हरदा में एक हीरे की लड़ाई आखिर कांग्रेस-भाजपा में कैसे बदल गई, क्या पुलिस से भी हुई है लापरवाही?.


भोपाल। हरदा में करणी सेना के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज और गिरफ्तारी पर पूरे प्रदेश में बवाल मचा हुआ है। जाहिर है सियासत भी होनी थी। सवाल यह है कि एक 18 लाख के हीरे का मामला आखिर कैसे करणी सेना या भाजपा वर्सेस कांग्रेस की लड़ाई में बदल गया। कांग्रेस जहां सरकार पर आरोप लगा रही है, वहीं भाजपा अध्यक्ष कांग्रेस को दोष दे रहे हैं। हालांकि भाजपा के एक विधायक के सुर थोड़े अलग हैं।
पहले समझते हैं क्या है मामला
आशीष राजपूत नामक व्यक्ति ने कोतवाली थाने में 18 लाख के हीरे की धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज करवाई थी। इसके बाद पुलिस इंदौर से आरोपी मोहित वर्मा को गिरफ्तार कर हरदा लाई थी। करणी सेना के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि पुलिस आरोपी को संरक्षण दे रही है और उसे छोड़ने के लिए पैसे ले रही है। उनका दावा है कि विवेचना अधिकारी ने 2.80 लाख रुपये में समझौता करने की कोशिश की। शनिवार को पुलिस जब आरोपी को कोर्ट में पेश करने जा रही थी तब करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने आरोपी को उनके हवाले करने के लिए कहा। जब पुलिस ने आरोपी को उनके हवाले नहीं किया, तो कार्यकर्ताओं ने थाने और कोर्ट के बाहर हंगामा किया, चक्काजाम किया। पुलिसकर्मियों से झूमा-झटकी की। स्थिति बिगड़ने पर पुलिस ने हल्का लाठीचार्ज, वाटर कैनन और आंसू गैस का प्रयोग किया। करणी सेना के जिलाध्यक्ष सुनील राजपूत सहित करीब 50 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद पूरी करणी सेना सड़क पर उतर आई।
भाजपा अध्यक्ष ने कांग्रेस की साजिश बताया
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने इस मामले के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब सामाजिक वैमनस्य फैलाकर अपनी डूबती राजनीति को बचाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने जानबूझकर एक सामान्य विवाद को सामाजिक और सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास किया। खंडेलवाल ने आगे लिखा कि हरदा की घटना कुछ व्यक्तियों के बीच लेन-देन का निजी विवाद थी, लेकिन कांग्रेस ने इसे भड़काने और समाज को भ्रमित करने की कोशिश की।
भाजपा विधायक ने कहा-टाला जा सकता था मामला
आलोट से भाजपा विधायक चिंतामणि मालवीय ने इस घटना को लेकर नाराजगी जाहिर की है। सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा कि हरदा में बर्बर लाठीचार्ज दुखद और पीड़ादायक है। इसे टाला जा सकता था। उनकी यह टिप्पणी साफ तौर पर पुलिस प्रशासन के रवैये पर सवाल खड़े करती है।
करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष रिहा
हरदा में सोमवार सुबह करीब 7:15 बजे करणी सेना परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीवन सिंह शेरपुर, कृष्णा अजय पाल, राहुल पिता भारत और नेपाल पिता विक्रम सिंह को सशर्त रिहा किया गया। प्रशासन ने जीवन सिंह शेरपुर को जिला सीमा से बाहर छोड़ा है। उनसे लिखित में लिया गया है कि वे हरदा में किसी भी तरह के आंदोलन या प्रदर्शन में शामिल नहीं होंगे। अध्यक्ष जीवन सिंह शेरपुर ने कहा कि आंदोलन जारी रहेगा, लेकिन तारीख नई तय करेंगे।
पटवारी ने की कलेक्टर-एसपी पर कार्रवाई की मांग
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस मामले में कलेक्टर एसपी की भूमिका पर उठाए सवाल। पटवारी ने दोनों अफसरों की बर्खास्तगी की मांग की। सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा- हरदा में करणी सेना/राजपूत समाज के साथ हुई पुलिस बर्बरता निंदनीय है। फिर साबित हो गया कि मोहन सरकार में न्याय और अधिकार की बात करना अपराध है!
दिग्विजय सिंह ने कहा-ज्यादती बर्दाश्त नहीं
इस मामले में एमपी के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने भी मैदान संभाल लिया है। उन्होंने लाठीचार्ज की घटना पर कहा कि एमपी पुलिस की ज्यादती बर्दाश्त नहीं की जा सकती। उन्होंने अपने बेटे जयवर्धन सिंह के साथ हरदा जाने की घोषणा भी की।
गलती दोनों ओर से हुई है
अब तक के घटनाक्रम से यह कहा जा सकता है कि गलती दोनों ओर से हुई है। करणी सेना की आरोपी को उनके हवाले करने की मांग भला पुलिस कैसे मान लेती और ऐसे में अगर पुलिस से भिड़ने की कोशिश होगी तो जाहिर है बलप्रयोग तो होगा ही। हां, अगर पुलिस थोड़ी समझदारी से काम लेती तो मामला इतना आगे नहीं बढ़ता। चूंकि मामला राजपूत समाज का था और इससे दिग्विजय सिंह सहित कई कांग्रेस नेता जुड़े हैं, इस कारण इसे कांग्रेसी समर्थन तो मिलना ही था। कांग्रेस के समर्थन के बाद भाजपा के पास विरोध के अलावा क्या चारा था? कुल मिलाकर 18 लाख के हीरे ने इस मामले को जलेबी की तरह बना दिया।