कांग्रेस के नए जिला अध्यक्षों की अधिकतम उम्र होगी 45 साल, प्रदेश प्रभारी चौधरी ने वर्चुअल मीटिंग में दिए निर्देश.


भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस में जिला अध्यक्षों नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। इसे राहुल गांधी के मापदंडों के अनुसार अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश है। रविवार को मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी ने वर्चुअल मीटिंग में स्पष्ट निर्देश दिए कि जिला अध्यक्षों की उम्र 35 से 45 साल तक होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 5 साल से पहले पार्टी में शामिल नेताओं को पैनल में न जोड़ें।
उल्लेखनीय है कि संगठन सृजन अभियान के तहत नियुक्त ऑब्जर्वर्स की तीन सदस्यीय टीम हर जिले में जाकर जिला और ब्लॉक अध्यक्षों की तलाश करेगी। इसके साथ ही जिले में कांग्रेस की मजबूती और कमजोरी के कारणों की वजह भी तलाशेगी। इसके लिए नियुक्त 165 ऑब्जर्वर्स की आज रविवार को जूम मीटिंग हुई। इसमें कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी, पीसीसी चीफ जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार सहित प्रदेश भर के ऑब्जर्वर जुडे़ थे। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने कहा कि एआईसीसी और पीसीसी के ऑब्जर्वर अपने जिले में दौरे का कार्यक्रम बनाकर नीयत समय पर पहुंचें। जिला कांग्रेस कमेटी जिले के कार्यकर्ताओं की बैठक आयोजित करेगी। जिला अध्यक्ष के लिए 6 नामों का पैनल तैयार करना है। चौधरी ने कहा कि जिला अध्यक्ष के लिए 35 साल से 45 साल के बीच की उम्र के नेता ही पैनल में शामिल हों। यदि कोई सशक्त व्यक्ति और विचारधारा से जुड़ा हुआ सीनियर दावेदारी करता है तो उसे विशेष परिस्थितियों में शामिल किया जा सकता है। कोई मजबूत कार्यकर्ता आयुसीमा के चक्कर में छूट न जाए। चौधरी ने कहा कि राहुंल गांदी की सोच है कि कांग्रेस का जिलाध्यक्ष युवा हो, तकनीक फ्रेंडली हो, सोशल मीडिया पर सक्रिय हो।
हर जिले से पैनल में रहेंगे 6 नाम
हर जिले से जिला अध्यक्ष के लिए पैनल में 6 नाम शामिल किए जाएंगे। इनमें एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक, महिला के नाम हर हाल में शामिल किए जाएंगे। इसके बाद दो अन्य दावेदारों के नाम पैनल में शामिल रहेंगे। जिले का डेटा हर टीम के पास राहुल गांधी के साथ 3 जून को हुई बैठक के बाद सभी ऑब्जर्वर्स को आवंटित जिले का जातिगत डेटा फोल्डर में दिया गया है। इसमें यह बताया गया है कि किस जिले में किस जाति की संख्या ज्यादा हैं और कौन से समाज के लोग निर्णायक भूमिका निभाते हैं। जिलाध्यक्ष के पैनल में इस डेटा के आधार पर भी लोग पैनल में शामिल किए जाएंगे।
भितरघाती रहेंगे पैनल से बाहर
बैठक में एक पर्यवेक्षक ने पूछा कि जिनके खिलाफ भितरघात और चुनाव में गड़बड़ी की शिकायतें हैं, वे यदि दावेदारी कर रहे हैं तो क्या करना होगा? इस पर हरीश चौधरी ने कहा- यदि 5 साल के भीतर चुनावों में भितरघात की शिकायतें है और वे शिकायत सही हैं तो ऐसे लोगों को पैनल में नहीं जोड़ना चाहिए।