सहकारिता विभाग में फर्जीवाड़े के शहंशाह पाटनकर को इंदौर लाने की तैयारी, भूमाफिया कर रहे दावा-सबसे हो गई है बात, जल्द आएगा ऑर्डर.


इंदौर। सहकारिता विभाग में फर्जीवाड़े के शहंशाह के. पाटनकर को एक बार फिर इंदौर लाने की तैयारी है। शहर के अधिकांश भूमाफिया पाटनकर को इंदौर लाने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। दावा तो यह भी किया जा रहा है कि भोपाल स्तर पर बातचीत हो गई है और पाटनकर की कभी भी इंदौर में लैंडिंग हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि इंदौर में रहते हुए पाटनकर ने सरकार को चूना लगाते हुए शहर के कई नामी भूमाफियाओं को जबरदस्त फायदा पहुंचाया था। पाटनकर अगले साल जुलाई में रिटायर होने वाले हैं। इस बीच इंदौर में उनके द्वारा किए कई फर्जीवाड़े सामने आ चुके हैं। हालांकि अधिकांश कारनामों की फाइलें पाटनकर पहले ही गायब कर चुके हैं, लेकिन अभी भी काफी कुछ ऐसा है जो भूमाफियाओं की गरदन नाप सकता है। इसलिए शहर के सारे भूमाफिया भोपाल में लॉबिंग कर रहे हैं। कुछ तो यह दावा भी कर रहे हैं सहकारिता मंत्री से लेकर सहकारिता आयुक्त तक से बात हो चुकी है जून तक पाटनकर इंदौर आ जाएंगे। भूमाफिया चाहते हैं कि रिटायरमेंट से पहले पाटनकर उनकी सारी फाइलें को ठिकाने लगा दें।
कई बार हो चुके हैं निलंबित, कई मामले जांच में
पाटनकर न केवल भूमाफियाओं बल्कि विभाग में भारी गड़बड़ियां करते रहे है। जब वे सतना में उपायुक्त सहकारिता थे, तब 19 जनवरी 2023 को उन्होंने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। पाटनकर पर अनियमित नियुक्ति एवं पदोन्नतियों के प्रस्तावों पर अनुमोदन देने का आरोप था। निलंबन आदेश में कहा गया था कि वर्तमान में सतना जिले में पदस्थ उपायुक्त सहकारिता पाटनकर ने पूर्व में छतरपुर जिले में पद-स्थापना के दौरान जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक से संबद्ध 5 प्राथमिक साख सहकारी संस्थाओं में विक्रेताओं/सहायक समिति प्रबंधकों की अनियमित नियुक्तियों और पदोन्नतियों के प्रस्तावों पर अनुमोदन कर स्वीकृति दी थी। छतरपुर जिले की प्राथमिक साख सहकारी समिति मर्यादित पिपट बिजावर, गुलगंज, मउखेरा में सहायक प्रबंधक से प्रबंधक के पद पर पदोन्नति और वेतन आहरण की स्वीकृति दिये जाने में आयुक्त सहकारिता के वर्ष 2010 एवं 2011 में जारी निर्देशों का पाटनकर द्वारा उल्लंघन किया गया था। इस तरह के कई मामले पाटनकर के नाम जुड़े हैं। बताया जाता है कि उनके कुछ मामलों की लोकायुक्त में भी शिकायत हुई थी।
इंदौर में भी नियमों को ताक पर रख दी अनुमतियां
बताया जाता है कि जब के. पाटनकर इंदौर में पदस्थ थे, तब भी उन्होंने भूमाफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए सारे नियम ताक पर रख दिए थे। पाटनकर ने एक भूमाफिया को फायदा पहुंचाने के लिए एक गृह निर्माण संस्था को तब डिजॉल्व कर दिया था, जब इस पर विभाग ने रोक लगा रखी थी। इतना ही नहीं कई भूमाफियाओं को उन्होंने नियमों से परे जाकर एनओसी भी दी थी।
डाक्यूमेंट गायब कराने में भी मास्टरी
विभाग के सूत्र बताते हैं कि पाटनकर फर्जीवाड़े में इतने माहिर हैं कि गलत आदेश या एनओसी के डाक्यूमेंट भी गायब करा देते हैं। एक संस्था के मामले में ऐसा एक वाक्या इंदौर में भी हुआ है। जब विभाग ने डाक्यूमेंट ढूंढे तो मिला ही नहीं। फिर, उनसे पत्र लिखकर भी पूछा गया लेकिन कोई दस्तावेज नहीं मिले। बताया जाता है कि पाटनकर जहां-जहां पदस्थ रहे हैं, वहां-वहां इनकी कार्यशेली ऐसी ही रही है।
सेठिया तो लेने भी लगे ‘सुपारी’
चिराग शाह, चंपू अजमेरा, दीपक मद्दा सहित शहर के कई भूमाफियाओं के पाटनकर के इंदौर लाने के दावे के बाद सहकारिता विभाग में भी हलचल बढ़ गई है। सूत्र बताते हैं कि वरिष्ठ सहकारिता निरीक्षक आशीष सेठिया ने तो फर्जी कामों की सुपारी लेनी भी शुरू कर दी है। सेठिया भूमाफियाओं को पाटनकर साहब के रिटायरमेंट से पहले सारे काम निपटाने का आश्वासन भी दे रहे हैं।