अटल बिहारी वाजपेयी: राष्ट्रपुरुष, कवि और दूरदर्शी राजनेता; पुण्यतिथि विशेष
भारत की राजनीति में कुछ नाम ऐसे होते हैं, जो सत्ता की गलियों से कहीं आगे जाकर, जनता की आत्मा में बस जाते हैं। अटल बिहारी वाजपेयी उन्हीं में से एक थे—एक ऐसे नेता, जिनकी वाणी में कविता थी, दृष्टि में भविष्य का दर्शन था और हृदय में अटूट राष्ट्रभक्ति का स्पंदन। उनकी पुण्यतिथि पर राष्ट्र उन्हें केवल एक राजनेता के रूप में नहीं, बल्कि एक युगदृष्टा और संवेदनशील कवि के रूप में स्मरण करता है।
वाजपेयी जी का जीवन यह प्रमाण था कि राजनीति महज़ चुनाव जीतने या सरकार बनाने का खेल नहीं, बल्कि जनसेवा का अथक तप है। उन्होंने अपने कार्यकाल में ऐसे निर्णय लिए, जो भारत के इतिहास में स्वर्णाक्षरों से लिखे जाएंगे।

आत्मगौरव का क्षण: पोखरण
1998 का पोखरण परमाणु परीक्षण भारतीय आत्मसम्मान का शंखनाद था। वैश्विक प्रतिबंधों और कूटनीतिक दबावों के बीच वाजपेयी जी का संकल्प अडिग रहा। दुनिया के सामने उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि भारत की सुरक्षा और गरिमा किसी सौदेबाज़ी का विषय नहीं। उस क्षण ने हर भारतीय के हृदय में गर्व और आत्मविश्वास की अग्नि प्रज्वलित कर दी।
विकास की राह: स्वर्णिम चतुर्भुज
यदि आत्मगौरव ने भारत के मस्तक को ऊँचा किया, तो स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना ने उसके कदमों को गति दी। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई को जोड़ने वाली इस महायोजना ने केवल सड़कों का जाल नहीं बुना, बल्कि आर्थिक गतिविधियों, रोजगार और निवेश की नई धाराएँ खोलीं। यह उनके दूरदर्शी नेतृत्व का साक्षात प्रमाण था।
शांति का संकल्प: कश्मीर और पड़ोसी
कश्मीर के संदर्भ में उनका दृष्टिकोण मानवीय और गहरा था। उनका यह कथन—“कश्मीर का समाधान इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत के दायरे में ही संभव है”—आज भी एक मार्गदर्शक सिद्धांत है। चाहे लाहौर बस यात्रा हो या आगरा शिखर सम्मेलन, अटल जी ने हमेशा संवाद और विश्वास की राह चुनी।

राष्ट्रनिर्माण की नींव
उनके शासनकाल में शुरू हुई प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने दूरस्थ गाँवों तक प्रगति की गूँज पहुँचाई। दूरसंचार क्षेत्र में उनके सुधारों ने मोबाइल क्रांति की नींव रखी, जिसने आज डिजिटल भारत का रूप ले लिया है। ग्रामीण भारत को आधुनिक भारत से जोड़ने का श्रेय भी उनके विज़न को जाता है।
कवि का हृदय, नेता का साहस
वाजपेयी जी का व्यक्तित्व कवि और कर्मयोगी का अद्भुत संगम था। उनकी पंक्तियाँ आज भी प्रेरणा देती हैं—
“हार नहीं मानूंगा,
रार नहीं टालूंगा,
काल के कपाल पर लिखता,
मिटाता हूँ…”
इन शब्दों में उनका अदम्य साहस, संघर्षशीलता और भविष्य के प्रति अटल विश्वास झलकता है।
अटल की अमर विरासत
आज जब भारत आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर है, तो वाजपेयी जी का दृष्टिकोण पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। उन्होंने हमें सिखाया कि राजनीति को ईमानदारी, दूरदृष्टि और संवेदनशीलता के साथ भी जिया जा सकता है।
वास्तव में, अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन स्वयं एक कविता था—एक ऐसी कविता, जिसमें राष्ट्रप्रेम की धारा बहती रही, संघर्ष और संकल्प की पंक्तियाँ गूंजती रहीं, और भविष्य की आशा सदैव जीवित रही।
अभिलाष शुक्ला
संपादक HBTV न्यूज