फिक्की फ्लो इंदौर चैप्टर के कार्यक्रम में बोले सुहेल सेठ-महिला प्रेरणा देती है, सिखाती है और संबल बनती है.


इंदौर। भारतीय महिला ने बीते दो दशकों में परिवार और समाज में अपनी भूमिका को नए आयाम दिए हैं। यदि गृहिणी के कार्य का मूल्यांकन किया जाए, तो उनका योगदान अनमोल साबित होता है। महिला प्रेरणा देती है, सिखाती है और संबल बनती है।
यह बात ऑथर, कॉलमनिस्ट और सेलिब्रिटी पब्लिक स्पीकर सुहेल सेठ ने बुधवार को फिक्की फ्लो इंदौर चैप्टर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में की। वे "स्पीकऑन वूमेन एंटरप्रेन्योरशिप इन न्यू इंडिया" विषय पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने विभिन्न तरह के उदाहरण देते हुए महिला शक्ति, महिलाओं का इतिहास और महिलाओं के भविष्य पर प्रकाश डाला। सुहेल ने कहा मां केवल बच्चों की पहली गुरु ही नहीं, बल्कि परिवार की धुरी भी है। स्नेह, अनुशासन और मार्गदर्शन से वह बच्चों को जीवन की दिशा देती है। यही सीख व्यापार और समाज में भी लागू होती है। असली ताकत विश्वास और देखभाल में है।
सतही ज्ञान ने असली ज्ञान को पीछे छोड़ा
सुहेल सेठ ने कहा कि भारत ने पिछले 45 वर्षों में पढ़ने की परंपरा से दूरी बना ली है। सतही ज्ञान और दिखावे ने गहरी समझ और असली ज्ञान को पीछे छोड़ दिया है। नई पीढ़ी को सुविधा और दिखावे से आगे बढ़कर परंपरा, संवेदनशीलता और संस्कृति की असली कीमत समझनी होगी जो सिर्फ किताबें पढ़ने से ही संभव है मैं आज भी रोजाना एक किताब पढ़ता हूं चाहे दुनिया मुझपे हंसे या मेरा मजाक बनाए लेकिन पढ़ना ही मेरी ताकत है।
जुगाड़ कल्चर को गलत बताया
आज समाज में ब्रांड, पोजिशन और इमेज को अधिक महत्व दिया जाने लगा है। असली योगदान और ईमानदारी पीछे छूट गई है। भारत की सबसे बड़ी ताक़त "जुगाड़" कल्चर रही है, लेकिन वही अब कमजोरी बन गया है। आसान रास्तों और तात्कालिक समाधानों ने हमें लंबी दौड़ में पीछे कर दिया है। जुगाड़ का गलत प्रयोग करने वालों का में विरोध करता हूं।
मन की शांति में असली सफलता
पूर्णता जीवन में संभव नहीं, लेकिन प्रयास रुकना नहीं चाहिए। जब मैं अपनी एक बातचीत में रतन टाटा जी से पूछा कि असली सफलता क्या है तो उन्होंने कहा-अच्छी नींद। असली सफलता वही है, जहां मन और आत्मा को शांति मिले। उन्होंने महिलाओं को बोला कि आप जितना समय सोशल मीडिया पर रील बनाने में लगाते हैं क्या आप किसी तरह के भ्रष्टाचार को होते देखकर उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं कर सकते। यह ज्यादा फायदेमंद साबित होगा और यही आगे चलकर लोगों की चेन की नींद का कारण भी बन जाएगा।
अपनी संस्कृति और कला को पहचानें
बॉलीवुड की चमक-दमक में हम भारतीय शास्त्रीय संगीत और उसकी गहराई को भूलते जा रहे हैं। दशकों तक भारतीय सिनेमा को गहराई देने वाली जड़ों की पुनर्स्मृति जरूरी है। सुहेल ने कहा मेरी अपील है कि हम सब मिलकर अपनी संस्कृति, कला और ज्ञान की जड़ों को पहचानें और उनसे सीखें। यही भारत की असली ताकत है। जैसा रॉबर्ट फ्रॉस्ट ने कहा था—भीड़भरे रास्ते नहीं, बल्कि सही रास्ते पर चलना ज़रूरी है। हर व्यक्ति को अपनी ज़िम्मेदारी निभानी चाहिए। नियमों का पालन करने से न सिर्फ़ अपना बल्कि समाज का भी समय बचता है। यात्रा से ज़्यादा महत्वपूर्ण उसकी दिशा है।
बड़ी कंपनियों में महिलाओं की भूमिका बढ़ी-श्वेता अग्रवाल
फ्लो इंदौर चैप्टर की चेयरपर्सन सीए श्वेता अग्रवाल ने बताया आज के दौर में भारत की सबसे बड़ी कंपनियों और संस्थानों में महिलाओं की नेतृत्वकारी भूमिका बढ़ी है। उदाहरण के तौर पर, टीसीएस की चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर एक महिला हैं, वहीं मेटा और रिलायंस फाउंडेशन में भी महिलाओं की भूमिका ने नया बदलाव दिया है। ऐसे में जरूरी है कि महिला उद्यमियों को सही दिशा मिले और वह अपनी ऊर्जा को पहचान सके। सुहेल सेठ जैसे मोटिवेशनल स्पीकर से महिलाओं ने अपने व्यापार संबंधित कई सारे प्रश्न पूछे जिसके लिए फ्लो एक बहुत अच्छा मंच बना।