संयुक्त राष्ट्र में भारत ने दोहराया संदेश – यह युद्ध का युग नहीं है.
संयुक्त राष्ट्र में भारत ने दोहराया संदेश – "यह युद्ध का युग नहीं है"
भारत ने एक बार फिर रूस-यूक्रेन युद्ध के शीघ्र अंत और क्षेत्र में शांति बहाली के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश – "यह युद्ध का युग नहीं है" – को दोहराते हुए कहा कि यूक्रेन की स्थिति गंभीर चिंता का विषय है और निर्दोष लोगों की मौत अस्वीकार्य है।

संवाद और कूटनीति ही समाधान
हरीश ने कहा कि युद्ध के मैदान में कोई समाधान नहीं निकल सकता। भारत का मानना है कि संघर्ष को समाप्त करने के लिए बातचीत और कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है, चाहे यह कितना भी जटिल या कठिन क्यों न लगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि स्थायी शांति के लिए सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी और प्रतिबद्धता बेहद आवश्यक है।
वैश्विक प्रयासों का समर्थन
भारत ने हाल के कूटनीतिक प्रयासों का स्वागत किया है। हरीश ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का शिखर बैठक की प्रगति को सराहा। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा वॉशिंगटन डीसी में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं के साथ हुई बातचीत की भी प्रशंसा की।
मोदी की सक्रिय भूमिका
हरीश ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार राष्ट्रपति पुतिन, राष्ट्रपति जेलेंस्की और यूरोपीय नेतृत्व के संपर्क में हैं। भारत का मानना है कि ये कूटनीतिक प्रयास संघर्ष समाप्त करने और स्थायी शांति की संभावनाओं को बढ़ाने में सहायक होंगे।
वैश्विक दक्षिण की चिंताएं
हरीश ने कहा कि युद्ध का असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है, खासतौर पर ग्लोबल साउथ के देशों पर जिन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया गया है। बढ़ती ईंधन कीमतें इसका बड़ा उदाहरण हैं। भारत का दृष्टिकोण जन-केंद्रित है – यूक्रेन को मानवीय सहायता और वैश्विक दक्षिण के देशों, जिनमें कुछ पड़ोसी भी शामिल हैं, को आर्थिक सहयोग प्रदान किया जा रहा है।
निष्कर्ष
हरीश ने अंत में कहा कि यूक्रेन संघर्ष का शीघ्र अंत सभी के हित में है। जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कई बार दोहराया है – "यह युद्ध का युग नहीं है।" भारत राजनयिक प्रयासों को समर्थन देने और शांति बहाली की दिशा में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार है।