पीएम मोदी के प्रिय शहर बनारस को साफ-सुथरा करने में जुटा इंदौर, संस्कृति सचिव विवेक अग्रवाल के साथ इंदौर कलेक्टर और निगमायुक्त ने संभाली कमान.


इंदौर। स्वच्छता के मामले में पीएम नरेंद्र मोदी के सपनों को सच करने वाला देश का सबसे साफ शहर इंदौर अब पीएम के संसदीय क्षेत्र बनारस की सफाई करने में जुट गया है। पीएम के खास माने जाने वाले आईएएस और वर्तमान में संस्कृति सचिव विवेक अग्रवाल के नेतृत्व में इंदौर कलेक्टर और निगमायुक्त ने इस पर काम करना भी शुरू कर दिया है।
सोमवार को ही मध्यप्रदेश से एक टीम वाराणसी पहुंच गई थी। मंगलवार को हुई वाराणसी के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में शहर के स्वच्छता प्लान पर चर्चा हुई। इस बैठक में भारत सरकार के संस्कृति सचिव विवेक अग्रवाल, मध्यप्रदेश के नगरीय प्रशासन आयुक्त संकेत भोंडवे, इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह, निगमायुक्त शिवम वर्मा, निगम के अपर आयुक्त अभिलाष मिश्रा शामिल हुए। इंदौर के अधिकारियों को वाराणसी के अधिकारियों को इंदौर का मॉडल समझाया और वाराणसी के लिए क्या हो सकता है इस पर चर्चा की गई। मंगलवार को इंदौर के अफसरों ने वाराणसी के अफसरों के साथ बैठक की और घर-घर कचरा संग्रहण, गीला-सूखा कचरा सेग्रिगेशन, कचरे के रिसायकल सहित अन्य विषयों की जानकारी साझा की। अफसरों ने बताया कि किस तरह इंदौर में हर घर से कचरा अलग-अलग एकत्र किया जाता है। उसे सीधे प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुंचाया जाता है। मध्य प्रदेश के अफसर चार दिन वाराणसी में रुकेंगे और वहां के संसाधनों के हिसाब से सफाई को लेकर टिप्स देंगे।
पहली बार दूसरे शहर गए इंदौर के अफसर
उल्लेखनीय है कि इंदौर की सफाई व्यवस्था का अध्ययन करने देश विदेश के 100 से ज्यादा शहरों के अफसर इंदौर आ चुके है, लेकिन पहली बार इंदौर के अफसर किसी दूसरे शहर को साफ करने की कवायद में जुटे हैं। बताया जा रहा है कि दिल्ली से नगरीय प्रशासन विभाग के अफसरों को कहा गया था कि वे इंदौर जैसी सफाई व्यवस्था वाराणसी में लागू कराएं। इसके बाद पहले अफसरों ने इंदौरी मॉडल के दस्तावेज, वीडियो, फोटोग्राफ को शामिल कर एक रिपोर्ट बनाई और वाराणसी रवाना हो गए।
फिलहाल बनारस में सफाई की स्थिति खराब
इंदौर के अफसरों की टीम ने वाराणसी का दौरा भी किया। इसमें पाया गया कि लोगों के घरों में सूखा और गीला कचरा अलग-अलग एकत्र करने के लिए दो डस्टबिन भी नहीं रखे जाते हैं। वहां पर घर-घर से कचरा संग्रहण करने का काम ठेके पर है। नगर निगम के क्षेत्र में वहां पर कुल 100 वार्ड हैं। कचरे का सेग्रीगेशन नहीं होने के कारण निष्पादन की स्थिति खराब है। एनटीपीसी द्वारा पेलेट बनने का एक प्लांट चलाया जा रहा है। इसके अलावा वहां पर कोई प्लांट नहीं है। सोमवार रात में इंदौर की टीम द्वारा वाराणसी के प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का अवलोकन भी किया था। यहां भी सफाई की स्थिति अच्छी नहीं थी।
ये है इंदौर का सफाई मॉडल
- शत प्रतिशत कचरा इंदौर में डोर डू डोर तरीके से संग्रहित होकर सीधे ट्रेंचिंग ग्राउंड जाता है। छह अलग-अलग प्रकार के कचरे वाहनों के माध्यम से ही अलग हो जाते है। प्लांट पर कचरा अलग-अलग नहीं होता है।
- शहर में एक भी कचरा पेटी नहीं है। लोग खुले में कचरा नहीं फेंकते हैं। इसके अलावा अब नगर निगम एप के माध्यम से भी कचरा वाहनों को बुलवाने की सुविधा रहवासियों को दे रहा है।
- इंदौर में कचरे से खाद और सीएनजी बनाई जा रही है। प्लास्टिक कचरे से इधन बनाया जा रहा है, जो सीमेंट फेक्टरियों में काम आता है। इसके अलावा मलबे से पेवर ब्लॉक भी बनाए जा रहे हैं।
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