माफ करना, विजय शाहजी आपके 'घड़ियाली आंसुओं' से नहीं धुलने वाला 'कलंक'.


कर्नल सोफिया क़ुरैशी को आतंकवादियों की बहन बताने वाले मध्यप्रदेश के मंत्री विजय शाह के घड़ियाली आंसू बहाने का सिलसिला अभी भी जारी है. सिलसिलेवार माफी पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भी शाहजी का एक नया माफ़ीनामा सामने आ गया है.
इस बार शाहजी ने लिखा है-
पिछले दिनों पहलगाम में हुए जघन्य हत्याकांड से मैं मन से बहुत दुखी एवं विचलित हूँ. मेरा राष्ट्र के प्रति अपार प्रेम और भारतीय सेना के प्रति आदर एवं सम्मान हमेशा रहा है. मेरे द्वारा कहे गये शब्दों से समुदाय, धर्म, देशवासियों को दुख पहुँचा है. यह मेरी भाषाई भूल थी, मेरा आशय किसी भी धर्म, जाति एवं समुदाय को ठेस पहुँचाने, आहत करने का नही था. मैं भूलवश अपने द्वारा कहे गये शब्दों के लिये पूरी भारतीय सेना से, बहन कर्नल सोफिया से एवं समस्त देशवासियों से, पूरी तरह से क्षमा प्रार्थी हूँ और पुनः हाथ जोड़कर माफी माँगता हूँ.
शाहजी इस माफ़ीनामे का कोई मतलब नहीं है, जब सुप्रीम कोर्ट आपकी माफी को घड़ियाली आंसू बता चुका है. मंत्रीजी, आपको तो याद ही होगा-सुप्रीम कोर्ट ने आपसे यह भी कहा था-एक जिम्मेदार व्यक्ति को बोलने से पहले सोचना चाहिए. जनता भी तो आपसे यही कह रही है.
शाहजी, आपको अभी भी अपने बोलने पर अफसोस नहीं है. वह तो सुप्रीम कोर्ट का डर यह सब करा रहा है, नहीं तो जब मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने आपको फटकार लगाते हुए एफआईआर के आदेश दिए थे तभी यह सब नौटंकी करना थी. लेकिन, आपको हाई कोर्ट की फटकार इतनी बुरी लगी कि आप सुप्रीम कोर्ट पहुँच गए.
शाहजी, पता नहीं आप किस मिट्टी के बने हो जो भाजपा कि पूरे देश में किरकिरी कराने के बाद भी कुर्सी पर फेविकोल लगाकर चिपके हो.
अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा अगर अपने कहे पर थोड़ा भी अफसोस हो तो सारी नौटंकी बंद कर चुपचाप इस्तीफा दे दो. पद का क्या है, फिर मिल जाएगा. शिवराज सिंह चौहान की पत्नी पर टिप्पणी के बाद जब आपने इस्तीफा दिया था, तब भी पद मिल ही गया था.