नागमपंचमी के दिन उज्जैन में फिर खुली व्यवस्थाओं की पोल, वीआईपी कल्चर से त्रस्त रहे देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालु.


इंदौर। देश के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में व्यवस्थाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जाते रहे हैं, लेकिन हर बार दूर-दूर से दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालुओं को निराशा ही हाथ लगती है। मंगलवार को नागपंचमी के दिन श्रद्धालुओं का जो हाल हुआ, उससे स्पष्ट है कि वहां तैनात अफसरों को लोगों की कोई चिन्ता नहीं है। वे सिर्फ खुद और अपने मातहतों, वीआईपी लोगों के इंतजाम के लिए ही तैनात किए गए हैं। कल तो तब हद हो गई जब अफसर नागचंद्रेश्वर मंदिर का पट खुलने के बाद से खुद ही परिवार के साथ दर्शन करते रहे और आम जनता भीड़ में धक्के खाती रही।
उल्लेखनीय है कि जब भी कोई विवाद होता है तो मंदिर समिति यह दावा करती है कि यहां वीआईपी दर्शन बंद है, लेकिन कल फिर से यहां वीआईपी कल्चर नजर आया। वीआईपी के लिए सारे द्वार खोल दिए। मंदिर के 5 नंबर गेट पर पुलिस-प्रशासन का कब्जा रहा, यह लोग व्यवस्था बनाने के बजाय दिन पर परिवार, परिचित व रिश्तेदारों को दर्शन कराते रहे। नागचंद्रेश्वर मंदिर की लाइन में लोगों को घंटों खड़ा रहना पड़ा और जब दर्शन की बारी आई तो एक सेकंड भी वहां रुकने नहीं दिया गया। धक्का मार-मार कर लोगों को भगा दिया गया। पूरे देश से दर्शन की आस लिए आए श्रद्धालुओं को काफी निराशा हुई। इस दौरान वीआईपी अलग लाइन से आते रहे और दर्शन करते रहे।
आखिर कब खत्म होगा वीआईपी कल्चर
उज्जैन में हर विशेष अवसर के साथ ही सामान्य दिनों में भी यही होता है। यहां बड़ा सवाल यह है कि आखिर यहां से कब खत्म होगा वीआईपी कल्चर। कभी कोई विधायक पुत्र सीधे महाकाल के गर्भगृह तक पहुंच जाते हैं तो कभी कोई मंत्री अपने समर्थकों के साथ दर्शन कर आता है। यहां तक कि सत्ताधारी दल के छोटे-मोटे नेता भी हर दिन यही करते हैं और विडंबना यह कि देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालु घंटों लाइन में धक्का खाने के बाद भी भगवान की एक झलक पाने के लिए तरस जाते हैं।
सीएम के गृह जिले में अफसरों की मनमानी
जब से उज्जैन के विधायक डॉ.मोहन यादव ने मुख्यमंत्री का पद संभाला है, उन्होंने महाकाल मंदिर की व्यवस्थाएं सुधारने की काफी कोशिश की है। मंदिर के प्रबंध में लगे कई अफसरों और कर्मचारियों पर कार्रवाई भी हुई है, लेकिन व्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रहीं। इसके कारण पूरे देश में उज्जैन, मध्यप्रदेश और सीएम की बदनामी होती है। अब जरूरत है कड़ी कार्रवाई की। कल की अव्यवस्था के लिए दोषी अफसरों की पहचान कर उन पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी गड़बड़ी न हो। इसके साथ ही ऐसे अफसरों को उज्जैन से हटा देना चाहिए, जिनसे भीड़ नहीं संभलती।
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