कागज के ‘शेर’ एक आंधी में ही हो गए ढेर, मेट्रो सिटी इंदौर का बिजली विभाग दुम दबाकर भागा, त्राही-त्राही कर रहा है शहर.


इंदौर। रविवार को आसमान से इंदौर में आफत बरसी। यह प्राकृतिक लीला थी। हालांकि इंदौर में ऐसा कम ही होता है, दूसरे शहरों में तो गर्मी से लेकर बरसात तक महीने में कई बार प्रकृति ऐसी परीक्षा लेती है। प्रकृति से कोई शिकायत नहीं है, लेकिन जिस तरह से कल जिम्मेदार विभागों खासकर बिजली विभाग नो जो किया है उसे इस शहर के लोग कभी भूल नहीं पाएंगे।
सारे जिम्मेदार विभागों के पास मेंन्टेनेंस के नाम पर अच्छा-खासा बजट होता है। बिजली विभाग में तो हर साल मेंन्टेनेंस चलता रहता है, लेकिन आंधी-बारिश में इसकी पोल खुलती रहती है। नगर निगम तथा अन्य संबंधितों विभागों की बात छोड़ भी दें तो बिजली विभाग ने कल जो कुछ भी किया, उसने पूरे विभाग की कलई खोल कर रख दी है।
दोपहर तीन बजे से रात दो बजे तक बत्ती गुल
मेट्रो सिटी इंदौर का बिजली विभाग इतना डरपोक है कि आंधी या पानी चालू होते ही बिजली बंद कर देता है। कल भी ऐसा ही हुआ। दोपहर तीन बजे जैसे ही बारिश शुरू हुई, बिजली बंद हो गई। इसके बाद तो फिर प्रकृति ने जैसे इस विभाग की परीक्षा ही ले ली। तेज आंधी के कारण कई स्थानों पर बिजली के तारों पर पेड़ भी गिरे, लेकिन यह सब कुछ छह-साढ़े छह बजे तक हो गया था। विडंबना यह है कि शहर के कई इलाकों में रात दो बजे तक बिजली गायब रही।
कॉल सेंटर का नंबर 1912 के बुरे हाल
बिजली विभाग के कॉल सेंटर के नंबर के बुरे हाल थे। नंबर लग ही नहीं रहे थे। कुछ लोगों की शिकायतें साढ़े तीन और चार बजे के बीच दर्ज भी हो गईं तो इसके बाद से नंबर लगना बंद हो गया। इसके बाद लोग लगातार फोन लगाते रहे। रात 11 बजे के बाद किसी का फोन लगा भी तो कहा गया कि इस समय कॉल रिसीव करने वाला कोई नहीं।
लोगों ने गुस्से में आकर सोशल मीडिया पर बिजली कंपनी के एमडी अनूप कुमार सिंह का मोबाइल नंबर 82901 72489 जारी कर दिया। जब इस नंबर पर कॉल किया गया तो स्टाफ जवाब देता कि साहब फील्ड में हैं, लेकिन बिजली कब तक आएगी इसकी जानकारी कोई नहीं दे रहा था।
आज सुबह से फिर वही हालात
शहर के कई इलाकों में रात दो बजे बिजली आई, फिर कई बार आती-जाती रही। लोग जैसे-तैसे सोए कि सुबह फिर गर्मी से उनकी नींद खुली। पता चला कि बिजली फिर गायब है। करीब 9 बजे झलक दिखलाने के लिए आई फिर लापता। अभी भी बिजली विभाग की तरफ से कोई रिस्पांस नहीं मिल रहा। लोगों के फ्रीज में रखे सामान खराब हो गए। लैपटॉप, मोबाइल डिस्चार्ज हो चुके हैं। आरओ बंद होने के कारण पीने का पानी खत्म हो चुका है, लेकिन बिजली विभाग को इसकी चिंता नहीं, क्योंकि वह बिल वसूलने के अलावा अपनी कोई जिम्मेदारी नहीं मानता।
सबसे बड़ा सवाल-साल भर क्या करता है विभाग
बिजली विभाग सॉरी बिजली कंपनी मनमाने तरीके से हर साल बिजली का बिल बढ़ाती रहती है। पैसे जमा करने में देरी होने पर जुर्माने के साथ कनेक्शन काट दिया जाता है, यहां सवाल यह है कि साल भर यह विभाग करता क्या है? अगर इंदौर जैसे मेट्रो शहर की ऐसी हालत है, तो गांवों में क्या हुआ होगा? ऐसे विभाग यानी कंपनी के जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए?
नगर निगम तो बेचारा है ही
बेचारा नगर निगम तो हल्की बारिश भी झेल नहीं पाता, कल की आफत ने उसकी व्यवस्थाओं को तार-तार कर दिया। जगह-जगह गिरे पेड़, शहर के प्रमुख चौराहों और सड़कों पर भरा पानी और घरों से पानी निकालते लोगों के फोटो नगर निगम का असली चेहरा उजागर कर रहे हैं। बारिश के कारण सड़कों पर जो जलजमाव हुआ, उसने भी वाहन चालकों को परेशानी में डाला। 60 से ज्यादा प्रमुख मार्गों पर ट्रैफिक जाम रहा।
थोड़ी भी शर्म हो तो आगे के लिए चेत जाओ
देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की जिम्मेदारी कंधे पर लेकर बैठे विभागों के लिए कल की आफत एक चेतावनी है। हर जगह मौसम का चक्र बदल रहा है। ऐसी आफत भविष्य में और झेलनी होगी। अगर थोड़ी भी शर्म हो तो इसकी तैयारी पहले से कर देनी चाहिए। हर साल मेंन्टेंस के नाम पर करोड़ों रुपए डकारने से कुछ नहीं होगा, कागजों से निकलकर जमीन पर भी काम करने होंगे।