Published On :
01-Apr-2025
(Updated On : 01-Apr-2025 09:48 am )
नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने पूर्व राजा पर अशांति फैलाने का आरोप लगाया.
Abhilash Shukla
April 1, 2025
Updated 9:48 am ET
नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने पूर्व राजा पर अशांति फैलाने का आरोप लगाया
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह पर देश में सामाजिक अशांति फैलाने और सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने का आरोप लगाया है।
पूर्व राजा पर गंभीर आरोप
प्रधानमंत्री ओली ने प्रतिनिधि सभा में बोलते हुए कहा कि पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह ने उन लोगों के साथ मिलकर काम किया है, जिन्होंने बैंक ऋण चुकाने से इनकार कर दिया था। ओली ने कहा कि शाह ने अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सामाजिक विभाजन को बढ़ावा दिया, जिससे देश में हिंसा भड़क गई।
हिंसा में हुई मौतें और गिरफ्तारियां
हाल ही में तिनकुने क्षेत्र में भड़की हिंसा में एक टीवी कैमरामैन सहित दो लोगों की मौत हो गई और 110 लोग घायल हो गए। हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद अब तक 110 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग नेपाल में हिंदू राजतंत्र की बहाली थी।
प्रदर्शनकारियों पर आतंकवाद के आरोप
प्रधानमंत्री ओली ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर गाड़ी चढ़ाने और प्रतिबंधित क्षेत्र में घुसने की कोशिश की। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारियों ने अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और तेल निगम के डिपो में आग लगाने जैसी आतंकवादी गतिविधियां कीं। ओली ने स्पष्ट किया कि इस प्रकार की हिंसा को किसी भी रूप में राजनीतिक गतिविधि नहीं माना जा सकता और इसके दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट का आश्वासन
प्रधानमंत्री ओली ने कहा कि गृह मंत्रालय जल्द ही इस घटना की विस्तृत रिपोर्ट संसद में पेश करेगा। उन्होंने बीते एक वर्ष की घटनाओं की विश्लेषणात्मक रिपोर्ट तैयार करने की भी बात कही। ओली ने कहा कि कुछ तत्वों ने धर्म, संस्कृति और परंपरा जैसे संवेदनशील मुद्दों को भड़का कर हिंसा भड़काने की कोशिश की।
पूर्व राजा पर अराजक तत्वों का समर्थन करने का आरोप
ओली ने दावा किया कि पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह ने अराजक तत्वों को अपने घर बुलाया और तथाकथित कमांडर नियुक्त किया, जो देश में अशांति फैलाने में शामिल था।
आरपीपी का विरोध
प्रधानमंत्री ओली के इन आरोपों के बाद राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) के सांसदों ने संसद में विरोध जताया। आरपीपी नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने और राजतंत्र की पुनर्बहाली का समर्थन करती है। हाल ही में प्रधानमंत्री ओली ने एक राजनीतिक दलों की बैठक में आरपीपी को शामिल नहीं किया था, जिससे यह विवाद और गहरा सकता है।