जलवायु संकट की दहलीज पर दुनिया: तापमान नियंत्रण की सीमा पार, तीन बड़े संकट सामने.
जलवायु संकट की दहलीज पर दुनिया: तापमान नियंत्रण की सीमा पार, तीन बड़े संकट सामने
दुनिया अब उस मोड़ पर पहुंच चुकी है जहां जलवायु परिवर्तन कोई दूर का खतरा नहीं, बल्कि वर्तमान की सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है। अर्थ सिस्टम साइंस डाटा नामक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित ताजा विश्लेषण के अनुसार, वर्ष 2024 में मानवजनित वैश्विक तापमान वृद्धि 1.36 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गई है, जिससे औसत वैश्विक तापमान 1.52 डिग्री सेल्सियस हो गया है।
इसका अर्थ यह है कि पृथ्वी पहले ही उस खतरनाक तापमान सीमा को पार कर चुकी है, जिसे पार न करने की चेतावनी वैज्ञानिक समुदाय सालों से देता आ रहा था। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के सबसे गंभीर प्रभावों से अब पूरी तरह बच पाना असंभव हो गया है—चाहे वह अत्यधिक तापमान हो, बाढ़, सूखा, समुद्र का बढ़ता जलस्तर या अन्य चरम मौसमी घटनाएं।
तेजी से खत्म हो रहा कार्बन बजट
दुनिया का कार्बन बजट—यानी वह अधिकतम मात्रा जो तापमान को सीमित रखने के लिए उत्सर्जित की जा सकती है—मौजूदा उत्सर्जन दर पर तीन साल से भी कम समय में समाप्त हो जाएगा। यदि उत्सर्जन में तुरंत और कठोर कटौती नहीं की गई, तो जलवायु संकट और गहरा जाएगा।
अधिकांश देश अब तक नहीं दे पाए जलवायु योजनाएं
संयुक्त राष्ट्र के 197 सदस्य देशों में से केवल 25 देशों ने ही अब तक अपनी नई राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान योजनाएं (NDCs) प्रस्तुत की हैं। ये योजनाएं इस बात का विवरण देती हैं कि कोई देश किस तरह ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करेगा और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कैसे ढलेगा। चिंताजनक तथ्य यह है कि ये 25 देश वैश्विक उत्सर्जन का केवल 20% प्रतिनिधित्व करते हैं, यानी 172 देश अब भी पीछे हैं।
विशेष रूप से अफ्रीकी देशों की बात करें तो अब तक केवल सोमालिया, जाम्बिया और जिम्बाब्वे ने ही अपनी जलवायु योजनाएं प्रस्तुत की हैं, जबकि इस महाद्वीप के देश जलवायु परिवर्तन के सबसे गंभीर प्रभावों से प्रभावित हो रहे हैं।
तीन बड़े जलवायु संकट
रिपोर्ट में दुनिया के सामने तीन बड़े जलवायु संकटों की पहचान की गई है:
यह रिपोर्ट एक बार फिर इस सच्चाई को उजागर करती है कि अब केवल चेतावनियों से काम नहीं चलेगा, बल्कि तत्काल और सामूहिक वैश्विक कार्रवाई की आवश्यकता है।