रीगल तिराहे के बापू बोले-अब नोटों से हटा लो मेरा फोटो, कभी जलाते हो, कभी कार में रख जंगल में छोड़ आते हो, फिर पहचानने से कर देते हो इनकार.


हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में लगी आग में पांच-पांच सौ रुपए के नोटों की गडि्डयां भी जलीं। जब हंगामा मचा तो जज साहब ने कहा-यह नोट मेरे नहीं हैं। भोपाल में आरटीओ के पूर्व सिपाही सौरभ शर्मा की कार से 11 करोड़ के नोट मिले। लोकायुक्त, ईडी और आयकर विभाग बेचारे पूछ-पूछ कर थक गए, लेकिन सौरभ ने यही कहा-यह नोट मेरे नहीं हैं। मुझे इन नोटों से कोई वास्ता नहीं, लेकिन इस पर छपे बापू के फोटो को देख तकलीफ होती है। मैंने सोचा चलो लगे हाथ बापू से ही बात कर लेते हैं। फिर क्या था, मैं इंदौर के रीगल तिराहे स्थित बापू की प्रतिमा के पास पहुंच गया।
मैंने पूछा-बापू क्या हालचाल हैं? देश ठीक चल रहा है?
बापू-आज कैसे आ गए हालचाल पूछने। आज न 2 अक्टूबर है न 30 जनवरी, न 26 जनवरी न 15 अगस्त?
मैंने कहा-बापू आप राष्ट्रपिता हो, देश के सभी लोगों का फर्ज है कि आपका ख्याल रखे।
बापू-हां तभी तो साल में मुझे सिर्फ चार बार याद करते हो। अगर यह तिथियां भी न आएं तो तुम में से कोई मेरी तरफ झांकने न आए।
मैंने कहा-क्या बात करते हो बापू। भारत सरकार ने नोट पर आपका फोटो छापा है। हर किसी की जेब में आप रहते हो। आपके बिना इंसान का एक दिन जीना भी संभव नहीं।
बापू-यही तो रोना है। तुम जेब की बात करते हो। मुझे तो लोग टॉयलट तक में छुपा कर रख देते हैं। कई तो लोग सोफा-बेड और दीवार में भी मुझे चुनवा देते हैं। अगर इनकम टैक्स, ईडी, सीबीआई जैसे विभाग न हों तो मेरा दम ही घुट जाए।
मैंने कहा-बापू, सोचो आपकी कितनी वैल्यू है। लोग आपको सहेज कर रखते हैं, ताकि आप पर धूल-मिट्टी न लग जाए।
बापू-रहने भी दो। लोग मुझे धूल-मिट्टी से बचाने के लिए नहीं सहेज कर रखते, बल्कि वे खुद को बचा रहे होते हैं। दु:ख तो तब होता है, जब मुझे सहेज कर रखने वाले लोग, पकड़े जाने पर पहचानने से इनकार कर देते हैं।
मैंने कहा-ऐसा तो नहीं होता होगा, भला आपको कोई पहचानने से कैसे इनकार करेगा?
बापू-अब देख लो न, दिल्ली हाई कोर्ट के जज साहब को। उनके बंगले के स्टोर रूम में मुझे जला दिया गया और अब जज साहब कह रहे हैं कि उनका मेरे से कोई वास्ता नहीं। अपने भोपाल के परिवहनाधीश करोड़पति सौरभ शर्मा को ही देख लो, वह भी मुझे पहचानने से मना कर रहा है।
मैंने कहा-हां, एक-दो मामले ऐसे हैं, लेकिन ऐसा होता कम है?
बापू-मेरे साथ ऐसा ही होता है। पहले तो मुझे बोरियों, सूटकेसों में भर-भरकर जमा करते हैं और जब पकड़े जाते हैं तो कहते हैं कि वे मुझे नहीं पहचानते। हर दिन करोड़ों रुपए के नोट पकड़े जाते हैं, जिन्हें लेने कोई नहीं आता।
मैंने कहा-बात तो सही कह रहे हो बापू। आपका दर्द जायज है। आपके लिए क्या कर सकते हैं?
बापू- सिर्फ नोट और उसका रंग बदल देने से मेरा अपमान नहीं रुकने वाला। सब सिर्फ फर्जी बातें करते हैं। पहले हजार के नोट बोरियों में मिलते थे, तब दो हजार का नोट ला दिया। गुलाबी रंग से मेरा थोड़ा चेहरा खिला भी, तब तक उसे भी हटा दिया। फिर भी क्या बदला? आज भी मैं स्टोर रूम, किचन, टॉयलेट, सोफा, बेड से लेकर छतों की फॉल सीलिंग में भी भरा जा रहा हूं। अब सहन नहीं होता। जाकर कह दो अपनी सरकार से- नोटों से हटा दे मेरा फोटो।
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