डिंडोरी कलेक्टर नेहा मारव्या सिंह ने अपने कार्यालय परिसर में पत्रकारों के प्रवेश पर लगाई रोक, काफी रोने-गाने पर 14 साल बाद कलेक्टर के पद पर हुई थी पोस्टिंग.


भोपाल। 14 साल तक मध्यप्रदेश में कलेक्टर की पोस्टिंग के लिए तरसने वाली नेहा मारव्या सिंह एक फिर चर्चा में हैं। इसी साल उन्होंने डिंडोरी कलेक्टर बनाया गया था। अब कलेक्टर साहिबा ने अपने ही कार्यालय परिसर में धारा 163 लगा दिया है। इसके तहत कई प्रतिबंध लगाए गए हैं, लेकिन इसमें से एक प्रतिबंध की खूब चर्चा है जो पत्रकारों को लेकर लगाए गए हैं।
कलेक्टर साहिबा ने 30 जून को जारी अपने आदेश में कहा है कि बिना अनुमति कार्यालय में पत्रकारों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। पत्रकार न तो आ सकेंगे और न ही किसी व्यक्ति का कलेक्टर परिसर में साक्षात्कार कर सकेंगे। बताया जाता है कि आजतक मध्यप्रदेश के किसी भी कलेक्टर ने इस तरह का आदेश जारी नहीं किया है।
आईएएस समिट में रोया था दुखड़ा
वर्ष 2011 बैच की आईएएस नेहा मारव्या सिंह को प्रदेश सरकार ने 14 साल कलेक्टर की कुर्सी तक पहुंचने नहीं दिया था, जबकि वर्ष 2015 बैच के अफसरों क भी कलेक्टर बनाया जाने लगा था। शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने भी उन पर तरस नहीं खाया, लेकिन मोहन सरकार को उन पर दया आ गई। यह दया तब आई जब आईएएस सर्विस मीट के पहले दिन आईएएस आफिसर्स एसोसिएशन के ग्रुप में नेहा ने अपना दर्द लिखकर जाहिर किया था। इसके बाद मोहन सरकार ने मेहरबानी कर दी और 14 साल बाद जनवरी 2025 में उन्हें डिंडोरी का कलेक्टर बना दिया।
सीनियर्स से हमेशा होता रहा है विवाद
बताया जाता है कि नेहा खुद को ईमानदार अफसर कहती हैं। इससे पहले जिस भी विभाग में रहीं, वहां किसी सीनियर से नहीं बनी। कोई न कोई बहाना बनाकर फाइलें रोक देना, उनकी आदत है। वर्ष 2017 में आईएएस नेहा मारव्या शिवपुरी जिला पंचायत की सीईओ बनाया गया था। उस दौरान शिवपुरी कलेक्टर जिस सफारी गाड़ी का उपयोग करते थे, उसका बिल रोक दिया था।
शिवराज चौहान के पीएस से भी भिड़ंत
मध्य प्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद की एडिशनल सीईओ रहने के दौरान उन्होंने वन विभाग के सीसीएफ पद से रिटायर हुए ललित बेलवाल के खिलाफ जांच शुरू कर दी थी। कथित रूप से बेलवाल तत्कालीन मुख्य सचिव के करीबी थे। जब शिवराज सिंह चौहान सीएम थे तब उनके पीएस मनीष रस्तोगी पर भी नेहा मारव्या ने बड़ा आरोप लगाया था। उस समय मनीष रस्तोगी राजस्व विभाग के प्रमुख थे। नेहा मारव्या ने कहा था कि उन्होंने ऑफिस से मुझे गेट आउट कहकर निकाल दिया। साथ ही गाड़ी की भी व्यवस्था नहीं की। उस समय भी वह खूब सुर्खियों में रहीं।
सोशल मीडिया पर भी छलकाया था दर्द
दिसंबर 2024 में उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा था कि उनके पास नौ महीने से कोई काम नहीं है। वह सिर्फ ऑफिस से घर और घर से ऑफिस आ जा रही हैं। 14 साल की नौकरी में उन्हें कभी कलेक्टर नहीं बनाया गया है। आईएएस सर्विस मीट के दौरान युवा आईएएस ऑफिसर्स का एक वॉट्सएप ग्रुप बनाया गया था। इसमें आईएएस अधिकारी ज्ञानेश्वर पाटिल ने लिखा था क सीधी भर्ती के आईएएस अधिकारियों को 14 साल में 4 साल की कलेक्टरी मिलनी चाहिए। इससे फील्ड का नॉलेज मिलता है और प्रदेश की सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक स्थितियों के बारे में पता चलता है। पोस्ट के बाद आईएएस नेहा मारव्या का दर्द छलका। नेहा मारव्या ने लिखा था कि 14 साल की नौकरी में एक बार भी फील्ड की पोस्टिंग नहीं मिली। साढ़े 3 साल पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में उप सचिव बनाकर बैठाया गया। ढाई साल तक राजस्व विभाग में उप सचिव बिना काम के बनाया गया। मानों मुझे दीवारों में मुझे कैद करके रख दिया गया है।