सराफा में चौपाटी न लगने देने का बैनर लगा कर बैठे व्यापारी आखिर अचानक कैसे मान गए महापौर की बात, कहीं पूरी दाल तो काली नहीं?.


इंदौर। सराफा में चौपाटी नहीं लगने देने का लगातार विरोध कर रहे व्यापारी आज महापौर पुष्यमित्र भार्गव के साथ बैठक में अचानक अपनी मांग से पलट गए। नगर निगम की तरफ से बयान जारी किया गया कि व्यापारियों ने कहा है कि चौपाटी इंदौर की पहचान है और इसे यथास्थान ही संरक्षित व विकसित किया जाए। इसके लिए कमेटी भी बना दी गई।
इस खबर पर किसी को भरोसा नहीं हुआ, क्योंकि महापौर के साथ पिछली बैठक में व्यापारियों का रवैया बहुत सख्त था। महापौर ने जब चौपाटी हटाने से इनकार कर दिया तो व्यापारी आंदोलन पर उतर गए और कहा कि किसी भी हाल में चौपाटी नहीं लगने देंगे। सराफा की कई बिल्डिंगों में यह बैनर भी लगा दिया गया कि एक सितंबर से चौपाटी नहीं लगने दी जाएगी। फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि व्यापारियों ने चौपाटी पर सहमति दे दी।
मंत्री से मिलना रहा नुकसानदायक
बैठक के बाद कई व्यापारियों ने कहा कि उनकी गलती थी कि वे सराफा व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष हुकुम सोनी की बातों में आकर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से मिलने पहुंच गए। कुछ व्यापारियों ने कहा कि उन्हें यह पता नहीं था कि अध्यक्ष बैठक में ऐसी बात करेंगे। ऐसा करना ही था तो पहले ही कह देते तो जब दोनों एसोसिएशन की बैठक हुई थी। हम लोग उसी में चौपाटी के लिए मापदंड तय कर देते। कहा तो यह भी जा रहा है कि मंत्री विजयवर्गीय की हुकुम सोनी की फोन पर कुछ चर्चा भी हुई थी।
साम, दाम, दंड, भेद की नीति पर निगम
सूत्र बताते हैं कि व्यापारियों पर दबाव बनाने के लिए निगम साम,दाम, दंड, भेद की नीति पर उतर गया था। व्यापारियों को निगम की तरफ से यह कहा गया कि पहले ही दुकानें ढाई फीट आगे बढ़कर बनी हुई हैं। पहले ओटले तोड़वा देते हैं, फिर सारी बिल्डिगों की नपती करा लेंगे। इसके बाद तय होगा कि चौपाटी लगेगी या नहीं।
पैसे वसूलने की बात भी हो चुकी है उजागर
सराफा चौपाटी की दुकानों को लेकर पैसे वसूली की चर्चा लंबे समय से चल रही थी, लेकिन तब इस पर मुहर लग गई जब चौपाटी संघ के अध्यक्ष राम गुप्ता ने अपने वॉट्सएप स्टेट्स पर यह बार स्वीकार कर ली थी। यह बात सामने आई थी कि दुकानदारों से ढाई लाख रुपए की मोटी रकम वसूली जा रही है। इसके लिए 51 हजार रुपए एडंवास बतौर लिए गए हैं। राम गुप्ता ने अपने वॉट्सएप स्टेट्स पर लिखा था कि 51,000 रुपए की बात आपके समक्ष आई थी, उसमें मेरी या चौपाटी के किसी अन्य पदाधिकारी की कोई भूमिका नहीं थी। क्योंकि, यह राशि मेरे या चौपाटी के नाम पर अवैध रूप से वसूली गई थी। अब इस वसूली गई रकम को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर यह वसूली किसने कराई।
राजनीतिक समीकरण भी बिगाड़े गए
इस मामले में इंदौर का राजनीतिक संतुलन बिगाड़ने में माहिर मंत्री विजयवर्गीय को महापौर का भी साथ मिला है। भाजपा के सूत्र बताते हैं कि इस मामले में न तो क्षेत्रीय विधायक और न ही क्षेत्रीय पार्षद की सहमति ली गई है। नगर निगम द्वारा गठित कमेटी की सिफारिश को तो दरकिनार किया ही गया था, जिसमें महापौर परिषद के कई प्रभारी शामिल थे। आज की बैठक में व्यापारियों के फैसले के बाद यह सवाल सबके मन में है कि आखिर सराफा चौपाटी लगाने की जिद के पीछे राज क्या है?