इंदौर में ओवर स्पीड में चलने की कोशिश में नए निगमायुक्त, विधायक मालिनी गौड़ ने सीएम तक पहुंचाई बात, संभागायुक्त को मिले रफ्तार पर नजर रखने के निर्देश.


इंदौर। नगर निगम में पदभार ग्रहण करते ही निगमायुक्त दिलीप कुमार यादव ने इंदौर में ओवर स्पीड में चलने की कोशिश शुरू कर दी है। यह जाने बिना कि किस राह में कौन सा पॉलिटिकल स्पीड ब्रेकर है, उनकी तेज रफ्तार बहुतों को समझ नहीं आ रही। कल जब सीएम डॉ.मोहन यादव इंदौर में थे तो उन तक निगमायुक्त के ओवर स्पीड का एक मामला विधानसभा 4 की विधायक मालिनी गौड़ ने पहुंचाया। सीएम ने संभागायुक्त सुदाम खाड़े को स्पीड पर नजर रखने के निर्देश दिए।
सूत्र बताते हैं कि पिछले दिनों निगमायुक्त यादव सराफा के दौरे पर निकले थे। वहां एक व्यापारी अपनी बिल्डिंग के ऊपर तीसरी मंजिल बना रहा था। चूंकि गलियां पतली हैं इसलिए आमतौर पर निर्माण सामग्री लोग सड़कों के किनारे ही रख लेते हैं। उस व्यापारी ने भी यही किया था। नए निगमायुक्त ने व्यापारी को तबीयत से चटका दिया और चालान भी बना दिया। बात विधायक मालिनी गौड़ तक पहुंची। गौड़ ने जब निगमायुक्त यादव को फोन लगाया तो वे उन्हें ही समझाइश देने लगे। यहां तक कह डाला कि आप तो महापौर रह चुकी हैं, आपको सब पता होगा। निगमायुक्त यादव यहीं तक नहीं रुके। विधायक गौड़ से बात करने के बाद निगमायुक्त के तेवर और तीखे हो गए और उन्होंने व्यापारी को और चटकाया और उसका सामान भी हटवा दिया।
मालिनी गौड़ ने सीएम को बताई पूरी कहानी
कल जब सीएम यादव इंदौर आए तो मालिनी गौड़ ने सीएम को पूरी कहानी बताई। गौड़ ने फोन करने के बाद भी निगमायुक्त के इस व्यवहार पर आपत्ति ली। इसके बाद सीएम यादव ने संभागायुक्त सुदाम खाड़े से कहा कि इस विषय को गंभीरता से लें। यह पता लगाएं कि ऐसा क्यों हुआ।
चार नंबर के समीकरण में तो नहीं उलझ गए यादव
अब भाजपा में चर्चा है कि निगमायुक्त कहीं महापौर के कहने में आकर चार नंबर विधानसभा के समीकरण में तो नहीं उलझ गए। भाजपा में सबको पता है कि महापौर की नजर चार नंबर विधानसभा पर ही टिकी हुई है। शहर के किसी अन्य विधानसभा क्षेत्र में तो उन्हें कोई घुसने नहीं देता। निगमायुक्त को लेकर लोग तो यह भी कह रहे हैं कि इंदौर में नौकरी करना आसान नहीं। इसके लिए पहले यहां के समीकरण समझने होंगे। यादव को आए हुए अभी कुछ ही दिन हुए हैं, ऐसे में यहां की राजनीति में अगर उलझे तो काम करना मुश्किल हो जाएगा।
वर्मा की शिकायत करते रहे हैं महापौर
यह सबको पता है कि शिवम वर्मा जब निगम कमिश्नर बनकर आए तो उनकी महापौर पुष्यमित्र भार्गव से कभी नहीं बनी। इसीलिए महापौर लगातार सीएम से उन्हें हटाने की मांग करते रहे। चूंकि वर्मा का काम अच्छा था तो उन्हें पुरस्कार स्वरूप कलेक्टरी मिल गई। अब देखना यह है कि नए निगमायुक्त यादव से महापौर की कितनी दिनों तक निभती है। अगर नहीं निभी तो महापौर उन्हें भी हटाने की मांग कर देंगे।