68 साल के मध्यप्रदेश को लग रहे तरक्की के पंख, सीएम डॉ.मोहन यादव का संकल्प-शीर्ष राज्य बनाएंगे .


भोपाल। अपना मध्यप्रदेश अब 68 साल का हो गया है। 1 नवंबर 1956 का इस राज्य का गठन हुआ था। इस दौरान ज्यादा समय तक कांग्रेस की सरकार रही। एक समय था जब इस प्रदेश को बीमारू राज्य कहा जाता था। ना सड़क का पता था, ना बिजली का। किसान बेहाल थे। फिर भाजपा की सरकारें आईं। ऐसा नहीं कि कांग्रेस की सरकारों ने काम नहीं किया, लेकिन विकास की जो रफ्तार भाजपा की सरकारों ने दी उसकी गति को डॉ.मोहन यादव की सरकार ने पंख लगा दिए हैं।
मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए इसे देश का शीर्ष राज्य बनाने का संकल्प दोहराया। सीएम यादव ने सभी से मिलकर इस संकल्प को पूरा करने में सहयोग देने की अपील की। उन्होंने कहा कि प्रदेश के युवा, किसान, और उद्यमी सभी मिलकर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे। आने वाले पांच वर्षों में मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था को दोगुना मजबूत करने और सभी प्रकार के रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए सरकार कई सेक्टर में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि मध्यप्रदेश आर्थिक सशक्तिकरण के साथ-साथ रोजगार सृजन में भी देश का नंबर वन राज्य बने।
चार छोटे राज्यों को मिलाकर हुआ था निर्माण
उल्लेखनीय है कि चार छोटे-छोटे राज्यों को मिलाकर एक नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश का गठन हुआ था। सभी नेता अपने अपने इलाके को राजधानी बनाना चाहते थे। इस रेस में इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर भी था, लेकिन अंतिम मुहर भोपाल पर लग गई। देश के बीचोंबीच होने के कारण इसे भारत का दिल कहा जाता है। जब 1947 में देश को आजादी मिली, तो यह कई हिस्सों में बंटा हुआ था। विंध्य प्रदेश और मध्य भारत को सबसे पहले सेंट्रल एजेंसी से भी अलग किया गया था। आजादी के तीन साल बाद 1950 में बरार और मध्य प्रांत का नाम बदला गया और इसे नया नाम मध्य प्रदेश रखा गया। 1950 में भोपाल, विंध्य प्रदेश, मध्य भारत और मध्य प्रदेश की अपनी-अपनी विधानसभाएं भी थीं। 1956 में मध्य प्रदेश का निर्माण भोपाल, विंध्य प्रदेश, मध्य भारत, सेंट्रल प्रोविंस (सीपी) और बरार को मिलाकर हुआ था। मध्य प्रदेश के साथ इसे मध्य भारत के नाम से भी बुलाया जाता था।
हर क्षेत्र में तरक्की के पथ पर
वर्तमान मध्यप्रदेश हर क्षेत्र में तरक्की की ओर अग्रसर है। एक आंकड़े के अनुसार 2003 में मध्य प्रदेश की जीडीपी 71 594 करोड़ थी, जो अब 13,63, 327 करोड़ हो गई। प्रति व्यक्ति आय 1956 में 261 रुपए थी जो 142565 हो गई है। जीएसटी संग्रहण में देश के पांच राज्यों में अपना प्रदेश भी शामिल है। कई बार मध्यप्रदेश कृषि अकर्मण्यता पुरस्कार प्राप्त कर चुका है। ऊर्जा के क्षेत्र में भी प्रदेश आत्मनिर्भर है। प्रदेश के गठन के वक्त प्रदेश में सड़कों की लंबाई बहुत कम थी, जो अब 73179 किलोमीटर हो चुकी है। रेल रूट 5188 किलोमीटर है। पर्यटन, वन, वन्यप्राणी रेलवे सड़क परिवहन में मध्यप्रदेश का कोई जवाब नहीं।
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