कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर साधा निशाना, कहा-वे स्वभाव से अस्थिर हैं.


नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शुक्रवार को कहा है कि अमेरिका के टैरिफ का असर भारत पर पड़ा है। थरूर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर निशाना साधते हुए कहा कि वे स्वभाव से अस्थिर हैं और कूटनीतिक व्यवहार के पारंपरिक मानकों का सम्मान नहीं कर रहे हैं।
थरूर ने कहा कि भारत को टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए निर्यात बाजारों में विविधता लाने की जरूरत है। थरूर ने कहा कि ट्रंप के टैरिफ से भारत में नौकरियां जा रही हैं। सूरत में रत्न व आभूषण कारोबार, समुद्री खाद्य और विनिर्माण क्षेत्र में 1.35 लाख लोगों की नौकरियां चली गई हैं। थरूर ने भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र के शीर्ष उद्योग संगठन क्रेडाई द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में भारत-अमेरिका संबंधों और टैरिफ लगाने से संबंधित एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि श्री ट्रम्प बहुत ही चंचल व्यक्ति हैं और अमेरिकी प्रणाली राष्ट्रपति को बहुत अधिक छूट देती है। थरूर ने कहा कि हालांकि उनसे पहले 44 या 45 राष्ट्रपति हुए हैं, लेकिन किसी ने भी व्हाइट हाउस से इस तरह का व्यवहार नहीं देखा।
हर पैमाने पर ट्रंप एक असामान्य राष्ट्रपति
थरूर ने ट्रम्प को हर पैमाने पर एक असामान्य राष्ट्रपति बताया और कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति निश्चित रूप से राजनयिक व्यवहार के पारंपरिक मानकों का सम्मान नहीं करते हैं। थरूर ने कहा कि मेरा मतलब है, क्या आपने कभी किसी विश्व नेता को खुलेआम यह कहते सुना है कि वह नोबेल शांति पुरस्कार का हकदार है? ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। क्या आपने किसी विश्व नेता को यह कहते सुना है कि ओह, दुनिया के सभी देश आकर मेरी पीठ चाटना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि क्या आपने किसी ऐसे विश्व नेता के बारे में सुना है जिसने मूलतः यह कहा हो कि भारत और रूस की अर्थव्यवस्थाएं मृतप्राय हैं। मुझे इसकी परवाह नहीं कि वे दोनों एक साथ बर्बाद हो जाएं। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह की भाषा किसी भी सरकार के प्रमुख से कभी नहीं सुनी गई।
भारत के पास कमर कसने के अलावा विकल्प नहीं
थरूर ने कहा कि भारत के पास कमर कसने और आगे बढ़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें अमेरिकी बाजार में प्रवेश करना बहुत कठिन लग रहा है। और मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हम वास्तव में बातचीत कर रहे हैं, यह अच्छी तरह जानते हुए कि हमें अमेरिका तक पहुंच की आवश्यकता है।