क्या कर रहे हो कमिश्नर साहब, हाई कोर्ट और कलेक्टर नहीं होते तो बीआरटीएस भी नहीं टूट पाता, राजनीति में पड़ने की बजाए कुछ काम कर लेते.
इंदौर। नगर निगम में जब से दिलीप कुमार यादव कमिश्नर बने हैं, कामकाज का ढर्रा ही लोगों को समझ नहीं आ रहा। चाहे पेचवर्क का मामला हो या सफाई का या फिर विकास कार्यां का। हर काम की रफ्तार थम सी गई है और इसे निगम के कर्मचारी भी समझ नहीं पा रहे। ताजा उदाहरण बीआरटीएस को तोड़ने का है। अगर हाईकोर्ट का डंडा नहीं चलता और कलेक्टर शिवम वर्मा सक्रिय नहीं होते तो बीआरटीएस सालों तक ऐसे ही मुंह चिढ़ाता रहता।
उल्लेखनीय है कि इंदौर में बीआरटीएस तोड़ने का फैसला 9 माह पहले लिया था, लेकिन अभी तक बीआरटीएस की रेलिंग नहीं हट पाई। इसे लेकर दायर याचिका पर पिछले दिनों हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी। प्रशासनिक जज विजयकुमार शुक्ला और जस्टिस विनोदकुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने कहा था कि निगम को जब किसी का घर तोड़ना रहता है तो सभी संसाधन मिल जाते हैं। रेलिंग के मामले में क्या हो गया? ऐसे में नगर निगम कमिश्नर ने 15 दिन का वक्त मांगा था और कहा था कि पूरी रेलिंग हटा देंगे।
कलेक्टर वर्मा ने दिखाई गंभीरता
बताया जाता है कि कलेक्टर शिवम वर्मा ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया और नगर निगम को जल्दी से जल्दी रेलिंग हटाने के निर्देश दिए। इसके बाद काम में तेजी आई। इस पूरे मामले में निगम कमिश्नर यादव की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। वास्तव में अगर हाईकोर्ट फटकार नहीं लगाता तो वे अब भी अपने केबिन से बाहर नहीं निकलते। लोग तो यह भी कह रहे हैं कि कलेक्टर वर्मा को ही नगर निगम का चार्ज भी दे देना चाहिए।
जनप्रतिनिधियों से लगातार ले रहे पंगा
लोगों का कहना है कि निगम कमिश्नर को जनप्रतिनिधियों से पंगा लेने से ही फुर्सत नहीं है। आते के साथ सबसे पहले विधानसभा 4 की विधायक मालिनी गौड़ से पंगा लिया। मामला इतना बढ़ा कि सीएम डॉ.मोहन यादव तक पहुंच गया। इसके बाद राऊ के विधायक मधु वर्मा से उलझ बैठे। परिणाम यह रहा कि न केवल निगम के अफसर पर एफआईआर दर्ज हुई, बल्कि रातभर भंवरकुआ थाने में ड्रामा चलता रहा। इसके अलावा कमिश्नर साहब कई पार्षदों से भी पंगा ले चुके हैं।
एक मंत्री की छत्रछाया में चल रहा काम
सूत्र बताते हैं कि निगम कमिश्नर साहब इंदौर आते ही भाजपा के एक वरिष्ठ नेता और मंत्री की शरण में चले गए। शहर में उठापटक करने में माहिर मंत्री के इशारे पर ही मालिनी गौड़ और मधु वर्मा से पंगा लिया गया। निगम कमिश्नर अभी भी उनके इशारे पर ही काम कर रहे हैं और उनका इशारा मतलब काम बिगाड़ना ही है।
राजनीति में पड़ने की बजाए काम कर लेते
भाजपा के कई नेताओं और शहर के लोगों का कहना है कि नए नगर निगम कमिश्नर साहब को राजनीति में पड़ने की बजाए जनता के काम पर ध्यान देना चाहिए। महापौर और पार्षदों के लिए राजनीति छोड़ देते। वैसे भी महापौर से किसी कमिश्नर की अब तक नहीं बनी। महापौर लगभग हर कमिश्नर की शिकायत सीएम से कर चुके हैं। नए कमिश्नर आए तो लगा कि वे समन्वय बिठाकर शहर का काम करेंगे, लेकिन वे तो अन्य कमिश्नरों से भी आगे निकल गए।