महापौर के बेटे के भाषण विवाद पर भाजपा नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा की लगी क्लास, पता चला भार्गव की जिद पर ही हुआ था भाषण.


इंदौर। पिछले दिनों प्रदेश के पूर्व वन मंत्री स्वर्गीय निर्भय सिंह पटेल के पुण्य स्मरण दिवस पर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इसमें महापौर पुष्यमित्र भार्गव के बेटे संघमित्र भार्गव ने सीएम डॉ.मोहन यादव की मौजूदगी में भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा था। इस मामले पर सीएम ने भी टिप्पणी की थी और कांग्रेस ने तो बवाल मचा दिया था। यह मामला नेशनल मीडिया में भी छाया रहा।
16 सितंबर को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंदौर से रवाना हो गए तब सभी नेताओं ने एयरपोर्ट पर ही भोजन किया। सूत्र बताते हैं कि भोजन के बाद प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने सुमित मिश्रा को अपने पास बुलाया और पूछा कि महापौर के बेटे का भाषण तुमने क्यों कराया था? मिश्रा ने इससे साफ इनकार कर दिया। मिश्रा ने बताया कि महापौर ने कहा था कि उन्होंने भाषण में संशोधन करा दिया है, इसलिए भाषण करवा दो। फिर मिश्रा ने कहा कि मुझ पर भरोसा नहीं तो मंत्री तुलसी सिलावट से पूछ लीजिए। सिलावट ने भी कहा कि महापौर ने कहा था कि भाषण एडिट करवा दिया है। आप करा सकते हो। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष ने मनोज पटेल से भी पूछ लिया। पटेल ने भी कहा कि महापौर के कहने पर ही भाषण कराया था। इस चर्चा के दौरान सावन सोनकर सहित कुछ नेता मौजूद थे।
सीएम ने कार्यक्रम में ली थी चुटकी
संघमित्र के भाषण के बाद जब सीएम संबोधन के लिए आए तो संघमित्र के भाषण का उल्लेख करते हुए कहा कि अच्छा बोला, लेकिन मैं उसमें कुछ जोड़ूंगा। सीएम ने कहा कि जो जिम्मेदारी उसे दी गई थी उसे उसने निभाया। अब विपक्ष का वक्ता तो विपक्ष का ही पक्ष रखेगा। अपने भतीजे के लिए भी जोरदार तालियां बजाऊंगा। इस पर किसी ने कहा कि तैयारी किसने कराई, इस पर सीएम बोले-यह तो मैं नहीं बोलूंगा लेकिन सारे लोग महापौर की ओर देख हंस पड़े। खुद सीएम भी जोर-जोर से हंसने लगे।
केंद्र सरकार पर जमकर किया था वार
संघमित्र ने अपने भाषण में केंद्र सरकार पर जमकर वार किया था। उन्होंने कहा था कि सरकार कहती है कि कवच सिस्टम से रेल हादसे कम हो जाएंगे, लेकिन पिछले 10 साल में करीब 20 हजार लोगों ने रेल हादसों में अपनी जान गंवाई है। रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास की बात होती है। सरकार कहती है 400 स्टेशन एयरपोर्ट जैसे बनाएंगे लेकिन बनते हैं सिर्फ 20, सरकार कहती है सबका साथ सबका विकास लेकिन रेलवे में हो रहा है दलाल का साथ, जनता का विनाश।