केंद्र सरकार के आदेश से पहले ही इंदौर में तीन दिन से बिजली विभाग का ‘ब्लैक आउट’, आखिर सीएम का प्रभार वाला शहर है भाई.


इंदौर। पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान से तनातनी के बीच केंद्र सरकार ने कल पूरे देश के 244 जिलों में ब्लैक आउट करने का आदेश जारी किया है। इसमें इंदौर सहित मध्यप्रदेश के पांच शहर भी शामिल हैं। इंदौर मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव का प्रभार वाला शहर है, शायद इसीलिए बिजली विभाग ने केंद्र और राज्य सरकार को प्रसन्न करने के लिए केंद्र के आदेश से पहले ही ब्लैक आउट की प्रैक्टिस शुरू कर दी है। आंधी-पानी के बहाने ही सही मध्यप्रदेश की बिजली कंपनी ने पूरे शहर के लोगों को तीन दिन से अंधेरे में डूबा रखा है।
कभी मिनी मुंबई कहा जाने वाला शहर कांग्रेस के शासनकाल को कोसते हुए अपने पैरों पर खड़ा होने लगा था। फिर सफाई में लगातार सात बार नंबर वन आकर यह देश के बड़े शहरों के साथ मुस्कुराते हुए फोटो भी खिंचवाने लगा। भाजपा की सरकार ने सारी सुविधाएं जुटाने के लिए खूब पैसे खर्च किए, लेकिन बारिश के पानी में धुल कर सब साफ होता रहा। वैसे तो हर साल ही बेचारा विकास पानी में बेपानी हो जाता है, लेकिन अभी रविवार से शुरू तेज हवाओं के साथ बारिश के सिलसिले ने बिजली कंपनी यानी बिजली विभाग का तो इस शहर से अस्तित्व ही खत्म कर दिया है।
शहर परेशान, न नेता जागे, न बिजली विभाग
रविवार, सोमवार और मंगलवार तीन दिनों से शहर की जनता त्राही-त्राही कर रही है, लेकिन न तो बिजली विभाग जागा और न ही शहर का कोई जनप्रतिनिधि। बिजली विभाग के कॉल सेंटर का नंबर लगा-लगा कर लोग परेशान हो गए। शिकायत दर्ज भी हुई। कोई किस्मत वाला रहा तो ऑपरेटर से बात भी हो गई, लेकिन समाधान नहीं निकला। परेशान लोगों ने नेताओं और अपने जनप्रतिनिधियों को फोन लगाया तो जवाब मिला-मेरा यहां भी लाइट नहीं है। अरे, भाई क्यों नहीं है। अगर नहीं है तो आप क्या कर रहे हो?
कोई दूसरा राज्य होता सड़क पर होता विभाग
यह तो गनीमत है कि इंदौर एक शांतिप्रिय शहर है। यहां के लोग हर मुसीबत बर्दाश्त कर लेंगे लेकिन मुंह नहीं खोलेंगे। अगर दूसरा कोई राज्य होता तो बिजली विभाग का पूरा दफ्तर अब तक सड़क पर आ गया होता। और अभी जो जिम्मेदार अधिकारी मोबाइल पर फील्ड में होने की बात कह कर आराम फरमा रहे हैं, उन्हें किसी बिल में भी छुपने की जगह नहीं मिलती।
सीएम के प्रभार वाले जिले का यह हाल
जरा सोचिए, मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी, देश का सबसे साफ शहर, मिनी मुंबई और न जाने क्या-क्या तमगा। इसके साथ सोने पर सुहागा कि सीएम खुद इस जिले के प्रभारी हैं, यहां अगर यह हाल है तो मध्यप्रदेश के अन्य जिले किस हालत में होंगे। सीएम मेहनत कर इन्वेस्टमेंट ला रहे हैं। इंदौर में सारी सुविधाएं जुटा रहे हैं, लेकिन सरकारी विभाग उनकी मेहनत पर पानी फेर रहे हैं।
जिम्मेदारों पर नकेल कसना जरूरी
कम से कम सीएम को अपने प्रभार वाले जिले की तो चिन्ता करनी ही चाहिए। इंदौर की जनता उनसे यही अपेक्षा रखती है। अगर सचमुच सीएम इंदौर के हितैषी हैं तो उन्हें बिजली कंपनी के जिम्मेदार अफसरों पर तत्काल नकेल कसनी चाहिए। यह पूछा जाना चाहिए कि ऐसी हालत क्यों हुई? मेन्टेंस पर हर साल खर्च किए जाने वाले करोड़ों रुपए कहां जाते हैं? और यह भी पूछा जाना चाहिए कि आखिर ऐसी क्या खराबी आ जाती है, जिसे बनाना बिजली कंपनी के इंजीनियरों को नहीं आता।
जरा आज का हाल जान लेते हैं
आज यानी मंगलवार दोपहर में बारिश होने से पहले ही कई इलाकों में बिजली गुल हो गई। बारिश बंद होने के 6-8 घंटे बाद बिजली आई, लेकिन कई इलाकों में वोल्टेज नहीं है। लोग शिकायत कर-कर के थक गए। फ्रिज में रखा सामान खराब हो गया। पीने के पानी के लाले पड़े हैं। मोबाइल, लैपटॉप डिस्चार्ज हैं। बहुमंजिला इमारतों वाली रहवासी कॉलोनियों का जनरेटर लगातार चलकर खराब हो चुका है। बीमार और वृद्ध लोगों को सीढ़ियों से उतर कर आना-जाना पड़ रहा है, लेकिन बिजली विभाग को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।