शासन के स्पीड ब्रेकर पर अटकी आईडीए की विवादित अहिल्या पथ योजना, एचबीटीवी ने इस योजना पर उठाए थे सवाल.


इंदौर। इंदौर विकास प्राधिकरण की अहिल्या पथ योजना को अब शासन के स्पीड ब्रेकर से होकर गुजरना पड़ेगा। सरकार ने आईडीए को यह योजना वापस भेज दिया है और इसे संशोधित कर भेजने को कहा है। फिलहाल योजना में अहिल्या पथ के एक तरफ ही स्कीम लगी है, अब दूसरी तरफ भी लगानी होगी।
उल्लेखनीय है कि प्राधिकरण ने धारा 50 (1) के तहत योजना को तैयार कर शासन के पास मंजूरी के लिए भेजा था। आईडीए ने 15 किमी लंबी, 75 मीटर चौड़ी प्रस्तावित रोड के केवल एक तरफ ही योजना लगाई थी। चूंकि दूसरी तरफ ग्रीन बेल्ट की खेती योग्य जमीन है, इसलिए यहां पर योजना नहीं लगाई थी। 4 अप्रैल को नगरीय विकास विभाग द्वारा जारी किए गए पत्र में उल्लेख किया गया है कि केवल एक तरफ ही स्कीम लगाए जाने से योजना का उद्देश्य पूरा नहीं होगा। यह अपना मकसद भी पूरा नहीं कर पाएगी। लिहाजा, दूसरी तरफ भी योजना लगाकर भेजी जाए। इसके बाद सरकार इस पर कोई फैसला लेगी।
योजना घोषित होते ही उठे थे विवाद
उल्लेखनीय है कि इस योजना के घोषित होते ही इस पर विवाद शुरू हो गया था। आईडीए तथा नगर एवं ग्राम निवेश विभाग के अफसरों ने भूमाफियाओं के साथ मिलकर बड़ा खेल कर दिया था। योजना घोषित होने के लिए होने वाली बोर्ड बैठक के एक दिन पहले तक नगर एवं ग्राम निवेश विभाग ने इस योजना की जमीन पर धड़ल्ले से नक्शे पास किए थे। इसमें आईडीए के वरिष्ठ अधिकारी से लेकर टीएनसीपी के कई अधिकारी भी शामिल थे। एचबीटीवी न्यूज ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया था। यह सवाल भी किया गया था कि जब बोर्ड में टीएनसीपी के अधिकारी शामिल हैं, तब ऐसा कैसे हुआ? इसके बाद आईडीए और टीएनसीपी के अधिकारियों ने इस मामले में नियमों का हवाला देना शुरू कर दिया था।
अब फिर से होगी नई कवायद
अब फिर से प्राधिकरण के संचालक मंडल की बैठक होगी। योजना की दूसरी तरफ खेती उपयोग की जमीनों को भी अधिग्रहित किया जाएगा। इसके लिए स्कीम लगाने की घोषणा की जाएगी। किसानों की सूची बनेगी। किसकी, कितनी जमीन है, उसकी सूची तैयार की जाएगी। आईडीए यहां भी स्कीम लगाने की प्रक्रिया पूरी करने के बाद शासन के पास नए सिरे से धारा 50 (2) की कार्रवाई करने के लिए भेजेगा। शासन से हरी झंडी मिलने के बाद दावे, आपत्तियों की प्रक्रिया शुरू होगी।
11 सौ हेक्टेयर की है यह योजना
प्राधिकरण 1170.90 हेक्टेयर जमीन पर पांच योजनाएं विकसित करने वाला था। इसके तहत 15 किमी लंबी 75 मीटर चौड़ी सड़क बनाई जानी थी। इसके लिए आठ गांवों की जमीन अधिग्रहित कर भूस्वामी को 50 प्रतिशत विकसित भूखंड देने की घोषणा हुई थी। प्राधिकरण ने अहिल्या पथ सड़क का निर्माण करने की समय सीमा पांच वर्ष तय की थी, कहा गया था कि इसे तीन साल मे ही पूरा कर लिया जाएगा। अहिल्या पथ योजना घोषित होते ही प्रशासन ने 8 गांवों में जमीनों की खरीदी, बिक्री, निजी विकास पर रोक लगा दी थी। वहीं योजना के जारी होने के छह महीने जितने नक्शे आसपास मंजूर किए गए थे, उन्हें स्थगित कर दिया गया था।
क्या है अहिल्या पथ योजना
दरअसल, शहरी विकासीकरण को बढ़ावा, प्रमुख सड़कों पर भीड़भाड़ कम करने और कनेक्टिविटी में सुधार के लिए अहिल्या पथ योजना की शुरूआत की गई थी जिसके तहत सड़क को कार्बन न्यूट्रल सड़क, 75 मीटर लंबी सड़क का निर्माण के अलावा हरियाली, वॉकवे, साइकिल ट्रैक और अन्य सुविधाएं शामिल की जाती है। इस योजना के लागू होने पर किसानो की तरफ से इसका जमकर विरोध किया गया था।
फिर सक्रिय हो जाएंगे भूमाफिया
शासन द्वारा प्रस्ताव वापस भेजने के बाद अब फिर से भूमाफिया सक्रिय हो जाएंगे। आईडीए और टीएनसीपी के अधिकारी और दलाल योजना में शामिल होने वाली जमीनों पर फिर से नक्शे पास करने लगेंगे। क्या प्राधिकरण पिछली बार से सबक लेते हुए इस बार टीएनसीपी को नक्शा पास नहीं करने के लिए कोई पत्र लिखेगा? क्या प्राधिकरण और टीएनसीपी के अधिकारी अपने यहां सक्रिय दलालों पर रोक लगा पाएंगे?
ये हैं पांच योजनाएं
रिजलाय से ग्राम रेवती उज्जैन रोड तक आठ गांवों की जमीन से अहिल्या पथ सड़क गुजरेगी।
अहिल्या पथ- 1 - अहिल्या पथ सड़क के 2.90 किमी में रिजलाय, नैनोद, जंबूड़ी हप्सी ग्राम की जमीन पर योजना विकसित होनी थी।
अहिल्या पथ- 2 - सड़क के 3.42 किमी हिस्से में बूढ़ानिया, बड़ा बांगड़दा, जंबूड़ी हप्सी व पालाखेड़ी गांव की जमीन पर विकसित होनी थी।
अहिल्या पथ- 3 - सड़क के 2.48 किमी में पालाखेड़ी, बूढ़ानिया, बड़ा बांगड़दा गांव की जमीन पर विकसित होनी थी।
अहिल्या पथ- 4 - सड़क के 2.94 किमी में पालाखेड़ी, लिंबोदा गारी व बड़ा बांगड़दा गांव की जमीन पर विकसित होनी थी।
अहिल्या पथ -5 - सड़क के 3.28 किमी हिस्से में भौंरासला, लिंबोदा गारी, रेवती व बरदरी गांव की जमीन पर विकसित होनी थी।