Published On :
05-Feb-2025
(Updated On : 05-Feb-2025 11:04 am )
ग्रामीण पलायन पर नितिन गडकरी की चिंता – गरीबी और बेरोजगारी से लोग महानगरों की ओर जा रहे .
Abhilash Shukla
February 5, 2025
Updated 11:04 am ET
ग्रामीण पलायन पर नितिन गडकरी की चिंता – गरीबी और बेरोजगारी से लोग महानगरों की ओर जा रहे
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ग्रामीण क्षेत्रों से हो रहे बड़े पैमाने पर पलायन पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि गरीबी और बेरोजगारी के कारण लोग दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर जैसे महानगरों की ओर पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं।
कृषि उपज के उचित मूल्य की कमी भी पलायन का कारण
गडकरी ने कहा कि किसानों को उनकी कृषि उपज का उचित मूल्य नहीं मिलने की वजह से भी वे शहरों की ओर रुख कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाए तो शहरों में बढ़ती आबादी और अव्यवस्था को नियंत्रित किया जा सकता है।
उन्होंने कहा,बेरोजगारी और गरीबी के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर भारी पलायन हो रहा है। यही कारण है कि आज हम दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और बैंगलोर जैसे महानगरों में ढेर सारी समस्याएं देख रहे हैं।
इथेनॉल और फ्लेक्स इंजन से किसानों को लाभ
गडकरी ने बताया कि भारत में फ्लेक्स इंजन वाली गाड़ियां आ रही हैं और देश में इथेनॉल पंप खोले जा रहे हैं। इससे किसानों को नई आर्थिक संभावनाएं मिलेंगी और उनकी आय में वृद्धि होगी।
उन्होंने कहा,पहले हम किसानों को 'अन्नदाता' कहते थे, लेकिन हमारी सरकार ने किसानों को 'ऊर्जादाता' भी बना दिया है।"
हाइड्रोजन ईंधन को बताया भविष्य
गडकरी ने हाइड्रोजन को भविष्य का ईंधन बताते हुए कहा कि भारत का सपना हाइड्रोजन ईंधन का निर्यातक बनना है। उन्होंने टिकाऊ विमानन ईंधन (Sustainable Aviation Fuel - SAF) को भी बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि सरकार इस क्षेत्र में बड़े कदम उठा रही है।
ग्रामीण विकास से ही शहरों की समस्याओं का समाधान
गडकरी के अनुसार, यदि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आर्थिक अवसर बढ़ाए जाएं तो शहरों की भीड़भाड़ और बुनियादी ढांचे पर बढ़ते दबाव को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार कृषि, ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए ग्रामीण विकास को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है।गडकरी का यह बयान ऐसे समय आया है जब शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है और शहरों में बुनियादी सुविधाओं की कमी एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है।