प्रहलाद पटेल की पुस्तक-परिक्रमा कृपा सार का लोकार्पण, कहा-दुनिया श्रद्धा विश्वास पर चलती है.


इंदौर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आज इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेशन सेंटर में प्रदेश के मंत्री प्रहलाद पटेल की नर्मदा परिक्रमा पर लिखी किताब-परिक्रमा कृपा सार का लोकार्पण किया। इस अवसर पर संघ प्रमुख ने कहा कि हमारा देश श्रद्धा का देश है। यहां कर्मवीर भी है और तर्कवीर भी है। तर्क में हमारा देश कहीं पीछे नहीं है। जीवन चलता है श्रद्धा विश्वास के आधार पर। जिनको जड़वादी कहा जाता है वे भी आजकल इसे मानते हैं।
संघ प्रमुख ने कहा कि हमारे यहां श्रद्धा काल्पनिक नहीं है। प्रत्यक्ष प्रतीती के आधार पर बनी श्रद्धा है। प्रत्यक्ष प्रमाण चाहिए। हमारे भारत की श्रद्धा के लिए प्रत्यक्ष प्रमाण है, उसे आपके साथ साझा करने वाले लोग हैं। आपको भी चाहिए तो वह आप ले सकते हो, प्रयास आपको करना होगा। श्रद्धा और विश्वास को हमारे यहां भवानी शंकर कहा गया है। अपने अंदर है भगवान। बड़े बड़े सिद्ध महात्मा भी बिना श्रद्धा और विश्वास के उसके दर्शन नहीं कर सकते।
संघ प्रमुख ने कहा कि यह श्रद्दा किस प्रतीती से आई होगी, वर्ना मनुष्य तो जो दिखता है उसी को मानती है। जो नहीं दिखता है वह है ही नहीं, विज्ञान भी इसे ही मानता है। हमारे यहां ऐसा नहीं है। हमारे यहां इसके आगे है। हमारे यहां उपनिषद है, जो पुराने उपनिषद है वह सत्य को बाहर खोजते हैं। सत्य अग्नि में है क्या, आकाश में है क्या, वायु में है क्या? बाहर की खोज अब बंद हो गई। सत्य और सुख बाहर मिलता नहीं है। जो मिलता है वह तात्कालिक हो जाता है। वह हमारी तृष्णा को तृप्त नहीं कर सकती। मनुष्य को कभी फीका नहीं पड़ने वाला सुख चाहिए। वह बाहर नहीं मिलता। रसगुल्ले का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें सुख नहीं है। कुछ दिनों बाद लगता है कि इसे देखते ही उल्टी हो रही है। बाहर सुख नहीं मिलता, सुख तो अंदर है। हमने अंदर खोजा। खोजते खोजते हमारे पूर्वजों को एक सत्य मिला। इस सत्य ने उन्हें बताया कि सब में वही सत्य है। दुनिया में झगड़े होते हैं कि भगवान एक है। हमारे दार्शनिक कहते हैं कि सिर्फ भगवान ही है। हमारा जीवन सबको अपना मान कर चलता है। अपनेपन से सबका व्यवहार होता है क्या। जब तक हम मैं और मेरे के भ्रम में हैं तब तक वो और उसका रहेगा। इसलिए दुनिया में संघर्ष होता है। हमारे पूर्वजों ने जाना कि मैं और मेरा एक स्तर पर चलता है, इसके बाद नहीं है।
किताब की आय गौसेवा और पथिकों पर खर्च होगी
कार्यक्रम की शुरुआत में मंत्री प्रहलाद पटेल और सीएम डॉ.मोहन यादव ने संघ प्रमुख मोहन भागवत और महामंडलेश्वर ईश्वरानंद का स्वागत किया। स्वागत भाषण प्रहलाद पटेल ने दिया। उन्होंने कहा कि संघ प्रमुख की उपस्थिति ने एक नर्मदा परिक्रमावासी को वह स्थान दिया है, साहस दिया जिससे आगे हम सनातन की ओर कुछ कदम चल पाने की साहस जुटा पाएंगे। 30 वर्ष पहले जब मैंने अपने गुरुदेव की सेवा करते हुए परिक्रमा की थी, तब मेरी उम्र 35 साल थी। 30 वर्ष पहले इसे लिख दिया था। जो मैंने लिखा है वह कृपा सार है। एक फक्कड़ होने के नाते मैंने यह फैसला किया कि मुझे नर्मदा को बेचना नहीं है इसलिए छपने से इनकार कर दिया। 20 साल पहले पत्नी के साथ फिर से यात्रा की। उसके बाद मैं केंद्र में मंत्री बना, लेकिन सोचना था कि मुझे नर्मदा को नहीं बेचना है। अब 65 साल की उम्र में मित्रों ने कहा कि इसे छप जाना चाहिए। मेरे पास 72 घंटे की वीडियोग्राफी है, मैंने डिस्कवरी के कहने पर उसे नहीं दिया। इस अवसर पर पटेल ने अपने कुछ संस्मरण भी सुनाए। उन्होंने कहा कि इससे कमाई का एक-एक पैसा गौसेवा में लगेगा, पथिकों के लिए लगेगा।
परिक्रमा एहसास का विषय है
स्वामी ईश्वरानंद जी ने कहा कि प्रहलाद जी ने जो विषय रखा है कि वह बोलने का विषय नहीं है, एहसास करने का विषय है। एहसास करना है तो आप नर्मदा की परिक्रमा करके आ जाओ, फिर एहसास होगा। परिक्रमा करने की परंपरा पूरे विश्व है। गणपति ने एक परिक्रमा की तो प्रथम देव हैं। अगर जीवन में सफल होना है तो परिक्रमा करो। राजनीतिक क्षेत्र में बड़े लोगों की परिक्रमा करो आगे निकल जाओगे। जगत में कोई नर जो भाव लेकर जाएगा उसको पूर्ण करने का काम मां नर्मदा करती है। अगर आपके जीवन में किसी प्रकार की तप करने की इच्छा है तो एक परिक्रमा करके देखिए, साक्षात शिव के दर्शन होंगे। कार्यक्रम में सीएम डॉ.मोहन यादव सहित अनेक मंत्री, नेता और संघ के पदाधिकारी मौजूद थे।