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छापा छापा छाप्पा डले.... 2 नंबर वालों पर अजय देवगन की रेड नंबर 2

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भिया, ये 'पिच्चर' अर्जुन की है, अभिमन्यु की, कौरवों  की, पांडवों की। ये तो पूरी महाभारत है, महाभारत। ये बात के रिये हैं, काजोल के मिस्टर अजय देवगन, जो इसमें वाणी कपूर के वो बने हैं। वो इनकम टैक्स कमिश्नर हैं, ईमानदार हैं और इस हद तक ईमानदार कि रेड सही व्यक्ति पर डालने के लिए बेईमान होने का इल्जाम भी सर पर उठा लेते हैं और एक से बढ़कर एक डायलॉग बोलते हैं, जैसे सरकारी नौकर का लिया हुआ तोहफा रिश्वत कहलाता है।  कहता है कि मैं किसी से नहीं डरता और किसी का भी दरवाजा रेड लिए खटखटा सकता हूँ। वह बोलता तो ये भी है कि मैं कहीं भी खाली हाथ नहीं लौटा हूँ, केवल शादी के बाद ससुराल से खाली हाथ आया हूँ।

फिल्म में नेता और खलनायक भी हैं।  ऐसे खलनायक नेता हैं, जो समाज सेवक हैं, मातृभक्त हैं। पर वो हैं खलनायक।  पुराने ज़माने में खलनायक गुंडे, तस्कर, बलात्कारी टाइप के होते थे, आजकल के खलनायक नेता, मंत्री और समाजसेवक होते हैं।  खलनायकों का पूरा पैराडाइम शिफ्ट हो गया है।

 रेड 2 में 1989 के दौर की कहानी हैज़मीन के बदले रेलवे जॉब स्कैम, सोने के नल और टोंटियां, समाज सेवा के बड़े बड़े प्रकल्प भी दिखाए गए हैं।  अजय देवगन के सामने खलनायक के रूप में रितेश देशमुख हैं, जो खुद राजनीति में हैं, और अपनी बीवी जेनेलिया के साथ प्यारी-प्यारी रील्स के लिए भी जाने जाते हैं।

पुरानी रेड से अलग इस फिल्म में हीरो इनकम टैक्स की कमिश्नरी छोड़कर पूर्णकालिक हीरोगीरी में उतर आता है। फिर भी दर्शक कुर्सी की पेटी बांधे रखता है, लेकिन जब तमन्ना भाटिया और जैकलीन मटकते और मटकाते हुए परदे पर जाते हैं तो लगता है सुस्वादु भात में कंकर गया है। डायरेक्टर को लगा होगा कि ये आइटम किशमिश का काम करेंगे, पर ऐसा नहीं होता। संगीत इस फिल्म की कमजोर कड़ी है। ढीली पटकथा और गैर प्रभावी फिल्मांकन फिल्म का गंभीर प्रभाव नहीं डाल पाती, जिसकी दरकार थी।

पूरी फिल्म भोज नामक एक काल्पनिक राज्य की बताई गई है। यूपी-बिहार वाले बुरा मानें, प्लीज़! फिल्म में अजय देवगन मुख्यमंत्री बनने के पहले वाले केजरीवाल जैसे हैं। रितेश देशमुख कॉमेडी के बाद खलनायकी में उतरे हैं, उन्होंने एक्टिंग अच्छी की, लेकिन उन्हें खलनायक मानाने में वक़्त लगेगा।

वाणी कपूर को हीरो की शुद्ध, शालीन और सक्रिय बीवी के रोल में ही रहना पड़ा। सौरभ शुक्ला, रजत कपूर, अमित सियाल अपनी भूमिकाओं में खरे उतरे। इन सबकी खीर-पूड़ी में तमन्ना भाटिया और जैकलीन की चटनी जैसे आइटम फिजूल रहे।

बगैर हिंसा, बिना खून खराबे की शालीन लेकिन रोचक-रोमांचक फिल्म है रेड 2

देखनीय

 

 

Article By :
-डॉ.प्रकाश हिन्दुस्तानी, वरिष्ठ पत्रकार

रेड 2 में 1989 के दौर की कहानी है,  ज़मीन के बदले रेलवे जॉब स्कैम, सोने के नल और टोंटियां, समाज सेवा के बड़े बड़े प्रकल्प भी दिखाए गए हैं।  अजय देवगन के सामने खलनायक के रूप में रितेश देशमुख हैं, जो खुद राजनीति में हैं।

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Consulting Editor

Ardhendu bhushan

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