नगर निगम के तीन करोड़ रुपए खाकर बैठा यशवंत क्लब अब नक्शा पास कराने के लिए हाई कोर्ट पहुंचा, नपती में निकला था भारी पैमाने पर अवैध निर्माण.


इंदौर। छह रुपए सालाना लीज पर सरकारी जमीन पर खेल के नाम पर चल रहे संभ्रांतों के यशवंत क्लब के कर्ताधर्ताओं की दादागीरी खत्म होने का नाम नहीं ले रही। क्लब ने जब निर्माण के लिए निगम में आवेदन लगाया तो उसे इसकारण पास नहीं किया गया, क्योंकि नगर निगम के तीन करोड़ रुपए बाकी थे। तत्कालीन निगमायुक्त शिवम वर्मा ने जब क्लब की नपती कराई तो भारी पैमाने पर अवैध निर्माण निकला। ऐसे में निगम ने जब नक्शा पास करने से मना कर दिया, तो क्लब के सचिव संजय गोरानी हाईकोर्ट की इंदौर बेंच पहुंच गए।
उल्लेखनीय है कि पिछले लंबे समय से क्लब को लेकर यह शिकायत होती रही है कि यह नगर निगम का टैक्स नहीं भरता। शिकायत तो यह भी हुई कि जितने का टैक्स नगर निगम लगाता है, उससे कहीं अधिक निर्माण है। क्लब चूंकि कुलीनों का है तो वे पीएम, सीएम से लेकर किसी भी विभाग की चिन्ता नहीं करते। शायद इसी कारण नगर निगम के तीन करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व दबाकर बैठे हैं। वह भी उसी शहर में जहां जनता लाइन में लगकर अपना टैक्स भरती है, ताकि शहर के विकास में रुकावट नहीं आए। इसके विपरित क्लब के कथित बड़े लोग शहर की जनता का पैसा दबाने में ही अपना बड़प्पन समझ रहे हैं।
अवैध निर्माण के बाद भी दादागीरी
क्लब के कुलीनों ने एक तो पहले से ही अवैध निर्माण कर रखा है। ऊपर से बिना अनुमति और अवैध निर्माण शुरू कर दिया। औपचारिकता के लिए एक आवेदन नगर निगम में लगा दिया था। चूंकि नगर निगम का पहले से ही तीन करोड़ रुपए से अधिक क्लब डकार कर बैठा है, इसलिए निगम ने निर्माण की अनुमति देने से इनकार कर दिया। इसके बाद नपती भी हो गई, जिसमें भारी पैमाने पर अवैध निर्माण मिला है।
अवैध निर्माण पर नगर निगम ने भेजा नोटिस
तत्कालीन निगम कमिश्नर शिवम वर्मा ने बताया था कि शिकायत मिलने के बाद बिल्डिंग अधिकारी और राजस्व अधिकारी यशवंत क्लब गए थे। जांच की गई। इसमें भारी पैमाने पर अवैध निर्माण पाया गया। इसके बाद निगम ने नोटिस जारी किया है। जवाब आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। निगम कमिश्नर ने कहा कि नियमानुसार अवैध निर्माण हटना चाहिए।
बिना अनुमति दो मंजिल ज्यादा बनी ली मुख्य बिल्डिंग
नगर निगम द्वारा करवाई गई नपती में क्लब में कई अवैध निर्माण मिले। ताज्जुब की बात यह है कि मुख्य बिल्डिंग की दो मंजिल भी अवैध है। इसके लिए 1650 वर्गमीटर यानी करीब 17760 वर्गफुट के निर्माण की अनुमति ली गई, जबकि 2348.70 वर्गमीटर यानी करीब 25281 वर्गफुट का निर्माण कर लिया गया। ग्राउंड फ्लोर की अनुमति लेकर ग्राउंड प्लस 2 का निर्माण कर लिया गया। स्क्वैश कोर्ट के लिए 115.3 वर्गमीटर यानी करीब 1241 वर्गफुट के निर्माण की अनुमति ली गई थी। यहां 732.846 वर्गमीटर यानी करीब 7888 वर्गफुट का अतिरिक्त निर्माण कर लिया गया है। वह भी ग्राउंड की अनुमति लेकर जी प्लस वन का निर्माण हुआ है। इसके साथ ही कैफे भी अवैध रूप से बना है।
कंपाउंडिग के बाद भी काफी अवैध निर्माण
निगम के सूत्र बताते हैं कि क्लब ने अवैध निर्माण का नोटिस जारी करने के बाद कंपाउंडिग का आवेदन दिया था, लेकिन इसका कोई मतलब नहीं है। क्लब में इतना ज्यादा अवैध निर्माण है कि उसे तोड़ना ही पड़ेगा। सच में क्लब के कर्ताधर्ताओं की हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी कि उन्होंने नियमों की परवाह किए बिना अवैध निर्माण कराया।
क्लब के सदस्यों से 50 करोड़ इकट्ठा कर लिए
सूत्र बताते हैं कि सचिव संजय गोरानी ने निर्माण के नाम पर क्लब के सदस्यों से 50 करोड़ रुपए इकट्ठा कर लिए। इसके बाद भी नगर निगम का टैक्स देने के लिए पैसे नहीं हैं। इसके साथ ही सदस्यों के पैसे से अवैध निर्माण किया जा रहा है। यशवंत क्लब में कई तरह की गड़बड़ियों की बात सामने आती रही है। कई बार सदस्यों ने भी शिकायत की है, लेकिन हर बार मामले को किसी भी तरीके से दबा दिया जाता है। सदस्यों को तो डरा-धमका दिया जाता है, लेकिन ताज्जुब तो तब होता है जब कोई भी विभाग इस क्लब की तरफ आंख उठाकर नहीं देखता।
खेल के नाम पर क्लब, खेल छोड़ सबकुछ
सूत्र बताते हैं कि यशवंत क्लब को 6 रुपए सालाना लीज पर इसलिए जमीन दी गई थी कि वह खेल विशेषकर क्रिकेट की गतिविधियों को बढ़ाएगा, लेकिन यह खेल गतिविधियों की बजाए संभ्रांत कहे जाने वाले लोगों के मनोरंजन का स्थान बनकर रह गया। यहां खेल तो होते हैं, लेकिन बैट-बल्ले की बजाए टेबलों पर ताशपत्तों से होते हैं। इसके साथ ही अन्य संभ्रांत खेल भी होते हैं। पिछले तीस सालों से यशवंत क्लब की न क्रिकेट टीम है, न ही ए ग्रेड के क्रिकेट क्लब का रजिस्ट्रेशन आईडीसीए से हैं।