Published On :
17-Feb-2025
(Updated On : 17-Feb-2025 09:29 am )
एनईपी को लेकर बढ़ा विवाद: तमिलनाडु सीएम स्टालिन का केंद्र पर ब्लैकमेलिंग का आरोप.
Abhilash Shukla
February 17, 2025
Updated 9:29 am ET
एनईपी को लेकर बढ़ा विवाद: तमिलनाडु सीएम स्टालिन का केंद्र पर ब्लैकमेलिंग का आरोप
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बीच राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और तीन-भाषा फार्मूले को लेकर राजनीतिक तनातनी तेज हो गई है। स्टालिन ने केंद्र सरकार पर राज्य को ब्लैकमेल करने और शिक्षा को लेकर संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।
क्या है विवाद?
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि जब तक तमिलनाडु राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और तीन-भाषा नीति को स्वीकार नहीं करेगा, तब तक केंद्र से उसे फंड नहीं दिया जाएगा। इस बयान ने तमिलनाडु सरकार को नाराज कर दिया।
स्टालिन का पलटवार: "तमिल जनता इसे बर्दाश्त नहीं करेगी!"
तमिलनाडु सीएम एम. के. स्टालिन ने इस बयान को "अस्वीकार्य" बताते हुए, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसका कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा राज्य ने केंद्र से अपना हक मांगा है, जो उसका संवैधानिक अधिकार है। अगर केंद्रीय मंत्री अहंकार में बात कर रहे हैं, जैसे कि यह देश उनकी निजी संपत्ति है, तो दिल्ली को तमिल लोगों के चरित्र का सामना करना पड़ेगा।"
स्टालिन ने यह भी सवाल किया कि कौन सा संवैधानिक प्रावधान हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषा को अनिवार्य बनाता है? उन्होंने कहा कि शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में है, इसलिए केंद्र सरकार इसे अपना विशेष अधिकार क्षेत्र नहीं कह सकती।
केंद्र बनाम राज्य: राजनीतिक और संवैधानिक टकराव
तमिलनाडु सरकार पहले से ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के विरोध में है और इसे राज्य की स्वायत्तता पर हमला बता रही है। स्टालिन की सरकार ने साफ कहा है कि वह राज्य में जबरन इस नीति को लागू नहीं होने देगी। दूसरी ओर, शिक्षा मंत्री प्रधान इस नीति को राष्ट्रीय महत्व का विषय बताते हुए तमिलनाडु सरकार के रवैये को संविधान के खिलाफ बता रहे हैं।
आगे क्या?
इस मुद्दे पर राजनीतिक घमासान तेज हो सकता है। तमिलनाडु सरकार इसे राज्य के अधिकारों और सांस्कृतिक पहचान से जोड़कर चुनावी मुद्दा बना सकती है। वहीं, केंद्र सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पूरे देश में लागू करने के अपने फैसले पर अडिग नजर आ रही है।
अब देखना होगा कि यह विवाद कानूनी मोड़ लेता है या फिर कोई राजनीतिक हल निकलता है!