बिहार की वोटर लिस्ट से हटाए गए 65 लाख नामों का डेटा वेबसाइट पर जारी करेगा चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट ने दिए आदेश.
नई दिल्ली। बिहार में वोटर लिस्ट पर चल रहे बवाल के बीच सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 65 लाख छूटे हुए वोटरों के नाम जिला स्तरीय वेबसाइट पर डालने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि उनकी जानकारी जनता के लिए आसानी से उपलब्ध कराई जाए।
लिस्ट बूथवार बनाई जाएगी और वोटर इसे EPIC नंबर के माध्यम से चेक कर सकेंगे। लिस्ट में नाम न होने का कारण स्पष्ट रूप से लिखा जाएगा। जनता को यह सुविधा भी दी जाएगी कि वे आधार कार्ड की कॉपी लगा कर अपना दावा कर सके। जिला स्तरीय वेबसाइट के अलावा यह जानकारी स्थानीय मीडिया और आधिकारिक सोशल मीडिया चैनलों पर भी व्यापक रूप से प्रचारित की जाएगी। इससे लोगों को अपने नाम की स्थिति आसानी से पता चल सकेगी और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी।
बूथ लेवल पर भी देंगे जानकारी
हर बूथ लेवल ऑफिसर छूटे हुए नामों की लिस्ट पंचायत भवन और ब्लॉक ऑफिस में लगाएंगे। इसके साथ ही नाम छूटने का कारण भी स्पष्ट रूप से दर्शाया जाएगा। जिलावार लिस्ट को राज्य के मुख्य निर्वाचन आयुक्त की वेबसाइट में भी अपलोड किया जाएगा। हर बूथ लेवल और डिस्ट्रिक्ट लेवल अधिकारियों से अनुपालन रिपोर्ट लेकर सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया जाएगा। अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी।
एक बूथ से ही 231 नाम हटाए गए
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील निजाम पाशा ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि फॉर्म जमा करने के बावजूद लोगों को इस लिस्ट में शामिल नहीं किया जा रहा है। सिर्फ एक बूथ से ही 231 लोगों के नाम हटाए गए हैं जो 2003 की मतदाता सूची में थे। इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस बागची ने कहा कि हम याचिकाकर्ताओं का स्वागत करते हैं वे सूची दें, ताकि चीजें सुधारी जा सकें।
22 लाख मृत लोगों के नाम क्यों नहीं बताए
जस्टिस सूर्यकांत ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि बिहार और अन्य राज्यों में गरीब आबादी है। यह एक वास्तविकता है। ग्रामीण इलाकों को अभी समय लगेगा। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 65 लाख जिन वोटरों के नाम हटाए गए हैं, उनके नामों को सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस डेटा को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। जिसके जवाब में चुनाव आयोग ने कहा कि ठीक है, अगर कोर्ट का यह आदेश है तो वह इस डेटा को सार्वजनिक कर देंगे। इस दौरान जस्टिस कांत ने कहा कि अघर 22 लाख लोग मृत पाए गए हैं तो उनके नाम क्यों नहीं बताए जा रहे हैं।