इंदौर भाजपा की नगर कार्यकारिणी के लिए लिफाफे में बंद करीब 200 नाम आज पहुंचेगे भोपाल, अब राजधानी में ही होगा शह और मात का खेल.


इंदौर। भाजपा की इंदौर नगर कार्यकारिणी के लिए विधायकों, सांसद, महापौर तथा वरिष्ठ नेताओं ने पर्यवेक्षकों को बंद लिफाफे में करीब 200 नाम सौंपे हैं। आज यानी सोमवार को यह लिफाफा भोपाल पहुंच जाएगा और अब फैसला वहीं होगा। अब भोपाल में ही सारे नेता अपने समर्थकों को कार्यकारिणी में शामिल कराने के लिए जोर लगाएंगे।
उल्लेखनीय है कि पर्यवेक्षक विवेक जोशी और आशुतोष तिवारी की उपस्थिति में यह प्रक्रिया दोबारा हुई है। इससे पहले भी सारे विधायकों और वरिष्ठ नेताओं ने दोनों पर्यवेक्षकों को अपने समर्थकों के नाम सौंपे थे, लेकिन तब नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा उस दौरान उपस्थित थे। इसको लेकर सवाल उठाए गए और भोपाल में कई विधायकों ने इस पर आपत्ति उठाई थी। विधायकों का कहना था कि सुमित मिश्रा की उपस्थिति के कारण वे अपनी बात ठीक से नहीं कह पाए थे। इसके बाद संगठन ने दोबारा यह प्रक्रिया पूरी करने का फैसला लिया था। इस बार की प्रक्रिया से सुमित मिश्रा पूरी तरह बाहर रहे।
कार्यकारिणी में सिर्फ 24 पद
नगर कार्यकारिणी के लिए सारे विधायकों, सांसद, महापौर, लोकसभा की पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन, कृष्णमुरारी मोघे, सत्यनारायण सत्तन, मेघराज जैन, जीतू जिराती, सूरज कैरो आदि ने करीब 200 नाम दिए हैं। सभी नेताओं को एक फार्मेट दिया गया था, जिसमें 10 नाम देने थे। अब इन्ही नामों में से मात्र 24 नाम कार्यकारिणी के लिए छांटे जाने हैं। कार्यकारिणी में 3 महामंत्री, 8 उपाध्यक्ष, 8 मंत्री, 1 कार्यालय मंत्री, 1 कोषाध्यक्ष, 1 मीडिया प्रभारी, 1 सोशल मीडिया प्रभारी, 1 आईटी प्रभारी को मिलाकर कुल 24 पद हैं। जाहिर है चयन आसान नहीं होगा।
21 अगस्त के बाद भोपाल में बैठक
भाजपा के सूत्र बताते हैं कि 21 अगस्त के बाद भोपाल में बैठक होगी। इसमें संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, इंदौर के प्रभारी राघवेंद्र गौतम के साथ नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा शामिल होंगे। इसी बैठक में लिफाफे में बंद 200 नामों पर फैसला लिया जाएगा। अब सारे नेताओं का ध्यान भोपाल पर ही है।
सांसद और महापौर को दूसरे क्षेत्रों से नाम देने को कहा
सूत्र बताते हैं कि सबसे ज्यादा परेशानी विधानसभा चार को लेकर ही है। यहां विधायक मालिनी गौड़ के अलावा सांसद शंकर लालवानी, महापौर पुष्यमित्र भार्गव और पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने भी महामंत्री पद के लिए नाम दिए हैं। बताया जाता है कि नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा ने सांसद और महापौर से दूसरे विधानसभा क्षेत्रों के लिए भी नाम देने को कहा था, लेकिन इन दोनों को सिर्फ चार नंबर में ही महामंत्री पद चाहिए।
महिलाओं के नाम काफी कम
सूत्र बताते हैं कि सारे नेताओं ने जो नाम सौंपे हैं, उसमें महिलाओं के नाम काफी कम हैं। इसको लेकर भी परेशानी आ सकती है। इधर, यह भी बताया जाता है कि सांसद शंकर लालवानी ने चार नंबर से अपने प्रतिनिधि विशाल गिडवानी का नाम दिया है, लेकिन अगर उनका नाम तय नहीं होता तो विशाल की पत्नी को महामंत्री बनाने की सिफारिश की जा रही है।
प्रदेश अध्यक्ष की मंशा-विधायकों के हिसाब से हो काम
प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल की मंशा है कि विधायकों के हिसाब से कार्यकारिणी का गठन हो जाए, लेकिन इंदौर में स्थितियां अलग हैं। यहां कुछ विधायक ही सारे पदों पर कब्जा चाहते हैं, जबकि अन्य विधायकों का कहना है कि सारी विधानसभा के साथ न्याय हो। एक समान फार्मूले पर नियुक्तियां की जाएं, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा, क्योंकि सबका जोर महामंत्री पद को लेकर ही है।
नगर अध्यक्ष के हाथ में कई पद
नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा के पास भी एहसानों वाली बड़ी लिस्ट है। कई तो उनके खास समर्थक भी हैं और कई ऐसे हैं जिन्होंने उन्हें नगर अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचाने में मदद की है। हालांकि, मिश्रा के पास कार्यालय मंत्री, कोषाध्यक्ष, मीडिया प्रभारी, सोशल मीडिया प्रभारी, आईटी प्रभारी जैसे पद भी हैं, जिन पर उनका एकाधिकार है। विधानसभा एक, दो और चार और पांच से महामंत्री पद के लिए ज्यादा जोर है, ऐसे में मिश्रा के लिए अपने हिस्से के पदों के साथ भी समझौता करना पड़ सकता है। क्योंकि, जिनको महामंत्री, उपाध्यक्ष या मंत्री पद भी नहीं मिला, वे अपने समर्थकों को एडजस्ट करने के लिए दबाव बनाएंगे। इसके अलावा जातीय समीकरण और महिला समीकरण तो है ही। अब देखना यह है कि भोपाल में क्या तय होता है और सुमित मिश्रा इस चक्रव्यूह से निकलने में कितना सफल हो पाते हैं।