पूरे देश में किरकिरी होने के बाद भी पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह को सही लग रहा भोपाल का 90 डिग्री वाला ब्रिज, कहा-इसमें कोई तकनीकी समस्या नहीं.


भोपाल। पूरे देश में मध्यप्रदेश की नाक कटवा चुके भोपाल के 90 डिग्री वाला रेलवे ओवरब्रिज पीडब्ल्यूडी मंत्री को अभी भी सही लग रहा है। इस मामले में सीएम डॉ.मोहन यादव कई इंजीनियरों पर कार्रवाई कर चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी मंत्री इसी बात पर अड़े हुए हैं कि इसमें कोई तकनीकी समस्या नहीं।
पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने गुरुवार को जबलपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि ब्रिज को लेकर कोई समस्या थी ही नहीं, लेकिन उसका प्रचार-प्रसार इस तरह किया गया कि वह सुर्खियों में आ गया। मंत्री ने कहा कि 90 डिग्री का कोई मुद्दा नहीं था। इस तरह के पुल और चौराहे देश और प्रदेश में बहुत सारे बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि जहां पुराने शहर और पुरानी बसाहट होती है, वहां जब पुल और सड़कों का निर्माण करना होता है, तो जगह की कमी के कारण 90 डिग्री पर जाना ही पड़ता है। कई बार ऐसी परिस्थितियां बनती हैं। मंत्री ने कहा कि भोपाल के जिस ब्रिज को 90 डिग्री का बताया जा रहा है, वह वास्तव में 114 डिग्री का है। उस पर किसी तरह की कठिनाई नहीं है। ब्रिज में कोई तकनीकी समस्या नहीं है।
सीएम कर चुके हैं आठ पर कार्रवाई
उल्लेखनीय है कि इस ब्रिज के मामले में सीएम डॉ.मोहन यादव ने जांच के आदेश दिए थे। सीएम ने इसके बाद खुद सोशल मीडिया पर बताया था कि जांच रिपोर्ट के आधार पर लोक निर्माण विभाग के 8 इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। दो सीई सहित सात इंजीनियर्स को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया है। एक सेवानिवृत एसई के खिलाफ विभागीय जांच की जाएगी। इस प्रोजेक्ट में आरओबी का त्रुटिपूर्ण डिजाइन प्रस्तुत करने पर निर्माण एजेंसी एवं डिजाइन कंसल्टेंट, दोनों को ब्लैक लिस्ट किया है। आरओबी में आवश्यक सुधार के लिए कमेटी बनाई गई है। सुधार के बाद ही आरओबी का लोकार्पण किया जाएगा।
हाईकोर्ट जबलपुर ने भी उठाए हैं सवाल
जबलपुर हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने भी इस ब्रिज की डिजाइन पर सवाल उठाए थे। बुधवार को मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई थी। मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की बेंच के सामने मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (मैनिट) की सिविल इंजीनियरिंग विभाग की जांच रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट पढ़ने के बाद मुख्य न्यायाधीश ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि जब ठेकेदार ने पीडब्ल्यूडी के निर्देशों के अनुसार ही काम किया है, तो फिर उस पर कार्रवाई क्यों की गई? ठेकेदारों को सजा नहीं, बल्कि मेडल मिलना चाहिए।
जांच रिपोर्ट में नक्शे के अनुसार बना बताया
मैनिट की जांच रिपोर्ट के अनसुार ठेकेदार पुनीत चड्ढा को जो जनरल अरेंजमेंट ड्राइंग दी थी, उसमें पुल का एंगल 119 डिग्री दर्शाया गया था। जांच में बने पुल का एंगल 118 डिग्री से थोड़ा ज्यादा पाया गया। दोनों ही माप लगभग समान बताए गए। रिपोर्ट के अनुसार, ठेकेदार ने विभाग द्वारा दिए गए नक्शे के अनुसार ही निर्माण कार्य किया है। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सरकार और पीडब्ल्यूडी से जवाब मांगा है।